अमेरिका का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) और सैन जोस स्टेट यूनिवर्सिटी (एसजेएसयू) ने एक रिपोर्ट में बताया कि तालिबान शासन से अफगान की महिलाओं और लड़कियों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। बीते अगस्त से ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) और सैन जोस स्टेट यूनिवर्सिटी (एसजेएसयू) ने संयुक्त रूप से तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के गजनी में महिलाओं की स्थिति को देखा है।
अफगानिस्तान में तालिबान शाशन के बाद महिलाओं और लड़कियों के माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है साथ ही धार्मिक अध्ययन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव भी किया गया। वे तय करते है कि महिलाओं को क्या पहनना चाहिए, उन्हें कैसे यात्रा करनी चाहिए, कार्यस्थल पर महिलाओं को लिंग के आधार अलग करना साथ ही तालिबानी यह भी तय करतें है कि महिलाओं को किस तरह का फ़ोन इस्तेमाल करना चाहिए और वह इन सभी नियमों को धमकी और निरीक्षण के माध्यम से लागू करते हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान की नेतृत्व वाली सरकार ने अधिकार-उल्लंघन करने वाली नीतियां लागू की हैं, जिससे महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और शिक्षा में बड़ी बाधाएं उतपन्न हुई हैं। महिलाओं एवं लड़कियों को कहीं आने-जाने से लेकर अभिव्यक्ति और निजी स्वतंत्रता को कम कर दिया गया है।
जोस स्टेट यूनिवर्सिटी (एसजेएसयू) के ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूट की एक कोर फैकल्टी सदस्य और अफगानिस्तान पर एक विशेषज्ञ हलीमा काजेम-स्टोजानोविक ने कहा, अफगान महिलाएं और लड़कियां अपने सपनों, अधिकारों एवं बुनियादी अस्तित्व को बचाने के लिए जोखिमों का सामना कर रहा रही हैं।
महिलाएं आज तालिबान की नेतृत्व वाली सरकार में असुरक्षित है। (Wikimedia Commons)
हाल ही में एचआरडब्ल्यू और एसजेएसयू ने अफगानिस्तान के ग़जनी प्रांत की दस महिलाओं से रिमोटली (दूर से) साक्षात्कार किया जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सेवाओं और व्यवसाय में काम करने वाली पूर्व छात्राएं शामिल थीं। छात्राओं ने खाने पीने के समान, परिवहन और स्कूली किताबों के बढ़ते दामो के बारे में चर्चा की।
इनमे से कई महिलाओं का घर उनकी वजह से चल रहा था लेकिन अब तालिबान की नीतियों के कारण महिलाएं काम पर नही जा सकती जिसकी वजह से उन्हें एवं उनके परिवार को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी प्रशासन में काम करने वाली एक महिला ने कहा कि हमारा भविष्य अंधकार में दिख रहा है। उन्होंने कहा, मेरे कई सपने थे, पढ़ाई और काम करना जारी रखना चाहती थी। मैं अपने मास्टर की पढ़ाई करने की सोच रही थी लेकिन अब तालिबान लड़कियों को हाई स्कूल खत्म करने की अनुमति नही देता।
महिलाएं आज तालिबान की नेतृत्व वाली सरकार में असुरक्षित है क्योंकि तालिबान ने औपचारिक पुलिस बल और महिला मामलों के मंत्रालय को नष्ट कर दिया है। वे समुदायों से पैसे और भोजन की उगाही कर रहे हैं और उन महिलाओं को डराने के लिए निशाना बना रहे हैं, जिन्हें वे दुश्मन के रूप में देखते हैं, जैसे कि विदेशी महिला संगठन के लिए काम करने वाले और पिछली अफगान सरकार। अफगानिस्तान की अधिकतर महिलाओं ने तालिबान के अधिग्रहण के बाद से गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला दिया, जिसमें भय, चिंता, निराशा, अनिद्रा जैसी दिक्कतें शामिल हैं।
यह भी पढ़ें – घर से भाग कर आतंकवादी समूह आईएस में शामिल होने वाली हुदा मुथाना को यूएस सुप्रीम कोर्ट का झटक
एचआरडब्ल्यू की सहयोगी महिला अधिकार निदेशक हीथर बर्र ने कहा, अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के लिए संकट बिना किसी अंत के बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, तालिबान की नीतियों ने तेजी से कई महिलाओं और लड़कियों को उनके घरों में आभासी (वर्चुअल) कैदियों में बदल दिया है, जिससे देश अपने सबसे कीमती संसाधनों में से एक, आधी आबादी के कौशल और प्रतिभा से वंचित हो गया है।(आईएएनएस-AS)