सत्याग्रह का सामन्य अर्थ होता है "सत्य का आग्रह।" सर्वप्रथम इसका प्रयोग महात्मा गांधी द्वारा किया गया था। उन्होंने भारत में कई आंदोलन चलाए, जिनमें चंपारण, बारदोली, खेड़ा सत्याग्रह आदि प्रमुख। हैं। सत्याग्रह स्वराज प्राप्त करने और सामाजिक संघर्षों को मिटाने का एक नैतिक और राजनीतिक अस्त्र है। आज हम ऐसे ही एक सत्याग्रह की बात करेंगे जिसे गांधी जी से प्रेणा लेकर शुरू किया गया था।
"चंदा बंद सत्याग्रह" जिसे No List No Donation के नाम से भी जाना जाता है। यह आम आदमी पार्टी के विरुद्ध एक अमरीकी डॉक्टर वह NRI सेल के सह-संयोजक डॉ. मुनीश रायजादा द्वारा साल 2016 में शुरू किया गया था। डॉ. मुनीश जब आम आदमी पार्टी से जुड़े थे, तब उन्हें पार्टी के NRI सेल का सह-संयोजक नियुक्त किया गया था।
चंदा बंद सत्याग्रह, डॉ. मुनीश रायजादा (Dr. Munish Raizada) द्वारा आम आदमी पार्टी की फंडिंग को पारदर्शी किए जाने और चंदे की पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए शुरू किया गया था। आपको बता दें कि, AAP पार्टी एक बुनियादी सिद्धांत वित्तीय पारदर्शिता के साथ सत्ता में आई थी। उनका कहना था कि AAP जनता से जो भी पैसा लेगी, उनको वेबसाइट के माध्यम से जनता को दान किए गए सभी रिकॉर्ड दिखाएगी। पार्टी ने दावा किया था कि वह जनता के प्रति जवाबदेह होगी और जनता के हितों के लिए काम करेगी। पार्टी ने शुरुआती कुछ दिनों तक सूची को सार्वजनिक रूप से दिखाया। लेकिन जून 2016 में सत्ता में आने के बाद पार्टी ने वेबसाइट से दानदाताओं की सूची को दिखाना बंद कर दिया। इससे आम आदमी पार्टी के कई प्रमुख समर्थकों और स्वयंसेवकों का मोहभंग हो गया। उस समय सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और डॉ. मुनीश रायजादा ने अपने पत्र के माध्यम से अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से अपने सिद्धांतों पर वापस लौटने की मांग भी उठाई थी। आम आदमी पार्टी को चंदा देने वालों और चुनाव आयोग को सौंपी गई सूची में विसंगति को लेकर आयकर विभाग ने आम आदमी पार्टी को नोटिस भी भेजा था लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
जिसके बाद ही डॉ. मुनीश रायजादा ने पार्टी के खिलाफ चंदा बंद सत्याग्रह का अभियान शुरू किया था। डॉ. मुनीश सहित अन्य सभी स्वयंसेवक और सहभागियों ने नई दिल्ली के राजघाट पर जमीनी स्तर पर सत्याग्रह शुरू किया था। इस अभियान के तहत उस समय एकल बिंदु प्रश्नावली शुरू की गई थी, ताकि जनता की राय को भी दर्ज किया जा सके। उस समय चंदा बंद सत्याग्रह के सत्याग्रहियों ने बैनर और तख्तियों के साथ दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर खड़े होते हुए यह संदेश जनता तक पहुंचाया की आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) को तब तक दान न करने का संकल्प लें, जब तक वह अपनी राजनीतिक फंडिंग को सार्वजनिक नहीं कर देते।
उस वक्त इस सत्याग्रह के तहत 15,000 से भी अधिक लोगों ने प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर किए थे। अनाधिकृत कॉलोनी विकास संघ, जिसमें 26 रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन शामिल हैं, ने भी चंदा बंद सत्याग्रह (Chanda Bandh Satyagraha) को समर्थन दिया था। बड़ी संख्या में इस सत्याग्रह को लोगों का समर्थन मिला था। अलग – अलग राज्यों और सबसे अधिक पंजाब से आए लोगों ने इस सत्याग्रह का समर्थन किया था।
उस समय AAP के खिलाफ इस सत्याग्रह अभियान को बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन मिला था। (File Photo)
डॉ. मुनीश रायजादा सहित अन्य सभी सत्याग्रहियों ने AAP से कुछ विशिष्ट शर्तों को पूरा करने की मांग उठाई थी। पहला, जनता द्वारा दिए गए दान को सार्वजनिक डोमेन में रखा जाए। सभी दान दाताओं को नाम से खोजा जाना चाहिए न की केवल रसीद संख्या के माध्यम से। 2014 के बाद की गुम बैलेंस शीट को सार्वजनिक किया जाए और पार्टी को संदिग्ध रूप से जो 2 करोड़ रूपये मिले थे उसकी जांच की जानी चाहिए।
उस समय AAP के खिलाफ इस सत्याग्रह अभियान को बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन मिला था। लेकिन इतने समर्थन और सवाल – जवाब के बावजूद पार्टी की तरफ से कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया। प्रयास अब भी जारी हैं लेकिन पार्टी कोई जवाब नहीं देती है। एक आम आदमी के रूप में आए व्यक्ति ने न केवल चंदे में हेरा–फेरी की, बल्कि सत्ता के लालच में वह जानता से किए वादों को भी भूल बैठा। इन सवालों की खोज में ही डॉ. मुनीश रायजादा द्वारा वर्ष 2020 में एक Transparency: Pardarshita वेब सीरीज का निर्माण किया गया था। यह सीरीज चंदे की पारदर्शिता के लिए एक आम-आदमी द्वारा किए गए संघर्ष को उजागर करती है।