हम अक्सर देखा है की आतंकवादी हमेशा दिल्ली या मुंबई जैसे महानगरों के भीड़भाड़ वाले इलाकों में विस्फोटक रखने के लिए डस्टबिन का इस्तेमाल करते आएं हैं लेकिन अब भारत ने आतंकियों के मंसूबो पर पानी फेरने के लिए तरीका खोज निकाला है। भारत ने अब एक ऐसे उपकरण का आविष्कार किया हैं जोकि रेडियो एक्टिव पदार्थों व विस्फोटों की तुरंत पहचान कर ऐसे आतंकी हमलों को रोक देगा। इस अविष्कार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भी मदद ली गई है।
दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया की एक फैकल्टी ने मिलकर एक ऐसा डस्टबिन इजात किया है जोकि इंसानो की तरह व्यवहार करता है और कृतिम बुद्धि होने के कारण समझदारी से काम करता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह डस्टबिन अर्ली वार्निंग के ज़रिये रसायनिक हमले और विस्फोटकों से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी (Wikimedia Commons)
भारत के इस आविष्कार को ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा बौद्धिक सम्पदा के रूप में पेटेंट प्रदान किया गया है।
इस आविष्कार का मुख्य उदेश्य कूड़ेदान में फेंके गए विस्फोटक और रदिओधर्मी सामग्री आदि का पता लगाने में सक्षम बनाकर आतंकी वारदातों को रोकना है। डस्टबिन के अनार आगे हुए सेंसर किसी भी हानिकारक वस्तु की पहचान कर संकेत भेजकर सूचित करते हैं।
जामिया मिलिया इस्लामिया के फैकल्टी डॉ. मनसफ द्वारा यह आविष्कार किया गया है। इसमें डॉ. किरण चौधरी, शिवाजी कॉलेज, डीयू, डॉ आलम एसोसिएट प्रोफेसर, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग, और आईओटी प्रयोगशाला, कंप्यूटर विज्ञान विभाग भी इसमें शामिल रहे हैं। इस आविष्कार में और भी कई संस्थानों के शोधकर्ता शामिल थे।
बताना ज़रूरी है की यूएसए की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दुनिया के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठित वैश्विक सूची में जामिया के 16 शोधकतार्ओं को शामिल किया है। यह सूची स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी एमिनेंट प्रोफेसर, , प्रोफेसर जॉन इओनिडिस में विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई है। इसे एल्सेवियर बीवी विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय ने प्रकाशित किया है।
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इस लिस्ट में भारत से कुल 3352 शोधकर्ताओं जोकि वैश्विक स्तर पर देश के बहुमूल्य प्रभाव का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें 16 शोधकर्ता जामिया मिलिया इस्लामिया से सम्बंधित है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दो अलग-अलग सूचियां जारी की पहली प्रतिष्ठित सूची करियर-लॉन्ग डेटा पर आधारित है जिसमें 08 जामिया प्रोफेसरों ने अपनी जगह बनाई। वर्ष 2020 के प्रदर्शन की दूसरी सूची में संस्थान के 16 वैज्ञानिक हैं।
Input-IANS; Edited By-Saksham Nagar