यूं तो पाकिस्तान के किस्से कम नहीं है। लेकिन हाल ही में एक सिंधी लेखक (Sindhi Author) ने पाकिस्तान (Pakistan) को दुनिया भर में इस्लाम की छवि पर धब्बा बताया है। लेखक का कहना है कि पाकिस्तान जैसे मुल्क का विचार कुरान की शिक्षाओं के विपरीत है। उनका कहना है कि, जिन मुसलमानों को यह ज्ञात है कि पाकिस्तान क्यों बनाया गया था उन्हें इस तथ्य को भी समझना चाहिए कि पाकिस्तान दुनिया भर में इस्लाम की छवि पर धब्बा है।
लेखक का कहना है कि, न तो कुरान और न ही हदीस यह सिखाता है कि मुसलमानों को गैर – मुसलमानों के साथ नहीं रहना चाहिए। इसके विपरित कुरान (Quran) में कहा गया है कि अल्लाह आपको उन लोगों के साथ रहने से मना नहीं करता जो धर्म के कारण आपसे नहीं लड़ते हैं। आपको घरों से नहीं निकालते हैं। अल्लाह ऐसे लोगों के प्रति न्ययापूर्ण व्यवहार बनाए रखने को कहता है। क्योंकि अल्लाह नेकी करने वालों को पसंद करता है। (कुरान 60:8)
लेकिन पाकिस्तान के विचार, कुरान की शिक्षाओं से बिल्कुल विपरीत है। आइए पाकिस्तान के विचार को समझा जाए।
पाकिस्तान का कहना है मुसलमान उन हिन्दुओं के साथ नहीं रह सकते जो एक ही देश के हैं। जो एक ही भाषा बोलते हैं। एक साथ पले – बड़े हैं। जिन्होंने देश की आजादी के लिए एक साथ संघर्ष किया वहीं मुसलमान उन हिन्दुओं के साथ नहीं रह सकते, जो सैकड़ों वर्षों से उनके पड़ोसी भी हैं। लेखक ने कहा कि इससे ज्यादा शर्मनाक दुनिया के मुसलमान (Muslims) के लिए क्या हो सकता है? यही वजह है कि पाकिस्तान के निरंतर अस्तित्व के साथ इस्लाम विश्व स्तर पर शर्मिंदा है। पाकिस्तान यह भी घोषित करता है कि मुसलमान सात्विक रूप से लोकतंत्र का विरोधी हैं। लेखक ने यह भी बताया कि, पाकिस्तान का अस्तित्व मुसलमानों को अन्य धर्मों के प्रति असहीषुण के रूप में भी दर्शाता है जो कि बिल्कुल सच नहीं है।
लेखक ने पाकिस्तान की मूलभूत खामियों को सामने लाने का प्रयास किया है। वह बताते हैं कि पाकिस्तान किस तरह से इस्लामिक राज्य इराक और सीरिया की तरह इस्लाम को बदनाम कर रहा है। लेखक ने बताया कि विश्व समुदाय ने ISIS के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उनका सफाया कर दिया था। लेकिन पाकिस्तान ISIS की विचारधारा को मानता है। उसी पर आधारित है और इसलिए ISIS आज भी मौजूद है।
सिंधी लेखक ने पाकिस्तान को इस्लाम की छवि पर धब्बा बताते हुए कहा है कि, पाकिस्तान की नींव ही इसका मुख्य कारण है। लेखक ने पाकिस्तान के निर्माण तक की घटनाओं का संक्षिप्त विवरण दिया है। जिससे आज की मुस्लिम दुनिया को यह समझने में मदद मिलेगी की पाकिस्तान को क्यों इस्लाम की छवि खराब करने वाले राज्य के रूप में घोषित करना आवश्यक है।
लेखक बताते हैं कि अधिकांश पाकिस्तानियों का मानना है कि "पाकिस्तान देश" का विचार लाहौर घोषणा 1940 द्वारा घोषित किया गया था। यहां तक की पाकिस्तान ने उस स्थान पर स्मारक भी बनाया जहां यह घोषणा पारित हुआ था और वह इसे "माइनर- ए – पकिस्तान" कहते हैं।
"माइनर- ए – पकिस्तान" (Wikimedia Commons)
लेकिन लेखक ने बताया कि पाकिस्तान में बाकी सब चीजों की तरह पाकिस्तानियों का यह विश्वास भी झूठा है। एक भ्रम है।
पूरा सच यह है कि, जिस स्थान पर प्रस्ताव पारित किया गया था वह एक पार्क था जिसे मिंटो पार्क (Minto Park) कहा जाता है। जहां लोग अक्सर अपने परिजनों और दोस्तों ने साथ घूमने आया करते थे। उस वक्त यहीं पर मुस्लिम लीग ने अपना वार्षिक सत्र आयोजित किया था, मुख्य रूप से भारत सरकार अधिनियम 1935 (Government of India Act 1935) का विरोध किया गया था। इस सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें कहा गया कि जिन क्षेत्रों में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, उन्हें स्वायत्त संप्रभु राज्य घोषित किया जाना चाहिए। लेकिन आपको बता दें कि इसमें पाकिस्तान नामक किसी स्वतंत्र देश का आह्वाहन नहीं किया गया था। 1917 को छोड़कर कभी भी धर्म के नाम पर राज्य बनाने का कोई उदाहरण कभी नहीं रहा।
1940 की लाहौर घोषणा, 1917 के बालफोर घोषणा के समान है। क्योंकि दोनों राष्ट्र अपने नागरिकों को धार्मिक पहचान के आधार पर प्रचारित करते हैं न कि प्रस्तावित राज्य की किसी भी ऐतिहासिक प्रासंगिता के आधार पर। हालांकि दोनों में मूल भूत अंतर है। पहला तो यह है कि ब्रिटिश थे जिन्होंने एक यहूदी मात्रभूमि की मांग की थी न कि स्वयं यहूदी समुदाय। पाकिस्तान के मामले में भी यह भारत ने की थी कि मुसलमान, गैर – मुसलमानों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से एक साथ नहीं रह सकते।
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सिंधी लेखन ने आगे बताया कि इजरायल के निर्माण के बाद से लगभग हर इस्लामी राष्ट्र ने किसी न किसी समय इजरायल के खिलाफ जिहाद की घोषणा की है। हालांकि देखा जाए तो पाकिस्तान ने वास्तव में इस्लाम को अधिक नुकसान पहुंचाया है। जो की इजरायल ने कभी नहीं किया। यहां तक कि मुस्लिम जगत ने फिलिस्तीन में एक यहूदी (Jewish) राज्य के निर्माण का विरोध किया है। लेकिन मुस्लिम जगत ने गलत तरीके से निर्मित पाकिस्तान का विरोध कभी नहीं किया है।
सिंधी लेखन का कहना है कि, पाकिस्तान का निर्माण ही त्रुटि पूर्ण है और इस्लाम के सिद्धांत के खिलाफ है इसलिए पाकिस्तान के निर्माण के कारण को विवादित इकाई घोषित करना पूरे मुस्लिम जगत का कर्तव्य है। यदि इजरायल का निर्माण इस्लमा सिद्धांत के खिलाफ है तो पाक का निर्माण भी इसके खिलाफ है। इसलिए हर राष्ट्र जो इजरायल (Israel) के निर्माण का विरोध करता है उसे पाकिस्तान के अस्तित्व का भी विरोध करना चाहिए।
(उक्त दिए गए तथ्य न्यूजकॉमवर्ल्ड newscomworld में छपे आलेख से लिए गए हैं।)