केरल में हुई खूनी बारिश: कई बार हमें प्रकृति के अनोखे रूप देखने को मिलते हैं जिनका कारण हम न जानते हैं और ना पता लगा पाते हैं ऐसा ही एक रूप हमें 25 जुलाई 2001 को केरल में हुई लाल बारिश के रूप में देखने को मिला था।
लाल रंग की बारिश को देखकर लोगों का दंग रह जाना कोई अजीब बात नहीं थी, आइए आज हम आपको इस लाल रंग की बारिश के पीछे की पूरी कहानी बताते हैं।
साल 2021 में कोट्टयम (Kottayam) और इदुक्की (Idduku) केरल के 2 जिलों में लाल रंग की बारिश हुई थी। 25 जुलाई 2001 को इन दोनों जिलों में अचानक बहुत तेज हवा चलने लगी थी साथ ही तेज बिजली भी कड़क रही थी। और देखते ही देखते बिजली की तेज गड़गड़ाहट के साथ तेज वर्षा होने लगी लेकिन जब लोगों ने बारिश के पानी का रंग देखा तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गई।
पानी का रंग बिल्कुल खून की तरह लाल था और ताज्जुब की बात तो यह थी यह कपड़ों पर बिल्कुल खून की तरह पीले दाग छोड़ रहा था।
रिपोर्ट्स की माने तो उसी दिन केरल के कई इलाकों में हरे, काले और पीले रंग की बारिश भी हुई थी। कुछ लोगों के अनुसार केरल (Kerala) में इसी तरह की बारिश 1896 में भी हुई थी। 1896 के बाद 2001 में 25 जुलाई से 23 सितंबर तक इसी तरह की बारिश देखने को मिली इसके बाद 2012 जून में भी ऐसा ही हुआ।
इस बारिश की खास बात यह थी कि यह कुछ वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में नहीं बल्कि स्थानीय क्षेत्र में हुई। हालांकि उस समय की बारिश का कारण अब तक पता नहीं लगाया जा सका है। यह बारिश जितनी भी बार हुई 20 मिनट से अधिक कभी नहीं हुई।
जब 2001 में इस बारिश के पानी के सैंपल सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडीज (CESS) के पास भेजे गए, तो उनका कहना था कि किसी उल्कापिंड के फटने की वजह से यह बारिश लाल रंग की होती है। लेकिन बाद में यह थ्योरी गलत साबित हुई और इसके बाद की बारिश के सैंपल ट्रॉपिकल बोटैनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट(TBGRI) को भेजे गए। जब वहां माइक्रोस्कोपिक (Microscopic) जांच हुई तो पता चला इस बारिश का लाल रंग का होने का कारण एक प्रकार का शैवाल (Alga) है। और इस शैवाल द्वारा छोड़ी गई काई और जीवाणुओं से इस बारिश का पानी लाल हो जाता है। हालांकि यह अभी रहस्य है कि केरल के बादलों में यह जीवाणु कैसे पहुंचे?
(PT)