जब 'गांधी जी' ने अपना जूता रेल से बाहर फेंक दिया

गांधी जी ने 1934 में भागलपुर (Bhagalpur) में आए भूकंप से पीड़ित लोगों की मदद के लिए अपने ऑटोग्राफ देने के पांच-पांच रुपये की राशि ली थी।
'गांधी जी' की 153वीं जयंती
'गांधी जी' की 153वीं जयंतीWikimedia
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'गांधी जी' की 153वीं जयंती: 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात (Gujrat) के पोरबंदर (Porbandar) में जन्में 'गांधी जी' का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) था। लोग उन्हें बापू (Bapu) कहकर पुकारते थे। उनके माता पिता ,शिक्षा और कार्यों के बारे में तो आप सभी जानते होगे। लेकिन आज हम आपको गांधी जी के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्य बताएंगे जिन्हें आप शायद ही जानते हो।

• जिस व्यक्ति ने महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को अंग्रेजी सिखाई वह आयरलैंड का रहने वाला था ।

• महात्मा गांधी के नाम पर अनेक सड़कें बनाई गई है। जिनमें से 53 बड़ी सड़के भारत में स्थित है अन्य 48 विदेशों में स्थित है ।

• बतौर वकील महात्मा गांधी अपना पहला केस हार गए थे।

'गांधी जी' की 153वीं जयंती
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• गांधी जी ने 1934 में भागलपुर (Bhagalpur) में आए भूकंप से पीड़ित लोगों की मदद के लिए अपने ऑटोग्राफ देने के पांच-पांच रुपये की राशि ली थी।

• उन्हें "राष्ट्रपिता" की उपाधि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) द्वारा दी गई।जब 1944 में वे सिंगापुर रेडियो (Singapore Radio) पर एक संदेश प्रसारित कर रहे थे तो उन्होंने महात्मा गांधी को "राष्ट्रपिता" कहकर संबोधित किया।

• 1948 में उन्हें नोबल पुरस्कार मिलने वाला था लेकिन उनसे पहले ही उनकी हत्या हो गई। इससे पहले भी वे 5 बार नोबल पुरस्कार (Noble) के लिए नामित हो चुके थे।

• वे अपने नकली दांत हमेशा अपनी धोती में बांधकर रखते थे। और खाने खाते वक्त उन्हें इस्तेमाल करते थे।

'गांधी जी' के तीन बंदर
'गांधी जी' के तीन बंदरWikimedia

• उनकी शवयात्रा के दौरान लगभग 15 लाख लोग सड़क पर खड़े थे और 10 लाख लोग उनके पीछे चल रहे थे।

• उनके पास हमेशा एक गीता (Geeta) रहती थी।

• वह महावीर स्वामी (Mahaveer Swami) के पंचमहाव्रत का पालन करते थे।

• वे रोज 18 किलोमीटर चलते थे,जो उनकी आयु के अनुसार पृथ्वी के दो चक्कर है।

• एक बार एक रेल यात्रा के दौरान गांधी जी का एक जूता रेल के बाहर गिर गया तो उन्होंने अपना दूसरा जूता भी निकल फेका।जब दूसरे यात्री ने उनसे ऐसा करने का कारण पूछा तो गांधी जी ने बताया कि यह एक जूता मेरे किसी काम का नही था इससे अच्छा है जिसे वह जूता मिले उसे दोनों जूते मिले जिससे वह उन्हें पहन पाएं।

• गांधी जी का जन्म और मृत्यु दोनों शुक्रवार को ही हुए।

• उनकी हत्या बिरला भवन (Birla Bhawan) के बगीचे में हुई।

(PT)

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