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जो पार्टियां अपना राजनितिक चरित्र खो चुकी हैं वे लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकती हैं- नरेंद्र मोदी

NewsGram Desk

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने शुक्रवार को संविधान दिवस के कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा की जो पार्टियां अपना राजनितिक चरित्र खो चुकी हैं वे लोकतंत्र(Democracy) की रक्षा कैसे कर सकती हैं। शुक्रवार को संसद के सेंट्रल हॉल में हुए संविधान दिवस(Constitution Day) के कार्यक्रम का 14 विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा की हमारा देश एक परिवार आधारित दलों(Family Based Parties) के रूप में एक संकट की ओर बढ़ रहा है। जो संविधान के प्रति समर्पित लोगों के लिए और लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों के लिए चिंता का विषय है।"

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "एक परिवार के एक से अधिक व्यक्ति योग्यता के आधार पर पार्टी में शामिल होने से पार्टी को वंशवादी नहीं बनाते हैं। समस्या तब उत्पन्न होती है जब एक ही परिवार, पीढ़ी दर पीढ़ी पार्टी चलाई जाती है।"

प्रधानमंत्री ने अफ़सोस जताते की जब राजनितिक दल अपना राजनितिक चरित्र खो देते हैं तो इससे संविधान की भावना और संविधान के वर्ग को चोट पहुंची है। प्रधानमंत्री ने दोषी भ्रष्ट लोगों को भूलने और उनका महिमामंडन करने की प्रवृत्ति के खिलाफ भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, "सुधार का अवसर देते हुए हमें सार्वजनिक जीवन में ऐसे लोगों का महिमामंडन करने से बचना चाहिए।"

प्रधानमंत्री ने बाबासाहेब अंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, महात्मा गांधी जैसी दूरदर्शी महान हस्तियों और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बलिदान देने वाले सभी लोगों को भी श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने कहा कि आज इस सदन को सलामी देने का दिन है, ऐसे ही दिग्गजों के नेतृत्व में काफी मंथन और विचार-विमर्श के बाद हमारे संविधान का अमृत निकला है।

प्रधानमंत्री ने 26/11 के शहीदों को भी नमन किया। उन्होंने कहा, "आज 26/11 हमारे लिए ऐसा दुखद दिन है, जब देश के दुश्मनों ने देश के अंदर आकर मुंबई में आतंकी हमले को अंजाम दिया। देश के वीर जवानों ने आतंकियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। आज मैं उनके बलिदान पर नमन करता हूं।" प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान दिवस भी मनाया जाना चाहिए क्योंकि हमारे मार्ग का लगातार मूल्यांकन होना चाहिए कि यह सही है या नहीं।

पीएम ने कहा, "महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन में अधिकारों के लिए लड़ते हुए भी राष्ट्र को कर्तव्यों के लिए तैयार रहने की कोशिश की थी। बेहतर होता कि देश की आजादी के बाद कर्तव्य पर जोर दिया जाता। 'आजादी का अमृत महोत्सव' में यह कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ना हमारे लिए आवश्यक है ताकि हमारे अधिकारों की रक्षा हो सके।"

Input-IANS ; Edited By- Saksham Nagar

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