भारत ने साल 2018 से अपने पड़ोसी देश बांग्लादेश को अधिकतम 577 घुसपैठ सौंपे हैं, जो दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और सीमा पर बसने वाले दोनों ही देशों की आबादी की भलाई को लेकर इनकी सर्वसम्मति को दर्शाता है। इस साल यह संख्या और भी अधिक अच्छी रही है क्योंकि इस दौरान 100 से अधिक लोगों की वतन वापसी कराई गई है।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) (BSF) के अधिकारियों ने कहा कि इन घुसपैठियों को पकड़कर सीमा रक्षक बांग्लादेश (बीजीबी) को सौंप दिया गया है। बता दें कि बीजीबी बांग्लादेश का सीमा सुरक्षा बल है। बांग्लादेश और भारत एक 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।
भारत-बांग्लादेश (India-Bangladesh) की सीमा को सबसे शांतिपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सीमा माना जाता है। दोनों देश अपने बीच के रिश्ते को अक्सर बनाकर रखने की कोशिश करते हैं। दोनों देशों के सीमा रक्षक बलों की फ्लैग मीटिंग के दौरान दोनों ही पक्षों की तरफ से अच्छे संकेत दिखाए जाते हैं।
सौंपे गए इन 577 बांग्लादेशी घुसपैठियों में महिलाएं, बच्चे और पुरुष शामिल थे, जो सीमा के समीप स्थित गांवों से ताल्लुक रखते हैं। (सांकेतिक चित्र, Pixabay)
सौंपे गए इन 577 बांग्लादेशी घुसपैठियों में महिलाएं, बच्चे और पुरुष शामिल थे, जो सीमा के समीप स्थित गांवों से ताल्लुक रखते हैं। अधिकतर ये अवैध घुसपैठिए नौकरी की तलाश में अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) को पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस आते हैं। ये ग्रामीण भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसने में सक्षम हैं क्योंकि दुनिया की पांचवीं सबसे लंबी भूमि सीमा भारत और बांग्लादेश के बीच का अधिकतर हिस्सा झरझरा है।
भारत और बांग्लादेश के बीच की करीब 262 किमी की सीमा रेखा असम, त्रिपुरा से करीब 856 किमी, मिजोरम से करीब 180 किमी, बंगाल से 2217 किमी और मेघालय से 443 किमी की सीमा रेखा मिलती है।
आंकड़ों के अनुसार, इन घुसपैठियों में से 480 पश्चिम बंगाल, 71 त्रिपुरा, 18 मेघालय और आठ असम के रास्ते से भारतीय क्षेत्र में घुसे थे। इन सभी 577 घुसपैठियों को 1 जनवरी 2018 से इस साल 21 मई के बीच बांग्लादेश को सौंप दिया गया। (आईएएनएस-SM)