हॉलीवुड की चमक-दमक भरी दुनिया में हर साल सैकड़ों फिल्में बनती हैं, लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो कभी परदे तक पहुँच ही नहीं पातीं। इन कहानियों में कुछ खो जाती हैं, तो कुछ अपने पीछे ऐसा रहस्य छोड़ जाती हैं जो लोगों को सालों तक हैरान करता है। ऐसी ही एक कहानी है "Atuk" की। "Atuk" एक कॉमेडी फिल्म की स्क्रिप्ट थी, जो कभी फिल्म नहीं बन पाई। लेकिन इस स्क्रिप्ट से जुड़ी सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जिसे भी ये स्क्रिप्ट मिली, जिसने भी इसे पढ़ा या इस पर काम करना शुरू किया उसकी मौत हो गई।
जी हां! ये महज एक इत्तेफ़ाक नहीं था, बल्कि एक के बाद एक कई मौतें हुईं, और तभी से इस स्क्रिप्ट को श्रापित स्क्रिप्ट कहा जाने लगा। अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई स्क्रिप्ट वाकई किसी को मार सकती है? क्या इस स्क्रिप्ट में कोई ऐसी ताकत छिपी थी जो लोगों की जान ले रही थी? "Atuk" आज भी एक अनबनी फिल्म है, लेकिन इसके पीछे छिपी रहस्यमयी और डरावनी कहानी ने इसे हॉलीवुड की सबसे खतरनाक स्क्रिप्ट बना दिया है।
एक मासूम आदिवासी की शहर में उलझन
"Atuk" की स्क्रिप्ट कनाडा के प्रसिद्ध लेखक Mordecai Richler के उपन्यास The Incomparable Atuk पर आधारित थी। यह कहानी एक इनुइट (Inuit) आदिवासी व्यक्ति की है, जो बर्फीले और शांत अंटार्कटिक इलाके से निकलकर अमेरिका के एक बड़े आधुनिक शहर (जैसे न्यूयॉर्क) में आता है। शुरुआत में Atuk मासूम होता है, सादा जीवन जीने वाला, अपने रीति-रिवाज़ों में रचा-बसा हुआ।
लेकिन जैसे ही वह शहर की चकाचौंध, पैसा, और शोहरत के संपर्क में आता है, वह धीरे-धीरे बदलने लगता है। यह कहानी बताती है कि कैसे भौतिकवाद यानी Materialism और शहरी जीवन की लालच एक सीधे-सादे व्यक्ति को भी अंदर से खोखला बना देती है। इस स्क्रिप्ट का मूल स्वर व्यंग्य (satire) है यानी यह समाज की बुराइयों को हँसी-मजाक के अंदाज़ में दिखाती है। पर इसके पीछे एक गहरा संदेश छिपा था। "Atuk" की स्क्रिप्ट मूल रूप से एक कॉमेडी फिल्म के रूप में लिखी गई थी, लेकिन इसमें छिपी मानव प्रवृत्ति, लालच, और संस्कृति के टकराव की गहरी बातों ने इसे खास बना दिया।
जॉन बेलुशी बने इसका पहला शिकार
सबसे पहली अनहोनी हुई जॉन बेलुशी (John Belushi) के साथ। वह 1980 के दशक की सबसे चर्चित कॉमेडी हस्तियों में से एक थे। जब उन्हें "Atuk" की स्क्रिप्ट दी गई, तो वे इस रोल को लेकर बेहद उत्साहित थे। कहा जाता है कि उन्होंने स्क्रिप्ट पढ़ ली थी और जल्द ही फिल्म पर काम शुरू होने वाला था। लेकिन इसी दौरान, 1982 में, महज 33 साल की उम्र में जॉन की ड्रग ओवरडोज़ से अचानक मौत हो गई। फिल्म का नाम तक पुकारा नहीं गया था और उसकी पहली परछाई ही अंधेरे में खो गई।
कुछ साल बाद, मशहूर कॉमेडियन सैम किन्निसन (Sam Kinnison) को ये स्क्रिप्ट दी गई। उन्होंने तो बाकायदा शूटिंग भी शुरू कर दी थी, लेकिन कुछ रचनात्मक मतभेदों की वजह से फिल्म रुक गई। वो स्क्रिप्ट को फिर से लिखवाना चाहते थे, पर प्रोड्यूसर मानने को तैयार नहीं थे। शूटिंग के कुछ ही समय बाद, 1992 में, सैम एक सड़क दुर्घटना में मारे गए। कार के मलबे से जब उन्हें निकाला गया, तो ऐसा लगा मानो वो किसी अदृश्य ताकत से लड़ रहे थे उनके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था।
जॉन कैंडी (John Candy) का नाम भी इस रहस्यमयी सिलसिले में जुड़ा। 90 के दशक में कॉमेडी फिल्मों का यह जाना-पहचाना चेहरा, "Atuk" स्क्रिप्ट से बेहद प्रभावित हुआ था। उन्होंने स्क्रिप्ट पढ़ी और उस पर गंभीरता से विचार कर रहे थे। लेकिन फिल्म साइन करने से पहले ही, 1994 में, दिल का दौरा पड़ने से उनकी भी अचानक मौत हो गई। लोगों ने इसे महज एक दुखद हादसा समझा, लेकिन "Atuk" स्क्रिप्ट अब एक साया बनती जा रही थी।
क्रिस फार्ले (Chris Farley) की कहानी और भी अजीब थी। उन्हें जॉन बेलुशी का उत्तराधिकारी माना जाता था। उनका अंदाज़, हाव-भाव, और यहाँ तक कि उनकी लतें भी एक जैसी थीं। जब क्रिस ने "Atuk" स्क्रिप्ट पढ़ी, तो सभी को लगा कि वह इस रोल में जान डाल देंगे। लेकिन यह स्क्रिप्ट उन्हें भी ले डूबी। ठीक जॉन बेलुशी की ही तरह, 1997 में, 33 साल की उम्र में, ड्रग ओवरडोज़ से उनकी भी मौत हो गई। अब ये सिर्फ एक इत्तेफ़ाक नहीं लगता था, ये कुछ और था, कुछ अनदेखा, अनकहा।
फार्ले की मौत के बाद, उनके करीबी दोस्त और लेखक माइकल ओ'डोनह्यू (Michael O'Donoghue) भी ज्यादा दिनों तक ज़िंदा नहीं रह सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने भी "Atuk" स्क्रिप्ट को पढ़ा था। और फिर, 1994 में उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ, जिससे उनकी मौत हो गई। वो किसी फिल्म का हिस्सा नहीं थे, लेकिन स्क्रिप्ट की छाया अब सिर्फ एक्टर्स तक सीमित नहीं रही थी।
और आखिरी नाम था फिल हार्टमैन (Phil Hartman) का। उन्होंने न केवल इस स्क्रिप्ट को पढ़ा था, बल्कि अपने दोस्त क्रिस फार्ले को भी इसमें काम करने के लिए प्रेरित किया था। फार्ले की मौत के एक साल बाद, 1998 में, फिल की भी मौत हो गई, लेकिन ये मौत औरों से अलग थी। उन्हें गोली मार दी गई थी और यह किसी और ने नहीं, बल्कि उनकी खुद की पत्नी ने ही किया था। यह घटना भी उतनी ही चौंकाने वाली थी जितनी "Atuk" स्क्रिप्ट से जुड़ी बाकी मौतें।
इन सभी घटनाओं ने "Atuk" को सिर्फ एक अधूरी फिल्म नहीं, बल्कि एक श्रापित दस्तावेज़ बना दिया है। ये महज़ स्क्रिप्ट नहीं थी, यह जैसे किसी काली ताकत का दरवाज़ा था, जिसे खोलने की कोशिश में हर कोई खत्म हो गया।
अब कहां है ‘Atuk’ की स्क्रिप्ट?
इतनी मौतों के बाद, "Atuk" की स्क्रिप्ट मानो किसी छिपी तिजोरी में कैद हो गई। हॉलीवुड के कई निर्माता और निर्देशक मानते हैं कि यह सिर्फ एक कोरी अफवाह है, लेकिन जब बात "Atuk" की आती है, तो कोई भी इस स्क्रिप्ट को हाथ लगाने की हिम्मत नहीं करता। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यह स्क्रिप्ट अब भी लॉस एंजेलिस के एक बड़े स्टूडियो के आर्काइव में बंद पड़ी है। न इसे कोई पढ़ता है, न छूता है। मानो यह कोई सावधानी से संभाली गई जहर की शीशी हो। हालांकि कुछ युवा फिल्मकारों ने इसे "urban legend" कहकर इसकी सच्चाई को चुनौती देने की कोशिश की है, लेकिन जब भी कोई इस पर बात करता है, उन्हें पुराने हादसे याद दिला दिए जाते हैं। कई एक्टर्स, खासकर कॉमेडी इंडस्ट्री के लोग, इसे ‘मजाक नहीं, मनहूसियत’ कहते हैं। एक मशहूर हॉलीवुड प्रोड्यूसर ने एक इंटरव्यू में कहा था, की मैंने बहुत सी डरावनी फिल्में बनाई हैं, लेकिन Atuk की स्क्रिप्ट? नहीं भाई, वो असली डर है|
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि "Atuk" की स्क्रिप्ट को जानबूझकर छुपाया गया है, ताकि यह दोबारा किसी की जिंदगी में मौत का साया न बन जाए। सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ कई थ्योरीज़ चलती हैं कोई इसे हॉलीवुड की सबसे डेंजरस स्क्रिप्ट कहता है, तो कोई इसे फिल्मी दुनिया का भूतिया दस्तावेज़। अब तक किसी भी नामी एक्टर ने खुलकर इसे अपनाने की हिम्मत नहीं दिखाई। जो कभी इसके लिए चुने गए थे, वे अब इस दुनिया में नहीं हैं। और जो आज हैं, वो इसका नाम सुनते ही चुप हो जाते हैं या हँस कर टाल देते हैं, लेकिन उनकी आँखों में डर साफ झलकता है। "Atuk" आज भी एक ‘unproduced script’ के रूप में जानी जाती है, लेकिन इसकी कहानी उन फिल्मों से कहीं ज़्यादा डरावनी है जो परदे पर बनी हैं।
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एक अधूरी स्क्रिप्ट, एक अधूरा रहस्य
"Atuk" कोई साधारण स्क्रिप्ट नहीं है। ये एक ऐसी कहानी है जिसने कभी परदे पर जगह नहीं बनाई, लेकिन फिर भी इतनी गहरी छाप छोड़ी कि आज दशकों बाद भी इसका नाम डर और रहस्य के साथ लिया जाता है। यह सिर्फ एक फिल्म का अधूरा सपना नहीं था, बल्कि ऐसा लगता है जैसे यह स्क्रिप्ट अपने साथ कोई साया, कोई श्राप लेकर आई थी। जिन-जिन लोगों ने इसे अपनाने की कोशिश की, वो एक-एक करके इस दुनिया से चले गए और उनकी मौतें आज भी सवाल बनकर खड़ी हैं। क्या यह सब महज इत्तेफ़ाक था? या फिर सचमुच इस स्क्रिप्ट में कोई रहस्यमई ताकत छुपी हुई थी? इसका जवाब शायद किसी के पास नहीं है। पर एक बात तय है कि "Atuk" अब सिर्फ एक स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि एक कहानी बन चुकी है... एक चेतावनी, जो बताती है कि हर कहानी को पर्दे पर लाना जरूरी नहीं होता। कभी-कभी, कुछ कहानियाँ कागज़ पर ही दबी रहें, तो बेहतर होता है। [Rh/SP]