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एक हिमालयी पौधा हो सकता है कोरोना के खिलाफ लड़ने में कारगर: आईआईटी मंडी

NewsGram Desk

कोविड के खिलाफ नियमित टीकाकरण के अलावा दुनिया भर में अन्य प्रकार की दवाईयों पर अनेक संस्थायें रिसर्च कर रही हैं जो मानव शरीर पर इस विषाणु के आक्रमण को रोक सकती है। इसी क्रम में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं को एक बड़ी सफलता मिली है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने एक हिमालयी पौधे की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की खोज की है जो कोविड संक्रमण के इलाज में करगर साबित हो सकती है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी में स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के बायोएक्स सेंटर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. श्याम कुमार मसाकापल्ली के तर्ज पर एक वक्तव्य में कहा की, अलग अलग तरह के चिकित्सीय एजेंटों में पौधों से प्राप्त रसायनों फाइटोकेमिकल्स को उनकी क्रियात्मक गतिविधि और कम विषाक्तता के कारण विशेष रूप से आशाजनक माना जाता है। टीम ने हिमालयी बुरांश पौधे की पंखुड़ियों में इन रसायनों का पता लगया है। पौधे का वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम है जिसे वहाँ के स्थानीय लोग अलग अलग तरह की बीमारियों में इसका इस्तेमाल करते हैं।

शोधकर्ताओं ने कोविड के खिलाफ लड़ने में कारगर हिमालयी पौधे की खोज: आईआईटी मंडी (Pixabay)

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के वैज्ञानिकों ने इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी), नई दिल्ली के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इस पौधे के रसायनों के अर्क का वैज्ञानिक परीक्षण किया है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के वैज्ञानिक डॉ. रंजन नंदा के अनुसार उनकी टीम ने बुरांश पौधे की पंखुड़ियों की जांच की और पाया कि दुनिया भर में फैले कोरोना के खिलाफ यह काफी हद तक कारगार है। शोधकर्ताओं की टीम ने बुरांश की पंखुड़ियों से फाइटोकेमिकल्स निकालकर इसके एंटीवायरल फायदों को समझने के लिए जैव रासायनिक विश्लेष्ण और कम्प्यूटर मॉडल पर इनका अध्ययन किया। इस टीम के शोध निष्कर्ष बायोमोलेक्युलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स जर्नल में हाल ही में प्रकाशित किए गए हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार बुरांश की पंखुड़ियों को गर्म पानी में रखने पर इनमे मिले अर्क में क्विनिक एसिड और अन्य उत्पाद भरपूर मात्रा में पाए गए। कोशिकीय अध्ययनों से पता चला है कि इन फाइटोकेमिकल्स के वायरस के खिलाफ दो तरह के प्रभाव होते हैं। जो वायरल की प्रतिकृति में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्य एंजाइम पोटिएज और मेजबान कोशिकाओं में वायरल प्रवेश की मध्यस्थता करने वाले मानव एंजियोटेंसिन-रूपातंरित एंजाइम -दो (एसीई )से बंध जाते हैं। शोधकर्ताओं ने प्रयोगात्मक जांच के जरिए यह भी दिखाया कि पंखुड़ियों का अर्क एक अफ्रीकी हरे बंदर के गुर्दे से प्राप्त कोशिकाओं वेरो ई6 कोशिकाओं में कोविड के संक्रमण से बचा सकता है और इस अर्क का कोई भी प्रतिकूल प्रभाव कोशिकाओं पर नही पड़ता। इस विषय पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि प्राप्त पौधे की पंखुड़ियों से प्राप्त नतीजों को देखते हुए इस विषय पर और अधिक वैज्ञानिक अध्ययन की तत्काल आवश्यकता है।

Various source; Edited by Abhay Sharma

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