भ्रष्टाचार किसी भी समाज के लिए, वहां रहने वाली जनता के लिए कलंक माना जाता है। भ्रष्टाचार (Corruption) दीमक की तरह होता है जो समाज को धीरे – धीरे खोखला बना देता है और दुर्भाग्यवश भारत की राजनीति, यहां की अलग – अलग सत्ताधारी पार्टियां सब भ्रष्टाचारी में लिप्त है। कोई भी इससे अछूता नहीं है।
इसी कलंक को गत दशक राजनीति से, लोकतंत्र से मिटाने के लिए अरविंद केजरीवाल ने एक मुहिम छेड़ी थी। अरविंद केजरीवाल का कहना था हमारा मकसद है भ्रष्टाचार मिटाना, जहां संसद में एक भी भ्रष्टाचारी नहीं होना चाहिए। लेकिन सत्ता का लालच और कुर्सी पाने की होड़, उससे केजरीवाल भी अछूते ना रहे सके और उसी गद्दी के लालच में कितने ही कुकर्मों को अंजाम दिया है अरविंद केजरीवाल ने।
अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) क्या दिल्ली तक सीमित थी? एक पार्टी जो देश बदलने आई थी फिर क्यों वो अलग – अलग राज्यों में भी अपना नियंत्रण हासिल करना चाहती है? क्या अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) पंजाब के मुख्य मंत्री बनना चाहते थे? क्यों दिल्ली में 90 सीटें जीतने के बाद भी अरविंद पंजाब (Punjab) के सपने देख रहे थे? क्या पंजाब जीतने के लिए पंजाब की शांति तक को भंग करने के लिए तैयार थे केजरीवाल?
शुरुआत के दिनों में जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ तब अरविन्द केजरीवाल कहते थे, ये केजरीवाल की पार्टी क्या होता है। मेरी पार्टी नहीं है ये। मुझे पार्टी बनाने की क्या जरूरत है, मैं तो अच्छा खासा कमा रहा था। ये तो देश के लोगों की पार्टी है। आम आदमी की पार्टी है। ऐसे ना जाने कितने ही बड़े – बड़े भाषण दिए थे केजरीवाल ने फिर आज क्यों कुर्सी से चिपके बैठे हैं? फिर क्यों आज "आम जनता" को सुनने वाला कोई नहीं है?
उस समय पार्टी के गठित होने के बाद आगामी चुनाव के लिए काफी तैयारी कर रही थी आम आदमी पार्टी। उस समय अरविंद केजरीवाल ने कहा था, हम चाहते हैं चुनाव में आम जनता को भी मौका मील सके। लेकिन फिर आखिर क्यों उन्होंने एक ऑटो ड्राइवर की टिकट जानबूझ कर रद्द करा दी थी? क्यों एक ऑटो ड्राइवर की टिकट छिन कर उस समय BJP से AAP में जुड़े एक नेता को दे दी गई थी? क्या कारण था? क्यों केजरीवाल केवल जीत हासिल करने के लिए कैसे भी कैंडिडेट को अपनी पार्टी में लेने को तैयार हो गए थे? क्यों देश बदलने से ज्यादा महत्वपूर्ण उनका मकसद जीत की ओर अग्रसर हो गया था?
2015 में अरविंद केजरीवाल जब 67 सीटों से जीत मुख्यमंत्री बन गए थे, उसी के बाद कापासेढ़ा इंसिडेंट हुआ था। कापासेढ़ा की दो मीटिंग हुई थी, एक नेशनल एक्जीक्यूटिव की और दूसरी नेशनल काउंसिल की। कई लोग आज भी जानना चाहते हैं की आखिर National Executive Meeting में क्या हुआ था। कैसे और आखिर क्यों अरविंद केजरीवाल के नजदीकी व सबसे बड़े कार्यकर्ता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को नेशनल एक्जीक्यूटिव से निकाल दिया गया था?
राजनीति में दो चीजों से किसी भी नेता की इज्जत होती है। या तो उसके सिद्धांत मजबूत हो। सिद्धांत वाला व्यक्ति हो। या दूसरा जनता उसके साथ खड़ी हो। अपने सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति थे अरविंद केजरीवाल आखिर क्यों उन्हें महत्वकांक्षा होने लगी की वह प्रधानमंत्री बने?
झूठ को कैसे प्रस्तुत करना है सच बनाकर ये अरविंद केजरीवाल की सबसे जबरदस्त क्वालिटी है। केजरीवाल ने ईमानदारी के नाम पर जो ढकोसला किया, झूठ बोला आज इसका देश पर इतना बड़ा प्रभाव पड़ा है कि अगर कोई सच्चा आदमी भी खड़ा होकर बोलेगा की मैं ईमानदार हूं तो कोई उस पर विश्वाश नहीं करेगा। आंदोलन की समाज की मूलभूत गरिमा को ही खत्म कर डाला केजरीवाल ने। केजरीवाल का छल इतना बड़ा है कि आगे आने वाली एक पीढ़ी तक जनता अब किसी पर भी विश्वास नहीं करेगी।
हमें हमारे सभी प्रश्नों के जवाब Transparency: Pardarshita web series के माध्यम से मिलेंगे। क्या है अरविंद केजरीवाल का असली चेहरा। इसे हम ट्रांसपेरेंसी वेब सीरीज के भाग – 5 से जान पाएंगे। आगे हम जानेंगे कि असल मायनों में "स्वराज" क्या होता है। गांधीवादी विचारधारा से लोग कैसे परिवर्तित हुए। उन्होंने कैसे समाज में भी परिवर्तन किए।
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