गोवा (Goa) में आजकल एक नई जंग छिड़ी है और यह जंग इस बात को लेकर है कि भगवान परशुराम (Parshuram) और स्पेन (Spain) के मिशनरी सेंट फ्रांसिस जेवियर (Saint Francis Xavier) में से कौन इस राज्य के रक्षक संत होंगे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayam Sevak Sangh, RSS) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और अब एक नये संगठन हिंदू रक्षा महा अघाड़ी के संयोजक सुभाष वेलिंगकर के बयान ने इस विवाद को हवा दी है।
वेलिंगकर ने कहा,"पहला मुद्दा तो यह है कि सेंट फ्रांसिस जेवियर गोवा के रक्षक नहीं हैं। जेवियर ने ईशनिंदा समिति के साथ मिलकर गोवा के लोगों पर अत्याचार किया था। वह इसके लिये जिम्मेदार हैं। लोगों ने अत्याचार सहे और उन्हें दबाया गया। हमें यह गोवा के लोगों के सामने लाना होगा।"
पूर्व प्रदेश सरसंघचालक ने कहा कि अघाड़ी तीन मई को 'गोवा फाइल्स' (Goa Files) जारी करेगी। इसके साथ ही सेंट जेवियर द्वारा गोवा के लोगों पर किये गये अत्याचारों के बारे में लोगों को अवगत कराने के लिये 20 दिन तक अभियान चलाया जायेगा।
सन् 1506 में स्पेन में पैदा हुये जेवियर को गोवा में 'गोयंचो साइब' या गोवा का रक्षक संत कहा जाता है। वह दुनिया के इस छोर पर ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले पहले मिशनरियों में से एक थे। गोवा की 26 फीसदी आबादी आज के समय में कैथोलिक ईसाई है।
ऐसा कहा जाता है कि सेंट जेवियर ने औपनिवेशिक ताकतों को गोवा में क्रूर ईशनिंदा काननू लागू करने के लिये कहा था। इसका मकसद गोवा के कैथोलिक लोगों को, खासकर धर्मातरण कराकर ईसाई धर्म कबूल करने वाले लोगों को कैथोलिक मत का सख्ती से पालन कराना था। ईसाई धर्म को अपनाने के बाद भी कई लोग अपने पूर्व की मान्यताओं का पालन करते थे।
दूसरी तरफ, ऐसा किंवंदती है कि भगवान परशुराम ने समुद्र में एक तीर मारा था, जिससे गोवा का उद्भव हुआ।
वेलिंग्कर अब परशुराम को जेवियर की जगह रक्षक संत की मान्यता दिलाना चाहते हैं।
वेलिंग्कर का यह बयान भी ऐसे समय में आया है, जब गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पुर्तगालियों द्वारा ध्वस्त किये गये मंदिरों के पुनर्निमाण की बात कह रहे हैं। अभी हाल में ही यहां इस माह की शुरूआत में दो धार्मिक समुदायों के बीच शोभायात्रा निकालने के दौरान झड़प भी हुई है।
विपक्ष ने वेलिंग्कर की इस टिप्पणी की निंदा की है और भाजपा के टिकट पर विधायक बने कैथोलिक भी इसके खिलाफ हैं।
भाजपा के पूर्व विधायक ग्लेन टिक्लो ने कहा कि सुनामी और चक्रवाती तूफान आते रहते हैं लेकिन हमारी हमेशा रक्षा हुई है और लोग तो यहां तक कहते हैं कि गोयंचो साइब ही हमारी रक्षा करते हैं। इसीलिये मैं नहीं समझ पाता कि यह बयान किस आधार पर दिया गया है। वेलिंग्कर को यह जानना होगा कि गोवा के लोग अमन पसंद हैं और वे सौहार्द्र में भरोसा करते हैं।
कांग्रेस विधायक माइकल लोबो ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि गोवा में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने वाले और शांति भंग करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।
गोवा के पूर्व पर्यटन मंत्री भी वेलिंग्कर के खिलाफ मैदान में उतर आये हैं। उन्होंने प्रशासन से कहा है कि वेलिंग्कर के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाये।
कैथोलिक पादरी फादर बोलमैक्स परेरा ने कहा,"वेलिंग्कर का बयान बारिश में कूदने वाले और टर्राने वाले मेढ़क की तरह है। यह गोवा में हिंदुओं और ईसाइयों के बीच दरार लाने का षड्यंत्र है। हमें पता है कि इसका लाभ किसे होगा।"
उन्होंने कहा कि उनका धर्म एक दूसरे से लड़ने की सीख नहीं देता है। पादरी ने कहा, "हम माफ करते हैं, हम समझते हैं और हम सकारात्मकता को अपनाते हैं। लेकिन हमें साथ ही सतर्क भी रहना होगा।"
आईएएनएस (PS)