उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के किसानों को बेहतर प्रजाति के पौधे मिलने के सरकार ने प्रयास शुरू करने जा रही है। इसके मद्देनजर योगी सरकार ने अगले 5 साल के लिए फलों और सब्जियों की खेती का दायरा और उपज बढ़ाने के साथ-साथ इनके प्रसंस्करण को बढ़ाना देने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
इसके तहत बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 11.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 16 प्रतिशत करने और खाद्य प्रसंस्करण का हिस्सा 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किए जाने का लक्ष्य है। ऐसे में, इसके लिए जो प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की गई हैं, उसके लिए बड़े पैमाने पर कच्चे माल के रूप में फलों और सब्जियों की जरूरत होगी।
सब्जी वैज्ञानिक डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में किसानों की आय बढ़ाने का सबसे प्रभावी जरिया फलों,सब्जियों और मसालों की ही खेती है। प्रदेश में 9 तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र होने के नाते यहां पर हर तरह के फलों,सब्जियों और फूलों की खेती संभव है। इसमें लघु-सीमांत किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इनकी संख्या कुल किसानों की संख्या में करीब 90 प्रतिशत है, जो अमूमन धान,गेंहू या गन्ने इत्यादि की परंपरागत खेती ही करते हैं। अगर सरकार की मंशा के अनुसार इनकी आय बढ़ानी है तो इनको फलों,सब्जियों एवं फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
इस लक्ष्य को पाने के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुणवत्तापूर्ण प्लांटिंग मैटिरियल (पौध एवं बीज) की उपलब्धता है। इसका इंतजाम करने के लिए सरकार ने अगले 5 साल में हर जिले में एक्सिलेंस सेंटर, मिनी एक्सिलेंस सेंटर या हाईटेक नर्सरी की स्थापना करेगी। इस दिशा में काम जारी है।
उदाहरण के लिए, चंदौली, कौशाम्बी, सहारनपुर, लखनऊ, कुशीनगर और हापुड़ में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस निमार्णाधीन है। इसी तरह बहराइच, अम्बेडकरनगर, मऊ, फतेहपुर, अलीगढ़, रामपुर, और हापुड़ में मिनी सेंटर ऑफ एक्सिलेन्स क्रियाशील हैं। सोनभद्र, मुरादाबाद, आगरा, संतकबीरनगर, महोबा, झांसी, बाराबंकी, लखनऊ, चंदौली, गोंडा, बलरामपुर, बदायूं, फिरोजाबाद, शामली और मिजार्पुर में भी मिनी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस/हाईटेक नर्सरी निमार्णाधीन हैं। अगले पांच साल में इस तरह की बुनियादी सुविधाएं हर जिले में मौजूद होगी।
पिछले 5 वर्षों में किसानों को प्रोत्साहित करने का नतीजा रहा है कि फलों व सब्जियों की खेती का रकबा 1.01 और उपज में 0.7 फीसद की वृद्धि हुई है। किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौध मिल सके, इसके लिए फलों एवं सब्जियों के लिए क्रमश: बस्ती एवं कन्नौज में इंडो-इजराइल सेंटर फॉर एक्सिलेंस की स्थापना की गई है।
नमी और तापमान को नियंत्रित करके बे-मौसम गुणवत्तापूर्ण पौधों और सब्जियों को उगाने के लिए इंडो इजराइल तकनीक पर संरक्षित खेती को बढ़ावा देने का काम भी लगातार जारी है। पिछले 5 वर्षों में फूल एवं सब्जी के उत्पादन के लिए 177 हेक्टेयर पॉली हाउस/शेडनेट का विस्तार हुआ, जिससे 5549 किसान लाभान्वित हुए। योगी-2 में भी यह सिलसिला जारी रहे, इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
आईएएनएस (LG)