अवंती बाई पुरस्कार देगी छत्तीसगढ़ सरकार (Twitter) 
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अवंती बाई के नाम पर पुरस्कार देगी, छत्तीसगढ़ सरकार

NewsGram Desk

छत्तीसगढ़ सरकार रानी अवंती बाई (Rani Avanti Bai) के नाम पर महिला सशक्तिकरण पुरस्कार देगी। यह ऐलान राज्य के CM भूपेश बघेल ने किया है। बेमेतरा जिले के संबलपुर गांव में वीरांगना रानी अवंती बाई लोधी (Rani Avanti Bai) बलिदान दिवस समारोह में मुख्यमंत्री बघेल ने वीरांगना रानी अवंती बाई लोधी के नाम से छत्तीसगढ़ राज्य में महिला सशक्तिकरण पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की। यह पुरस्कार राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर एक नवम्बर को प्रदान किया जायेगा।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम सन् 1857 की लड़ाई में वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, मंगल पाण्डे का नाम प्रथम पंक्ति में आता है। सन 1857 वीरांगना अवंती बाई लोधी ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
इस मौके पर कांग्रेस प्रवक्ता साधना भारती ने कहा कि विवाह में फिजूल खर्ची रोकने के लिए सामूहिक विवाह को बढ़ावा देने की जरुरत है। प्रदेश सरकार द्वारा भी मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना संचालित की जा रही है। नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। प्रदेश सरकार की यह अनुकरणीय पहल है।

कौन है रानी अवन्तीबाई?

रानी अवंती बाई रामगढ की रानी थी। 1857 की क्रांति में ब्रिटिश शासन के खिलाफ साहस भरे अंदाज़ से लड़ने के लिए उन्हें याद किया जाता है। उन्होंने अपनी मातृभूमि पर ही देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। 1857 की क्रांति में रामगढ़ की रानी अवंतीबाई रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थी, जिसने भारत के इतिहास में एक नई क्रांति लाई। वीरांगना रानी अवंतीबाई का स्वतन्त्रता की आज़ादी में उतना ही योगदान रहा था जितना कि 1857 में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का था।

अवंतीबाई रामगढ़ के राजा विक्रमादित्य की रानी थी। राजा बचपन से ही वीतरागी प्रवृत्ति के थे अत: राज्य संचालन का काम उनकी पत्नी रानी अवंतीबाई ही करती रहीं। अंग्रेजों ने 1857 तक भारत के अनेक भागों में अपने पैर जमा लिए थे जिनको उखाड़ने के लिए रानी अवंतीबाई ने क्रांति की शुरुआत की। और भारत में पहली महिला क्रांतिकारी रामगढ़ की रानी अवंतीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध ऐतिहासिक निर्णायक युद्ध किया जो भारत की आजादी में बहुत बड़ा योगदान है जिससे रामगढ़ की रानी अवंतीबाई उनका नाम पूरे भारत मैं अमरशहीद वीरांगना रानी अवंतीबाई के नाम से हैं। 20 मार्च सन 1858 ई को युद्ध में अपने -आपको चारों तरफ़ से अंग्रेज सेना से घिरा हुआ देख खुद को तलवार से जख्मी कर देश के लिए बलिदान दिया था। शहीदी देते वक्त अवंतीबाई ने जीते जी दुश्मन के हाथ से अंग न छुए जाने की प्रतिज्ञा ली थी।

–आईएएनएस(DS)

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