यूपी में बढ़ रही है जिंक फोर्टिफाइड गेहूं की खेती

फिलहाल सरकार की मंशा यह है किसानों को इसकी खूबियों के प्रति जागरूक किया जाए।
गेहूं की खेती।
गेहूं की खेती।IANS

यूपी में कुपोषण से बचाने में मददगार जिंक फोर्टिफाइड गेहूं की खेती बढ़ रही है। यह पूर्वांचल और बिहार के किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है। इसकी पैदावार भी सामान्य गेंहू की उन्नतिशील प्रजातियां जितनी है। खेती की प्रक्रिया भी परंपरागत गेंहू की तरह है। खूबी यह है इसकी रोटी के साथ आपको जरूरी मात्रा में जिंक भी मिल जाएगा। रोटी का मुलायम होना इसकी अतरिक्त खूबी है।

फिलहाल सरकार की मंशा यह है किसानों को इसकी खूबियों के प्रति जागरूक किया जाए। उनको उन्नत प्रजाति के पर्याप्त मात्रा में बीज समय से उपलब्ध हों। इसके लिए इस गेंहू को प्रोसहित करने वाली संस्थाएं खेती करने वाले किसानों से उनकी पूरी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लेती है। इसकी पैदावार भी सामान्य गेंहू की उन्नतिशील प्रजातियों जितनी है।

जिंक फोर्टिफाइड फिलहाल पूर्वांचल और बिहार के किसानों में हाल के वर्षों में इसकी खेती धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है। काशी हिन्दू विष्वविद्यालय, हारवेस्ट प्लस, सिमिट, आईएफपीआरआई के सहयोग से जिंक फोर्टिफाइड गेहूं पर किसानों के बीच काम करने वाली संस्था सस्टेनेबल डेवलपमेन्ट एसोसिएशन (एसएचडीए) और भारतीय लोक विकास एवं शोध संस्थान वाराणसी पिछले कई वर्षों से काम रही है। एसएचडीए के वीएम त्रिपाठी के अनुसार 2014 में पहली बार बीएचयू की मदद से जिंक फोर्टिफाइड गेंहू की दो प्रजातियों बीएचयू-6 बीएचयू-3 का डिमांस्ट्रेशन गोरखपुर, आजमगढ़ कुशीनगर एवं बस्ती जिलों के कुछ किसानों में कराया गया। 2016 में बीएचयू-25 एवं बीएचयू-31 की नई प्रजाति का डिमांस्ट्रेशन कराया गया। देखा गया कि बीएचयू-25 की उपज गेंहू की लोकप्रिय प्रजाति एचडी 2967 जितनी ही है। मसलन लगभग 17 क्विंटल प्रति एकड़।

उपज की इस बराबरी और जिंक की अतिरिक्त उपलब्धता के कारण इसका क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। रबी के पिछले सीजन में देवरिया, वाराणसी, आजमगढ़, मीरजापुर, बस्ती, सोनभद्र, संतकबीरनगर, बहराइच, बलरामपुर, महराजगंज, बिहार के गोपालगंज, मोतिहारी, सिवान,छपरा, समस्तीपुर और मुजफ्फरनगर जिले में इसकी खेती का रकबा बढ़ा है। सिर्फ पूर्वांचल में 15000 से अधिक किसान इसकी खेती से जुड़ चुके हैं। किसानों में इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए अब तो भारतीय जौ एवं गेंहू संस्थान करनाल और कृषि विश्वविद्यालय पंजाब ने भी जिंक फोर्टिफाइड गेंहू की नई प्रजातियों विकसित की हैं।

कृषि वैज्ञानिकों की माने तो किसानों की आय बढ़ाने और कुपोषण को खत्म करने के ²ष्टिगत फोर्टिफाइड गेहूं की खेती बहुत फायदेमंद है। इस गेहूं का उत्पादन भी अन्य गेहूं की किस्मों से अधिक रहता है। गेहूं की इन किस्मों में लोगों की सेहत के लिए जरूरी प्रोटीन, एमिनो एसिड, जिंक, विटामिन और अन्य पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा मौजूद हैं। इसीलिए गेहूं की ये किस्में कुपोषण से लड़ने में भी कारगर साबित होंगी।

विशेषज्ञ कहते हैं कि मौजूदा दौर पोषण सुरक्षा का है। हाल के वर्षों में सेहत के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है। कोरोना ने लोंगों को स्वाथ्य के प्रति और जागरूक किया। जो भी इस वैश्विक महामारी की चपेट में आया उसे सप्लीमेंट के रूप में डॉक्टरो ने जिंक जरूर खिलाया। ऐसे में आने वाले समय मे आय बढ़ने के साथ ऐसे उत्पादों की मांग और बढ़ेगी। यह जिंक फोर्टिफाइड गेंहू को लोकप्रिय बनाने का एक अच्छा मौका हो सकता है।

(आईएएनएस/JS)

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