उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे बसे शहरों में अब सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में तेजी देखी जाएगी। केंद्र सरकार की 'घाट पे हाट' योजना पर काम करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने पर्यटन के लिए नदी के किनारों को विकसित करने का फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश पर्यटन के प्रधान सचिव, मुकेश मेश्राम ने कहा, "इस राज्य में गंगा का सबसे बड़े हिस्सा है। कई धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण शहर इस खंड के अंतर्गत आते हैं। हम इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए तत्पर हैं। अधकिारियों और विशेषयों की एक टीम नमामि गंगे प्राधिकारियों द्वारा मांगे गए प्रस्ताव पर पहले से ही काम कर रही हैं।"
नमामि गंगे के अधिकारियों ने बताया कि किसानों को नदी के किनारे प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के अलावा, सभी शहरों में लगभग 164 घाटों का निर्माण और सौंदर्यीकरण करने का विचार है। योजना में नदी से संबंधित सभी मुद्दों के समाधान के लिए जिला गंगा समितियों का गठन किया जाएगा।
इन घाटों पर साप्ताहिक बाजारों को लगाने की अनुमति दी जा सकती है, जिनका रख-रखाव समितियों द्वारा नियमित रूप से किया जाएगा। नदी के किनारे पर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का भी विचार किया जाएगा।
मेश्राम ने कहा कि धार्मिक महत्व के अलावा, रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में लिखित, गंगा कई तरह के इतिहास की गवाह होने के अलावा कहानियों, मिथकों का भंडार भी है। यह इसे पर्यटन उद्देश्यों के लिए एक प्राकृतिक आकर्षक बनाता है। अधिकारियों का कहना है कि लाभार्थी राज्यों ने इस विचार पर काम करना शुरू कर दिया है।
यह योजना उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के दो दर्जन से अधिक शहरों में गंगा नदी के 2,520 किलोमीटर लंबे हिस्से को कवर करती है। नदी के किनारे आर्थिक और रोजगार के अवसरों के विकास के साथ-साथ नदी संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
Input : आईएएनएस ; Edited by Lakshya Gupta