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मस्जिद है तो सड़क पर नमाज क्यों?

NewsGram Desk

हमारे देश भारत में लाखों की संख्या में मस्जिद मौजूद हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक इस्लाम और मस्जिद का अस्तित्व माना जाता है। आप लोग सोचिए मस्जिद किस लिए होती है? उत्तर एक ही है नमाज पढ़ने के लिए। लेकिन चंद इस्लामिक चरमपंथियों ने मस्जिद को छोड़ सार्वजनिक स्थल खासतौर पर सड़क पर नमाज पढ़ना शुरू कर दिया है। आज हम लोग इस विषय पर विस्तृत रूप से बात करेंगे।

क्यों चर्चा में है यह विषय?

दिल्ली NCR से सटे गुरुग्राम के सेक्टर 12 में प्रशासन की मौजूदगी में रोड जाम कर के नमाज पढ़ी जाती है। जिसका विरोध काफी लंबे समय से हो रहा है लेकिन पांच नवंबर यानी गोवर्धन पूजन के दिन वही स्थान पर गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पूजा कर हिंदू संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन दर्ज किया गया। इस दौरान सत्तारूढ़ बीजेपी के सदस्य भी संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति द्वारा आयोजित अनुष्ठान में शामिल हुए इनमें भाजपा के फायर ब्रांड नेता कपिल मिश्रा प्रमुख रूप से शामिल थे। जिसके बाद कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया भी देना शुरू कर दिया। तब से यह मामला मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक सब जगह छाया हुआ है।


क्यों पढ़ी जाती है रोड पर नमाज?

हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि मस्जिद नमाज पढ़ने के लिए होती है लेकिन फिर यह प्रथा क्यो शुरू हो गई,"रोड घेर लो ,चादर बिछा लो और नमाज पढ़ लो"। दरअसल माना जाता है कि इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कारण इस्लामिक तुष्टीकरण है। जिसकी शुरुआत कांग्रेस पार्टी ने करी जिसके बाद इसका कारवा क्षेत्रीय पार्टी जैसे समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी जैसी तमाम पार्टियों ने भी आगे जारी रखा।

इस्लाम क्या कहता है रोड पर नमाज पढ़ने के लिए?

देवबंद के उलेमा भी रोड पर नमाज पढ़ना सही नहीं बताते हैं। दरअसल एक बार यूपी की राजधानी लखनऊ में विधानसभा के सामने बीच सड़क पर एक शख्स ने नमाज पढ़ी थी जिस पर सहारनपुर के देवबन्दी उलेमाओ ने गलत बताया था। देवबन्द के आली मुफ्ती अहमद ने इस पर कहा था कि "इस्लाम में इस तरह नमाज पढ़ना सही नहीं है। किसी का रास्ता रोककर नमाज़ नहीं पढ़नी चाहिए। इबादत करने के लिए मस्जिद बनाई गई है। मस्जिद में हीं नमाज अदा करनी चाहिए"। उन्होंने यह भी कहा था मस्जिद इसीलिए बनाई गई है कि ताकि मस्जिदों में ही नमाज पढ़ें।

चंद वोट बैंक को खुश रखने के लिए पढ़ी जाती है रोड पर नमाज!

देवबंद उलेमा की बात से यह स्पष्ट होता है कि रोड पर नमाज पढ़ना इस्लाम में सही नहीं बताया गया है। तो फिर रोड पर नमाज क्यों पड़ी जाती है इसका उत्तर हम लोग पहले ही दे चुके हैं इस्लामिक तुष्टीकरण। दरअसल, कुछ पार्टियों को लगता है कि रोड में नमाज पढ़ा कर इस्लामिक कट्टरपंथियों को खुश कर देंगे और वह उनका वोट हासिल कर लेंगे, पर उनको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि संविधान किसी भी धर्म को यह अधिकार नहीं देता कि वह रोड जाम कर के अपने धार्मिक पद्धतियों का पालन करें।

अंत में यही कह सकते हैं धर्म कोई भी हो लेकिन रोड जाम नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे दिक्कत आम नागरिकों को ही होती है। कल्पना कीजिए अगर नमाज पढ़ी जा रही है इसी बीच में एंबुलेंस में कोई मरीज गंभीर स्थिति में है तो उस व्यक्ति का क्या होता होगा। यह सभी बातें उन पार्टी के राजनेताओं को जरूर सोचना चाहिए जो इस्लामिक तुष्टीकरण के नाम पर यह सब किया करते हैं।

Input: Various Source; Edited By: Lakshya Gupta

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