इस बीच एक और बड़े बदलाव की सुगबुगाहट तेज है कि जम्मू-कश्मीर को भी दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा। (Wikimedia Commons)  
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जम्मू-कश्मीर में कुछ बड़ा करने की योजना बना रहा है केंद्र?

NewsGram Desk

नई दिल्ली की ओर से जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में कुछ बड़ा करने की योजना बनाने की सुगबुगाहट के बीच, शीर्ष सूत्रों ने बुधवार को आईएएनएस को बताया कि केंद्र सरकार का ध्यान दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर है।

यह दो महत्वपूर्ण मुद्दे हैं : क्या निलंबित अमरनाथ यात्रा को फिर से शुरू किया जा सकता है और साल के अंत से पहले विधानसभा चुनाव हो सकते हैं या नहीं।

सूत्रों की मानें तो बहुत कुछ कोविड-19 (Covid-19) की स्थिति पर निर्भर करता है, जिसमें पिछले एक सप्ताह के दौरान लगातार सुधार दिख रहा है। नई दिल्ली के एक शीर्ष सूत्र ने आईएएनएस को बताया, अगर स्थिति सही रहती है तो यह साल खत्म होने से पहले विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या ये चुनाव तब तक हो सकते हैं, जब तक परिसीमन आयोग अपना काम पूरा नहीं कर लेता, इस पर सूत्र ने कहा, आपको क्यों लगता है कि परिसीमन आयोग इस साल अपना काम पूरा नहीं कर सकता है? सूत्र ने कहा, आयोग ने विभिन्न जिला विकास आयुक्तों से डेटा और जनसंख्या विभाजन आदि एकत्र करने की अपनी जमीनी स्तर की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

सूत्र ने कहा, सांख्यिकीय बैक-अप तैयार होने के बाद, आयोग नए विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के अपने अंतिम कर्तव्य को मार्गदर्शक सिद्धांत के आधार पर शुरू करेगा ताकि दोनों क्षेत्रों एवं विभिन्न जातियों, जनजातियों और समुदायों को एक समान चीजें मिल सके।

जमीनी घटनाक्रम यह भी संकेत देते हैं कि विभिन्न राजनीतिक दल भी अब निष्क्रियता (हाइबरनेशन) से बाहर आने लगे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी), अपनी पार्टी और अन्य दलों के नेताओं ने अपने जमीनी स्तर के कैडर को सक्रिय करना शुरू कर दिया है।

जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार का ध्यान दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर है। (Wikimedia Commons)

नेकां संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला बुधवार को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती से मिलने वाले हैं। इन दोनों दलों के सूत्रों का कहना है कि बैठक में इन दलों के नए परिसीमन और कुछ जनजातियों, नस्लों और समुदायों के प्रतिनिधित्व में वृद्धि पर अपना दृष्टिकोण रखने के लिए परिसीमन आयोग की बैठकों में भाग लेने पर निर्णय लेने की संभावना है।

सूत्रों ने कहा कि नेकां संरक्षक क्षेत्रीय दलों के लिए परिसीमन विचार-विमर्श में भाग लेने के महत्व को रेखांकित कर रहे हैं। परिसीमन आयोग का विस्तारित कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त हो रहा है, लेकिन आयोग के कामकाज से जुड़े लोगों का सुझाव है कि यह अपने विस्तारित कार्यकाल की समाप्ति से पहले अपनी अंतिम रिपोर्ट देगा।

गुर्जर, बकरवाल जैसे आदिवासी, पहाड़ी, डोगरा जैसी जातियों और कश्मीरी पंडितों जैसे समुदायों को उम्मीद है कि परिसीमन आयोग जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उनके कम प्रतिनिधित्व को समाप्त कर देगा। जम्मू-कश्मीर में वर्तमान राजनीतिक परि²श्य को देखते हुए यह मान लेना तर्कसंगत है कि कोई भी राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया से बाहर रहना नहीं चाहेगा। नेकां के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने का अनुरोध करते हुए कहा, बाहर का मतलब राजनीति से बाहर होगा।

दूसरी प्राथमिकता पर बात की जाए तो निलंबित अमरनाथ यात्रा की बहाली को लेकर भी फैसला लिया जा सकता है। अधिकारियों की राय है कि हजारों तीर्थयात्रियों के साथ सामान्य यात्रा संभव नहीं हो सकती है, फिर भी अमरनाथ यात्रा सभी धार्मिक औपचारिकताओं के साथ और इस वर्ष न्यूनतम भागीदारी के साथ आयोजित की जानी चाहिए।

इस बीच एक और बड़े बदलाव की सुगबुगाहट तेज है कि जम्मू-कश्मीर को भी दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा। जम्मू को एक अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का दर्जे दिए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। (आईएएनएस-SM)

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