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2004: शेख हसीना पर हुए ग्रेनेड हमले के दौरान मौजूद फोटो जर्नलिस्ट ने साझा किया अपना अनुभव

NewsGram Desk

By: सुमी खान

तत्कालीन विपक्षी आवामी लीग की नेता शेख हसीना ने 21 अगस्त, 2004 को उनकी पार्टी की रैली में ग्रेनेड हमले में लगभग अपनी जान गंवा ही दी थी। छायाकार (फोटो जर्नलिस्ट) एस. एम. गोर्की, जो अपने समाचार पत्र के लिए रैली को कवर कर रहे थे, उन्होंने उस दिन का लेखा-जोखा साझा किया है। उन्होंने उस डरावनी घटना के बारे में बताया है, जिसे उन्होंने खुद भी अनुभव किया था।

गोर्की ने शनिवार सुबह आईएएनएस को बताया, "अपा (शेख हसीना) पर भयानक ग्रेनेड हमले के दिन की यादें अभी भी मुझे परेशान करती हैं। मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकता।"

रैली में मौजूद गोर्की ने हसीना से कहा था कि वह उनकी एक अच्छी तस्वीर लेना चाहते हैं। उस वक्त हसीना ने जवाब दिया, "आप तस्वीरें लेना बंद ही नहीं करते हैं! खैर आप लीजिए।"

गोर्की ने हमले में गंभीर रूप से घायल होने के बाद कहा, "अपा जैसे ही मेरे कैमरे में पोज देने के लिए खड़ी हुईं तो 10 सेकंड के भीतर ही पहला ग्रेनेड फेंका गया था। इसके बाद हमारे पास तस्वीर लेने का समय ही नहीं था।"

छायाकार ने कहा, "अभी भी मैं जिंदा हूं, जबकि ग्रेनेड के 150 से अधिक स्प्लिंटर्स मेरे शरीर में घुस गए थे।" छायाकार ने कहा कि उस समय उनके इलाज का सारा खर्च हसीना की सहायता के बाद उनके अखबार 'डेली जुगांतर' द्वारा वहन किया गया था। उन्होंने कहा, "हमें रैली की शुरूआत में विस्फोट के बारे में कोई पता नहीं था। संसद में तत्कालीन विपक्षी नेता अपा को निशाना बनाकर हमला किया गया था।"

शेख हसीना, प्रधानमंत्री, बांग्लादेश (Image: Wikimedia Commons)

भयानक नरसंहार के तुरंत बाद, हसीना को उनकी कार में ले जाया गया। सुरक्षा गार्ड लांस कॉर्पोरल (रिटायर्ड) महबूब की मौके पर ही मौत हो गई। इसके अलावा इस खूनी हमले में 24 लोगों की जान चली गई। गोर्की को उनके कार्यालय की ओर से राजधानी के बंगबंधु एवेन्यू में अवामी लीग की शांति रैली और जुलूस को कवर करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

वह रैली के दौरान ट्रक में अस्थायी मंच की सीढ़ियों के पास मौजूद थे। बाद में वह तस्वीरें लेने के लिए मंच पर चढ़ गए थे। गोर्की ने कहा, "हम मंच पर थे। ग्रेनेड की पहली आवाज सुनने के बाद, ढाका सिटी कॉरपोरेशन के पूर्व मेयर मोहम्मद हनीफ, मोफज्जल हुसैन, शेख हसीना के निजी सुरक्षा गार्ड मामून और कई अन्य नेताओं और कार्यकतार्ओं ने उन्हें बचाया।"

उन्होंने कहा, "मंच के सामने खून-खराबा मचा हुआ था। यह पहचानना मुश्किल था कि कौन मारे गए और कौन घायल हुए। जब मुझे पुलिस संरक्षण में इलाज के लिए ले जाया गया, तो लोगों ने ईंट-पत्थर भी फेंकने शुरू कर दिए।"(आईएएनएस)

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