26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस (Republic Day) की परेड में सीमा सुरक्षा बल (BSF) की ऊंट (Camel) सवार टुकड़ी में पहली बार बल की महिला कर्मी, पुरुष जवानों के साथ भाग लेगी। इन महिला कर्मियों के लिए खास मौके पर राजसी पोशाक भी तैयार की गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
सीमा सुरक्षा बल की प्रसिद्ध ऊंटसवार टुकड़ी 1976 से गणतंत्र दिवस समारोहों का हिस्सा रही है। इससे पहले तक सेना की इसी तरह की टुकड़ी इसमें भाग लेती थी। अब पहली बार ऐसा होने जा रहा है, जहां बीएसएफ की महिला कर्मी भी अपने पुरूष समकक्षों के साथ ऊंट सवार टुकड़ी का हिस्सा बनेगी। बीएसएफ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह के निर्देश पर राजस्थान की 15 महिला कर्मियों को ऊंट सवार टुकड़ी में शामिल होने का प्रशिक्षण दिया गया है।
बीएसएफ के प्रवक्ता ने बताया कि इस खास मौके पर महिला कर्मी एक राजसी पोशाक में नजर आएंगी, जिसमे भारतीय (Indian) और राजस्थानी (Rajasthani) संस्कृति की झलक दिखाई देगी। महिला प्रहरियों के लिए प्रसिद्ध डिजाइनर राघवेंद्र राठौर द्वारा डिजाइन की गई यह वर्दी भारत के कई कीमती शिल्प रूपों का प्रतिनिधित्व करती है। जानकारी के मुताबिक बीएसएफ कैमल कॉन्टिजेंट ब्रांड के लिए महिला प्रहारियों की वर्दी के डिजाइन में राजस्थान के इतिहास और सांस्कृतिक तत्वों को शामिल किया गया है।
पाघ राजस्थान के लोगों के सांस्कृतिक पहनावे का एक अनिवार्य तत्व
बीएसएफ ने बताया कि इसमें बनारस के विभिन्न ट्रिम्स के लिए हाथ से तैयार किए गए जरदोजी के काम वाले बनावट वाले कपड़े को 400 साल पुरानी डंका तकनीक में बनाया गया है। वर्दी को आकर्षक पाघ के साथ स्टाइल किया गया है। पाघ राजस्थान के लोगों के सांस्कृतिक पहनावे का एक अनिवार्य तत्व है, मेवाड़ में जो पहना और बांधा जाता है, वह प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक है।
गौरतलब है कि बीएसएफ देश का एकमात्र बल है, जो अभियान और समारोह दोनों ही मोर्चों पर ऊंटों का उपयोग करता है। बीएसएफ के जवान राजस्थान में थार रेगिस्तान (Thar Desert) से लगी भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गश्त के लिए ऊंटों का इस्तेमाल करते हैं। इस महिला दस्ते को भी पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया जाएगा।
आईएएनएस/PT