नेपाल में Gen Z प्रोटेस्ट: क्यों उतर आए हैं युवा सड़कों पर ?

आजकल नेपाल में एक नया माहौल बन रहा है, जहां युवा पीढ़ी यानी Gen Z सड़कों पर उतर आई है। ये प्रोटेस्ट सिर्फ एक आवाज़ नहीं है, बल्कि उनके जज़्बे का इज़हार है जो सोशल मीडिया ऐप्स के बंद होने के खिलाफ है। आज के समय में सोशल मीडिया केवल एक प्लेटफ़ॉर्म नहीं, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है।
Youth of Nepal
Shutdown of Social Media Apps [Sora Ai]
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आजकल नेपाल में एक नया माहौल बन रहा है, जहां युवा पीढ़ी यानी Gen Z सड़कों पर उतर आई है। ये प्रोटेस्ट सिर्फ एक आवाज़ नहीं है, बल्कि उनके जज़्बे का इज़हार है जो सोशल मीडिया ऐप्स के बंद (Shutdown of Social Media Apps) होने के खिलाफ है। आज के समय में सोशल मीडिया केवल एक प्लेटफ़ॉर्म नहीं, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है। नेपाल के युवा (Youth of Nepal) इस बात से नाराज़ हैं कि उनकी पसंदीदा ऐप्स पर प्रतिबंध लग गया है, जिससे उनकी आवाज़ दब रही है और खुद को व्यक्त करने का ज़रिया बंद हो गया है। इस प्रोटेस्ट में केवल एक आवाज़ नहीं, बल्कि हर कोने से आई कहानियां हैं दोस्ती, सपने, नई सोच और एक नए युग की शुरुआत।

Gen Z समझती है कि सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि अपने अधिकार और अपनी आज़ादी की पहचान भी है। इसलिए यह प्रोटेस्ट उनकी आवाज़ को दुनिया तक पहुंचाने का एक तरीका बन गया है। आइए, आज हम समझते हैं कि ये प्रोटेस्ट कैसे शुरू हुआ, क्यों युवा इतने उतावले हैं, और नेपाल के इस नए दौर की कहानी क्या कहना चाहती है।

कैसे जगी ये आवाज़?

नेपाल में ये Gen Z प्रोटेस्ट अचानक से नहीं शुरू हुआ था। असल में, जब सरकार ने कुछ फेमस सोशल मीडिया ऐप्स जैसे कि TikTok, Instagram और अन्य पर बैन लगा दिया, तो युवा पीढ़ी के बीच एक बहुत बड़ा गुस्सा और नाराज़गी फैल गई। आज के ज़माने में सोशल मीडिया सिर्फ मस्ती या टाइम पास का साधन नहीं रहा, बल्कि यह दोस्त बनाने, अपनी राय रखने और दुनिया से जुड़ने का एक बड़ा जरिया बन चुका है।

नेपाल में ये Gen Z प्रोटेस्ट अचानक से नहीं शुरू हुआ था। [X]
नेपाल में ये Gen Z प्रोटेस्ट अचानक से नहीं शुरू हुआ था। [X]

जब इन ऐप्स को बंद किया गया, तो युवाओं ने महसूस किया कि उनकी आवाज़ को दबाया जा रहा है। उन्हें लगा कि उनकी आज़ादी पर रोक लगाई जा रही है और उनकी सोच को सुनने से सरकार कतरा रही है। सोशल मीडिया पर शुरू हुई कई बहसें, हैशटैग अभियान और ऑनलाइन विरोध धीरे-धीरे एक साथ जुड़कर एक बड़ा आंदोलन बन गया। फिर क्या था, ये आंदोलन डिजिटल दुनिया से निकलकर सीधे सड़कों पर आ गया (The movement came out of the digital world and directly onto the streets)। युवा एक-दूसरे से मिले, शांति से प्रदर्शन करने लगे और अपनी मांगें सरकार तक पहुंचाने लगे। ये केवल सोशल मीडिया की लड़ाई नहीं थी, बल्कि अपनी आज़ादी और अधिकारों की लड़ाई बन गई थी। इस तरह से नेपाल के Gen Z ने अपनी आवाज़ को इतना ज़ोर से बुलंद किया कि पूरा देश उनकी इस मुहिम को सुनने लगा।

नेपाल के Gen Z ने अपनी आवाज़ को इतना ज़ोर से बुलंद किया कि पूरा देश उनकी इस मुहिम को सुनने लगा। [X]
नेपाल के Gen Z ने अपनी आवाज़ को इतना ज़ोर से बुलंद किया कि पूरा देश उनकी इस मुहिम को सुनने लगा। [X]


ये लोग कौन हैं? जानिए नेपाल के Gen Z की पहचान

जो लोग अभी नेपाल की सड़कों पर विरोध जता रहे हैं, वे हैं देश की युवा पीढ़ी जिन्हें हम Gen Z कहते हैं। Gen Z वो युवा हैं जो लगभग 1995 से 2010 के बीच पैदा हुए हैं। ये वो लोग हैं जो टेक्नोलॉजी के साथ पले-बढ़े हैं, मोबाइल फोन, सोशल मीडिया और इंटरनेट इनके जीवन का अहम हिस्सा है। नेपाल के ये युवा सिर्फ पारंपरिक तरीके से सोचने वाले नहीं, बल्कि वे नए विचारों और बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

जो लोग अभी नेपाल की सड़कों पर विरोध जता रहे हैं, वे हैं देश की युवा पीढ़ी जिन्हें हम Gen Z कहते हैं। [X]
जो लोग अभी नेपाल की सड़कों पर विरोध जता रहे हैं, वे हैं देश की युवा पीढ़ी जिन्हें हम Gen Z कहते हैं। [X]

वे शिक्षा, नौकरी, राजनीति, और सामाजिक मुद्दों के प्रति सजग हैं। इन्हें अपने अधिकारों और आज़ादी की बहुत फिक्र है, इसलिए जब उनकी पसंदीदा सोशल मीडिया ऐप्स बंद हुईं, तो वे अपनी आवाज़ उठाने से नहीं चूके। ये Gen Z के लोग सिर्फ युवा छात्र, कर्मचारी या छोटे शहरों के रहने वाले ही नहीं, बल्कि नेपाल के हर हिस्से से हैं। उनकी पहचान है आज़ाद सोच, टेक्नोलॉजी में रुचि, और बदलाव की चाह। यही वजह है कि ये लोग सोशल मीडिया के जरिए जुड़े हुए हैं और इसे अपनी आवाज़ बुलंद करने का सबसे बड़ा हथियार मानते हैं।

क्या हो रहा है नेपाल में ?

नेपाल में जो Gen Z प्रोटेस्ट (Gen Z Protest) हो रहा है, वो सिर्फ सोशल मीडिया ऐप्स के बंद होने के खिलाफ एक छोटी सी लड़ाई नहीं है, बल्कि यह देश की युवा पीढ़ी की आज़ादी और अधिकारों की बड़ी लड़ाई बन चुका है। कहानी कुछ इस तरह से शुरू हुई कि सरकार ने कुछ लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप्स पर रोक लगा दी। आज के समय में सोशल मीडिया केवल मनोरंजन का जरिया नहीं, बल्कि दोस्त बनाने, अपनी बात रखने और दुनिया से जुड़ने का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। जब ये ऐप्स बंद हो गए तो युवाओं को ऐसा लगा मानो उनकी आवाज़ दबा दी गई हो, उनकी आज़ादी छीनी गई हो।

नेपाल में जो Gen Z प्रोटेस्ट (Gen Z Protest) हो रहा है [X]
नेपाल में जो Gen Z प्रोटेस्ट (Gen Z Protest) हो रहा है [X]

शुरुआत में तो ये विरोध सिर्फ ऑनलाइन ही था। सोशल मीडिया पर लोग अपनी नाराज़गी जता रहे थे, हैशटैग चल रहे थे, लेकिन जल्द ही ये डिजिटल विरोध सड़कों पर आ गया। काठमांडू (Kathmandu) और दूसरे शहरों की सड़कों पर हजारों युवा शांति से प्रदर्शन करने लगे। लेकिन धीरे-धीरे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें होने लगीं, पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया। कुछ जगहों पर हालात इतने खराब हुए कि पुलिस ने रबर बुलेट भी चलाए। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन तक घुसने की कोशिश की और वहां तोड़फोड़ भी की। इसके बाद देश में राजनीतिक माहौल तनावपूर्ण हो गया। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने जेलों में भी तोड़फोड़ की और कैदियों को रिहा किया। सरकार ने सेना को तैनात किया और कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया।

शुरुआत में तो ये विरोध सिर्फ ऑनलाइन ही था।[X]
शुरुआत में तो ये विरोध सिर्फ ऑनलाइन ही था।[X]

हालांकि इन सब के बीच युवाओं का जोश कम नहीं हुआ। वे अपनी आवाज़ बुलंद करते रहे और अंततः सरकार को अपनी गलती माननी पड़ी। कुछ दिनों की कड़ी लड़ाई के बाद सरकार ने सोशल मीडिया ऐप्स पर लगी पाबंदी हटा ली। यह प्रोटेस्ट सिर्फ ऐप्स पर रोक के खिलाफ नहीं था, बल्कि युवाओं की आज़ादी, अपनी पहचान और अपने अधिकारों की लड़ाई थी। यह आंदोलन दिखाता है कि नई पीढ़ी किस तरह अपनी आवाज़ को लेकर जागरूक है और वे बदलाव के लिए कितने संकल्पित हैं।

Also Read: नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन, कई देशों के दूतावासों ने जारी किया संयुक्त बयान

नेपाल में चल रहे Gen Z के इस प्रोटेस्ट ने साबित कर दिया है कि युवा सिर्फ अपने मनोरंजन या सोशल मीडिया के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी आज़ादी, अपने अधिकारों और अपनी आवाज़ के लिए भी लड़ने को तैयार हैं। सोशल मीडिया ऐप्स पर लगी पाबंदी ने उनके अंदर एक ऐसी आग जलाई जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। यह आंदोलन सिर्फ एक तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया है। युवा पीढ़ी ने दिखा दिया कि जब वे एकजुट होते हैं, तो कोई भी शक्ति उन्हें दबा नहीं सकती। नेपाल की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि बदलाव हमेशा बड़े आंदोलन और जागरूकता से ही आता है। आने वाले समय में भी ये युवा ही देश और समाज की दिशा तय करेंगे, अपनी सोच और जुनून से। इसलिए, हमें इनके जज़्बे को समझना और सम्मान देना चाहिए, क्योंकि यही युवा कल के भविष्य के निर्माता हैं। [Rh/SP]

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