ब्लॉग

पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर जानें उनके अनमोल विचार।

NewsGram Desk

भारत के इतिहास में 27 मई का दिन काफी अहम माना जाता है। यह वही तारीख है, जिस दिन वर्ष 1964 में हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) की हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई थी। साल 1962 में भारत – चीन युद्ध के दौरान मिली हार के बाद से नेहरू जी का कार्यकाल कुछ धीमा पड़ गया था। उनके कार्यकाल का यह सबसे बुरा दौर भी माना जाता है। आज उनकी 57वीं पुण्यतिथि पर पूरा भारत उनको नमन कर रहा है। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) समेत कई नेताओं ने नेहरू जी को श्रद्धांजलि दी है। 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट के माध्यम से कहा "बुराई अनियंत्रित होती है। अगर आप इसे सहन करते हो तो ये पूरे सिस्टम को जहरीला कर देती है।"

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने भी नेहरू जी को याद किया। ट्वीट के माध्यम से उन्होंने कहा "पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन। 

भारत की आजादी में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश को आजादी दिलाने में अग्रिम भूमिका निभाई थी। जिस समय देश आजाद हुआ, उस समय देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति अत्यंत खराब थी। उस समय उन्होंने देश को संभाला और देश को तरक्की के रास्ते पर अग्रसर किया। स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में ख्याति अर्जित की है। यह जान लेना भी जरूरी है कि, नेहरू जी पहले प्रधानमंत्री थे (Prime Minister of India), जिन्होंने 17 साल देश तक देश की बागडोर संभाली थी। 

आइए आज हम पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर उनके द्वारा कहे गए कुछ अनमोल विचारों को याद करें और उनकी विद्वता को जानें।

  • एक नेता और एक कर्मशील पुरुष संकट के समय लगभग हमेशा ही पहले अपने अंतस की आवाज के अनुसार काम करते हैं फिर बाद में उस काम को करने के कारण खोजते हैं|
  • जो व्यक्ति अधिकतर अपने ही गुणों का बखान करता रहता है, वो अक्सर सबसे कम गुणी होता है|
  • शांति राष्ट्रों का सम्बन्ध नहीं है| यह एक मन: स्थिति है जो आत्मा की निर्मलता से आती है| शांति सिर्फ युद्ध का अभाव नहीं है, यह मन की एक अवस्था है|
  • हम वास्तविकता में क्या हैं यह अधिक मायने रखता है बजाय इसके कि लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं|
  • जीवन ताश के पत्तों के खेल की तरह है| आपके हाथ में जो है वह नियति है, जिस तरह से आप खेलते हैं वह स्वतंत्र इच्छा है|
  •  नागरिकता देश की सेवा में होती हैं।
  • लोकतंत्र अच्छा है| मैं ऐसा इसलिए कहता हूं क्योंकि अन्य प्रणालियां इससे बदतर हैं।
  • अगर मैं आश्वस्त हूँ कि मैं सही कदम उठा रहा हूँ, तो वह कदम ही मुझे संतुष्टि प्रदान करता है|

डॉ. मुनीश रायज़ादा ने बिजली के बढ़े हुए बिलों के मुद्दे को हल करने में विफल रहने के लिए आप सरकार की आलोचना की

भारतीय लिबरल पार्टी (बीएलपी) दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में सभी 70 विधानसभाओं पर चुनाव लड़ेगी

कभी रहे खास मित्र, अब लड़ रहे केजरीवाल के खिलाफ चुनाव। कौन हैं मुनीश रायज़ादा?

नई दिल्ली विधानसभा (AC - 40) से केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे डा मुनीश रायज़ादा

भारतीय लिबरल पार्टी (बीएलपी) के अध्यक्ष डॉ. मुनीश रायज़ादा ने शहर में प्रदूषण के मुद्दे को हल करने में विफलता के लिए आप सरकार को ठहराया जिम्मेदार।