प्रदेश के प्रगतिशील किसान नई उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। इसी कड़ी में एक अच्छी खबर पिथौरागढ़ से आई है। यहां मुनस्यारी के चेटीचिमला गांव में रहने वाले रहने वाले काश्तकारों को बर्तिया धान के उत्पादन एवं बिक्री का विशेष अधिकार मिल गया है। चेटीचिमला, मुनस्यारी, जिला पिथौरागढ़ के काश्तकारों की धान की विशेष किस्म बर्तिया को पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के तहत पंजीकृत कर लिया गया है। जिसके बाद इस विशेष किस्म के धान के उत्पादन और उसकी बिक्री का अधिकार चेटीचिमला के किसानों के पास होगा।
हिमालय कृषि एवं ग्रामीण विकास स्वायत्त सहकारिता संघ मुनस्यारी के मुख्य कार्यपालक लक्ष्मण सिंह बृजवाल ने विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान को बर्तिया धान के बीज उपलब्ध कराए। जिसके बाद संस्था ने अपनी प्रयोगशाला में परीक्षण के बाद धान को पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के पास भेजा। प्राधिकरण ने डीयूएस परीक्षणों में सफलता के बाद बर्तिया धान को पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण में पंजीकृत कर दिया।
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बर्तिया धान उच्च उपजशीलता और पौष्टिक गुणों से भरी हुई है। यह कई बीमारियों में भी कारगर बताई जाती है। धान की इस प्रजाति का प्रयोग मुख्य रूप से खाजा, च्यूड़ा और खीर आदि बनाने में किया जाता है। धान की किस्म के रजिस्ट्रेशन के बाद क्षेत्र के किसानों को भविष्य में काफी लाभ मिलेंगे। अगर कोई दूसरा इनके इस प्रजाति के बीजों से उत्पादन करेगा तो क्षेत्रीय किसान मुआवजे के हकदार होंगे। संरक्षणकर्ता को इस प्रजाति के उत्पादन और विपणन का विशेष अधिकार होगा। अगर मुनस्यारी बर्तिया धान की यह नई प्रजाति नई किस्म के विकास के प्रयोग में काम आती है तो इसका लाभ पाने का अधिकार भी इन क्षेत्रीय काश्तकारों को होगा।
आईएएनएस(DS)