UP सरकार अब शहर में रहने वालों को अब सुरक्षित पर्यावरण देने की तैयारी में है। सरकार ने UP के 13 शहरों में 26 सिटी फॉरेस्ट बनाकर इसे साकार करने की कोशिशें तेज कर दी है। इस योजना को अगले छह महीने में विकसित कर लिया जायेगा। जिन शहरों को चिह्न्ति किया गया है, उनमें न सिर्फ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath) का शहर गोरखपुर है बल्कि प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी है।
इसके अलावा UP सरकार आगरा, फिरोजाबाद, झांसी, कानपुर, औरैया, हरदोई, हाथरस, इटावा, रायबरेली, मुरादाबाद और अमरोहा में भी फॉरेस्ट सिटी बनाए जाने की योजना है। इन शहरों में फॉरेस्ट तैयार होने पर पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को भी नेचुरल पिकनिक स्पॉट का विकल्प मिलेगा। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार, इससे इको टूरिज्म के दायरे का भी विस्तार होगा। स्थानीय स्तर पर रोजी-रोटी के अवसर मिलना इस अभिनव योजना का बोनस होगा।
नगर वन के लिए केंद्र की ओर से निधारित 2 करोड़ की धनराशि में से 1.40 करोड़ रुपये की धनराशि राज्य सरकार को जारी कर दी गई है। जल्द ही यह धनराशि संबंधित जिलो में काम शुरू कराने को उपलब्ध करा दी जाएगी। विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) पर इस बाबत पौधरोपण की शुरूआत भी हो सकती है। नगर वन में बनेंगे स्मृति वन, आरोग्य और नक्षत्र, वाटिकायें वन क्षेत्र बाउंड्री या बाड़ से घिरे होंगे। इनमें स्मृति वन, आरोग्य वाटिका, नक्षत्र वाटिका और हरिशंकरी वाटिका बनाई जाएगी।
जैव-विविधता के लिए इसमें सभी प्रकार की सजावटी, झाड़ियां, बेलदार, औषधीय पौधे, फूल और फलों के पौधे लगाए जाएंगे। यहां एडवेंचर स्पोर्ट्स, साइकिल ट्रेक, पाथवेज, आपेन जिम, जागर्स पार्क, बेंच समेत जनसुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता बताते हैं कि धीरे-धीरे जंगल समाप्त हो गये। अगर यूपी की बात करें तो यहां पर सीतापुर, लखीमपुर, बहराइच, शाहजहांपुर, पीलीभीत में पहले प्राकृतिक जंगल थे। पलाश के वन थे। लकड़ियों के अंधाधुंध कटाई से यह कम हो गए। प्राकृतिक जंगल में पौधे खुद अपने आप आते हैं। इसमें जलवायु के अनुकूल वाली प्रजातियां आ जाती हैं। शहरों के जंगल की योजना में प्राकृतिक जंगल बनाया जाए। सिटी फारेस्ट का जो कांसेप्ट है उसका उद्देश्य है कि शहरों में फारेस्ट के पैचेज हो। जो जगह बची है उसमें प्राकृतिक जंगल बनाया जाय। इसके लिए कुछ तरकीब है।
जापान के एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे अकीरा मियावाकी उन्होंने मियावाकी फॉरेस्ट का कांसेप्ट दिया। जो भारत में अब प्रचलित हुआ है। इसमें कम एरिया में अधिक घनत्व वाले छायादार पौधे प्राकृतिक जंगल तैयार किया जाता है। सिटी फारेस्ट बहुत अच्छा विकल्प है भविष्य में यही जंगल होंगे। सिटी के फेफड़ो को सुरक्षित रखेंगे। शहरों को जलवायु परिवर्तन से बचाएंगे। सूक्ष्म जलवायु को रेग्युलेट करेंगे। तापमान ठीक रहेगा। जंगल बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अरुण कुमार सक्सेना बताया कि 26 जिलों में फॉरेस्ट सिटी बनाने की योजना है। इसमें अधिक छायादार वाले वृक्ष लगाए जाएंगे। राज्य को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रयासरत है। धार्मिक स्थल में पेड़ लगाए जाने पर ज्यादा जोर है क्योंकि यहां पर पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं। खाली जगहों में नगर वन वाटिकाएं बनाएं जाने की योजना है।
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बता दें कि पर्यावरण संरक्षण मुख्यमंत्री योगी की प्राथमिकताओं में से एक है। अपने पहले कार्यकाल से ही उनका जोर प्रदेश में हरियाली का रकबा बढ़ाने का रहा है। लोग इस अभियान से अधिक से अधिक संख्या में जुड़ें इसके लिए मुख्यमंत्री की पहल पर गंगा के किनारे गंगा वन, नक्षत्र वाटिका, गृह वाटिका, राम वनगमन मार्ग पर उस समय के पौधों का पौधरोपण, विरासत वृक्षों का संरक्षण एवं संवर्धन, ब्रज क्षेत्र में द्वापर युग मे जितने तरह के वनों का जिक्र है उनको केंद्र में रखकर पौधरोपण, अपने पूर्वजों के नाम पर पौधरोपण जैसी योजनाएं शुरू की गयीं।
आईएएनएस(LG)