आखिर क्या है दिनेश खटीक के वायरल पत्र का मामला?

दिनेश खटीक ने पत्र में साफ-साफ बताया है कि मंत्री होने के बावजूद, उनकी बात कोई अधिकारी नहीं सुनता है, और न ही कोई अधिकारी उनको किसी बैठक में ही बुलाता है।
आखिर क्या है दिनेश खटीक के वायरल पत्र का मामला?
आखिर क्या है दिनेश खटीक के वायरल पत्र का मामला?IANS

पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर एक पत्र खूब वायरल हो रहा है। पत्र है जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक का जिसने इस्तीफा दिए जाने का कारण पत्र में बताया है। ये पत्र पर्याप्त है बताने के लिए कि उत्तरप्रदेश में योगी सरकार के मंत्रियों व अधिकारियों के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।

उन्होंने पत्र में साफ-साफ बताया है कि मंत्री होने के बावजूद, उनकी बात कोई अधिकारी नहीं सुनता है, और न ही कोई अधिकारी उनको किसी बैठक में ही बुलाता है। इसी बात कि शिकायत उन्होंने देश के गृह मंत्री अमित शाह से कि है। इस पात्र के वायरल होने के बाद से तो उत्तर प्रदेश कि राजनीति बिल्कुल ही गरम हो चुकी है। विपक्षियों को योगी सरकार पर निशान साधने का भरपूर मौका मिल गया है। विपक्षी दल इस पत्र का हवाला देते हुए कह रहे हैं कि सत्ता में बैठी सरकार के छाया में काबिज विधायक और मंत्रियों की बात नहीं सुनी जाती है।

इस मामले के सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापते हुए कहा कि पार्टी के अंदर कई मंत्रियों में एक लंबे समय से लगी गुई थी, जिसे दिखाने की हिम्मत अब तक कोई नहीं कर पाया था। उन्होंने कहा कि ये आरोप जो आरोप विभाग के अधिकारियों पर लग रहे हैं, वे बिलकुल सही हैं। यहाँ के अधिकारी, मंत्रियों की बात सुनना तो दूर, मंत्री के प्रोटोकॉल का भी पालन नहीं करते। उन्होंने बताया कि योगी सरकार 2.0 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट में 18 मंत्री, 14 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 20 राज्यमंत्री बनाए गए हैं।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 18 मंत्री समूह बनाकर उसमें राज्य मंत्रियों को लगाते हुए इसी बात पर जोर दिया था कि सभी मंत्री आपसी समन्वय के साथ काम करें। उन्हें विभागीय कार्ययोजन के प्रस्तुतीकरण का अवसर दिया गया। लेकिन यह सब करना निरर्थक ही रहा, वास्तविकता में राज्यमंत्री केवल नाम मात्र रह गए। उनके पास कोई न कोई अधिकार है और न ही अपनी बात को कहने की ताकत ही है।

उन्होंने आगे बताया कि कुछ विभागों को छोड़कर अब भी ज्यादातर कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री के बीच में काम को बांटा नहीं जा सका है। कुछ कैबिनेट के मंत्री अपनी बैठक में अपने राज्यमंत्रियों को बुलाते तो हैं पर उनकी कोई भूमिका नहीं होती। अब यह सबकुछ दिनेश खटीक के वायरल पत्र में स्पष्ट देख जा सकता हा कि विभागों कि अंदरूनी तबीयत कैसी है।

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