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सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के बाद भी हुआ पीड़ित का “टू फिंगर टेस्ट”

Tanu Chauhan

"टू फिंगर टेस्ट" एक बार फिर से चर्चा का विषय बना हुआ है। यह मामला भारतीय वायु सेना से जुड़ा हुआ है। जब भारतीय वायु सेना की एक महिला ऑफिसर ने अपने सहयोगी पायलट लेफ्टिनेंट पर रेप का आरोप लगाते हुए वायु सेना के अधिकारियों से शिकायत की। महिला का आरोप है कि इस मामले पर कोई कार्यवाही ना होने के कारण उसने पुलिस की सहायता ली और अपनी शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई। इसके बाद आरोपी अमितेश हरमुख श को 10 सितंबर को हिरासत में लिया गया।

महिला ऑफिसर ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहा कि 10 सितंबर को उनके पैर में चोट लग गई थी, जिस कारण उन्होंने दर्द निवारण की दवा ली थी और उसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों के साथ दो ड्रिंक पी थी, जिसमें से एक ग्लास आरोपी द्वारा परोसा गया। महिला अधिकारी ने दावा किया कि जब वह बेहोशी की हालत में थी, तब उसने आरोपी को कमरे में घुसते देखा और उसका यौन शोषण किया। महिला ऑफिसर ने आगे एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि "उनकी रेप की पुष्टि के लिए उनका टू फिंगर टेस्ट कराया गया"।

"टू फिंगर टेस्ट" एक बार फिर से चर्चा का विषय बना हुआ है।सुप्रीम कोर्ट द्वारा टू फिंगर टेस्ट पर रोक लगी हुई है। (Pexels)

सुप्रीम कोर्ट द्वारा टेस्ट पर प्रतिबंध

सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में टू फिंगर टेस्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था। कोर्ट ने लीलू और एनआर बनाम हरियाणा राज्य में कहा कि टू-फिंगर टेस्ट नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने इस टेस्ट को गैरकानूनी बताया। कोर्ट ने कहा इस टेस्ट को करने वाले डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। विडंबना यह है कि सुप्रीम कोर्ट के "बैन" करने के बावजूद भी यह टेस्ट किए जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने इस परीक्षण पर अपनी टिप्पणी देते हुए इसे अवैज्ञानिक बताया।

हाल ही में महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयूएचएस) ने 'फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी' विषय के लिए अपना पाठ्य विवरण बदल दिया है। इसमें 'कौमार्य के लक्षण' विषय को हटा दिया गया है जो मेडिकल द्वितीय वर्ष के छात्रों को पढ़ाया जाता है।

आखिर क्या है यह "टू फिंगर टेस्ट"

यह रेप पीड़ितों के ऊपर टेस्ट किया जाता है। जहां डॉक्टर पीड़ित के गुप्त भाग में दो उंगली डालकर उसकी कौमार्य का टेस्ट करते हैं। इससे यह पता लगाया जाता है कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे या नहीं और क्या वह सेक्शुअली एक्टिव थी या नहीं। परंतु "टू फिंगर टेस्ट" की यह प्रक्रिया अवैज्ञानिक मानी जाती है, क्योंकि यह टेस्ट कभी सटीक जानकारी नहीं देता। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे यह पता लगा पाना मुश्किल है कि पीड़ित का रेप हुआ है या नहीं और उनका यह भी कहना है कि इस टेस्ट पीड़ित को ना केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से कमजोर बना देती है और यह काफी पीड़ादायक साबित भी होता है। हम आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा टू फिंगर टेस्ट पर रोक लगी हुई है परंतु बावजूद इसके यह सिलसिला आज भी चला आ रहा है, जो एक बहुत दुखद घटना है।

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