सार
बॉलीवुड में महिलाओं की भूमिकाएँ अब सिर्फ रोमांस तक सीमित नहीं, बल्कि सशक्तिकरण और समाज के मुद्दों पर केंद्रित हैं।
आलिया भट्ट, दीपिका पादुकोण, तापसी पन्नू, विद्या बालन, रानी मुखर्जी जैसी अभिनेत्रियाँ अपनी फिल्मों से नई सोच ला रही हैं।
ये फिल्में दर्शकों को दिखा रही हैं कि असली नायिका वही है जो खुद अपनी कहानी लिखती है।
महिला किरदारों का नया युग
कभी ऐसा वक्त था जब फिल्मों में महिलाओं की भूमिका सिर्फ “सुंदर दिखने” या “हीरो के साथ रोमांस” तक सीमित थी। लेकिन अब यह सोच बदल गई है। आज के दौर में फीयरलेस वीमेन ऑफ़ बॉलीवुड (Fearless Women of Bollywood) ने सिनेमा को नया चेहरा दिया है। अब वे कहानियाँ सिर्फ प्यार या त्याग पर नहीं, बल्कि साहस, आत्मसम्मान और समानता पर आधारित हैं। इन अभिनेत्रियों ने दिखाया है कि सिनेमा समाज का आईना है, और जब महिलाएँ उसमें बोलती हैं, तो बदलाव की आवाज़ गूँजती है।
आलिया भट्ट: गंगूबाई काठियावाड़ी
आलिया भट्ट (Alia Bhatt) ने गंगूबाई काठियावाड़ी (Gangubai Kathiawadi) में एक ऐसी महिला का किरदार निभाया जो मजबूरी में देह व्यापार की दुनिया में फँस जाती है, लेकिन वहीं से अपनी पहचान बनाती है। गंगूबाई ने समाज से डरने की बजाय उससे लड़ा और “देह व्यापार करने वाली” से “महिलाओं की नेता” बन गई। इस भूमिका ने दिखाया कि औरत की ताकत सिर्फ उसके रूप में नहीं, बल्कि उसकी सोच और हिम्मत में होती है।
दीपिका पादुकोण: छपाक
दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) ने छपाक में एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल (Laxmi Agarwal) की सच्ची कहानी को जीवंत किया। इस किरदार ने यह संदेश दिया कि चेहरा चाहे जल जाए, लेकिन आत्मा की रोशनी कभी नहीं बुझती। दीपिका ने दिखाया कि दर्द को कमजोरी नहीं, बल्कि बदलाव की ताकत बनाया जा सकता है। इस फिल्म ने लाखों महिलाओं को अपनी पहचान और आत्मविश्वास (Self Confidence) वापस पाने की प्रेरणा दी।
तापसी पन्नू: थप्पड़
थप्पड़ (Thappad) में तापसी पन्नू (Tapsee Pannu) ने एक ऐसी औरत का किरदार निभाया जो अपने पति से एक थप्पड़ खाने के बाद शादी पर सवाल उठाती है। यह कहानी छोटी लगती है, लेकिन इसके पीछे गहरी सोच छिपी है, “इज़्ज़त छोटी-बड़ी बातों में नहीं तोली जाती।” तापसी के किरदार ने हर महिला को यह एहसास दिलाया कि सहना नहीं चाहिए, बल्कि हिम्मत दिखानी चाहिए और आवाज़ उठानी चाहिए।
जाह्नवी कपूर: गुंजन सक्सेना
जाह्नवी कपूर (Janvi Kapoor) ने भारत (India) की पहली महिला फाइटर पायलट (Fighter Pilot) गुंजन सक्सेना (Gunjan Saxena) का किरदार निभाया, जिसने समाज की “लड़कियाँ ये नहीं कर सकतीं” वाली सोच को चुनौती दी। फिल्म ने दिखाया कि अगर किसी के पास सपना और जज़्बा है, तो आकाश भी उसके कदमों में झुकता है। जाह्नवी (Janvi) की यह भूमिका उन लड़कियों के लिए प्रेरणा बनी जो बड़े सपने देखने से डरती हैं।
विद्या बालन: ‘कहानी’ और ‘तुम्हारी सुलु’
विद्या बालन (Vidya Balan) ने हमेशा ऐसे किरदार चुने जो आम औरत की कहानी कहते हैं। कहानी में वह एक गर्भवती महिला बनकर कोलकाता (Kolkata) की गलियों में अपने पति की तलाश करती है, और अंत में सभी को चौंका देती है। वहीं तुम्हारी सुलु में उन्होंने एक गृहिणी की ज़िंदगी को दर्शाया।
करीना कपूर खान: ‘वीरे दी वेडिंग’ और ‘जाने जान’
करीना कपूर (Kareena Kapoor) ने वीरे दी वेडिंग (Veere Di Wedding) में दिखाया कि महिलाएँ भी दोस्ती, प्यार, करियर और आज़ादी के फैसले खुद ले सकती हैं। वहीं जाने जान में उन्होंने एक रहस्यमयी माँ का किरदार निभाया, जो अपने बच्चे के लिए सब कुछ दांव पर लगा देती है। इन भूमिकाओं ने साबित किया कि महिला किरदार अब सिर्फ “प्यार में खोई नायिका” नहीं, बल्कि सोचने और निर्णय लेने वाली इंसान भी हैं।
निष्कर्ष
आज की “Fearless Women of Bollywood” सिर्फ अभिनय नहीं कर रहीं, बल्कि सिनेमा के ज़रिए बदलाव की आवाज़ बन चुकी हैं। वे बता रही हैं कि औरत कमजोर नहीं होती, वह खुद अपनी कहानी की नायिका होती है। इनकी फिल्मों ने सिखाया कि साहस, आत्म-सम्मान और सच्चाई ही असली सुंदरता है। यही नई बॉलीवुड (Bollywood) की पहचान है।
(Rh/BA)