पेरिस विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप-2003 में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचने वाली लंबी कूद की भारतीय महिला एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने खुलासा किया है कि उन्होंने एक ही गुर्दे (किडनी) के सहारे यह सफलता हासिल की थी। 43 वर्षीय अंजू ने सोमवार को टिवटर पर लिखा, "मानो या न मानो, मैं उन भाग्यशाली लोगों में शामिल हूं, एक किडनी के सहारे विश्व में शीर्ष स्तर पर पहुंची। यहां तक कि मुझे दर्द निवारक दवाईयों से भी एलर्जी थी। कई सीमाएं थी, तब भी मैंने सफलताएं हासिल की। क्या हम इसे कोच का जादू या उनकी प्रतिभा कह सकते हैं।"
अंजू ने पेरिस विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप-2003 में 6.70 मीटर की दूरी तय करते हुए कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा था। इसके बाद उन्होंने मोनाको में 2005 में हुई आईएएएफ विश्व एथलेटिक्स फाइनल्स में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था।
अंजू ने 2002 मैनचेस्टर कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य और उसी साल बुसान एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल भी जीता था। चार साल बाद वह दोहा एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने में सफल रहीं थीं।
केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने अंजू के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा, "अंजू ने अपनी कड़ी मेहनत, धैर्य और प्रतिबद्धता से देश का मान बढ़ाया। अंजू भारत का मान बढ़ाने के लिए यह आपकी कड़ी मेहनत, धैर्य और प्रतिबद्धता थी जिसमें समर्पित कोच और पूरी तकनीकी टीम का सहयोग भी रहा।"(आईएएनएस)