भारत(india) और अमेरिका(America) के विशेषज्ञों ने शनिवार को कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) के माध्यम से जलवायु परिवर्तन (Environment change) से निपटने के लिए विभिन्न तकनीकों पर चर्चा करते हुए कहा कि वे 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में से पांच – जलवायु कार्रवाई, स्वच्छ ताकत, उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा, खपत और उत्पादन जैसे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए साझेदारी की है। विज्ञान विभाग के सचिव एस.चंद्रशेखर ने कहा, "सख्त जलवायु व्यवस्था के तहत हम उत्सर्जन कटौती प्रौद्योगिकियों के पोर्टफोलियो के सही संतुलन की पहचान और अपनाने का एहसास कर सकते हैं। ग्लासगो में हाल ही में संपन्न सीओपी-26 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के उल्लेखनीय प्रदर्शन के साथ-साथ महत्वाकांक्षाओं को सामने लाया। दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद हम जलवायु लक्ष्यों को पूरा करेंगे।"
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के कार्बन कैप्चर पर पहली कार्यशाला में अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा, "पीएम ने हम सभी को 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन राष्ट्र बनने को कहा है।" उन्होंने सीसीयूएस के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले आरडी एंड डी की दिशा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की हालिया पहलों के बारे में भी जानकारी दी।
भारत, अमेरिका के विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चर्चा की ( Pixabay )
उन्होंने बताया कि डीएसटी सीसीयूएस के क्षेत्र में सहयोगी आरडी एंड डी के लिए अमेरिका सहित अन्य सदस्य देशों के साथ मिशन इनोवेशन एंड एक्सेलेरेटिंग सीसीयूएस टेक्नोलॉजीज (एसीटी) जैसे अंतर्राष्ट्रीय बहुपक्षीय प्लेटफार्मो का हिस्सा बन गया है।
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी (यूएसडीओई) के जीवाश्म ऊर्जा और कार्बन प्रबंधन कार्यालय (एफईसीएम) के कार्यवाहक सहायक सचिव जेनिफर विलकॉक्स ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए नई तकनीकों के विकास में एक मूल्यवान भागीदार है। (आईएएनएस – AS)