Rajpal Yadav:- राजपाल यादव अपनी शानदार कॉमेडी की वजह से लोग का दिल जीत लेते हैं। 
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Rajpal Yadav:- कैसा था एक आम आदमी से एक एक्टर बनने का सफर, पहले टेलरिंग सीखी और फिर मिली पहली फिल्म जंगल

1992 में की थियेटर ट्रेनिंग लेने के लिए लखनऊ चले आ गए। यहां उन्होंने भारतेंदु नाट्य एकेडमी में एडमिशन लिया। राजपाल ने यहां दो साल तक ट्रेंनिग ली और इसके बाद वह साल 1994 से 1997 तक दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में रहे।

Sarita Prasad, न्यूज़ग्राम डेस्क

Rajpal Yadav:- इसके बाद वह साल 1992 में की थियेटर ट्रेनिंग लेने के लिए लखनऊ चले आ गए। यहां उन्होंने भारतेंदु नाट्य एकेडमी में एडमिशन लिया। राजपाल ने यहां दो साल तक ट्रेंनिग ली और इसके बाद वह साल 1994 से 1997 तक दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में रहे। 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आर्डनेंस क्लॉथ फैक्ट्री में टेलरिंग से अपरेंटिस किया, लेकिन एक्टर बनने की चाह की वजह से वह नौकरी से दूर हो गए।बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार राजपाल यादव अपनी शानदार कॉमेडी की वजह से लोग का दिल जीत लेते हैं। आज उनके चाहने वालों की कमी नहीं है। उनका जन्म 16 मार्च सन् 1971 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ के पास शाहजहांपुर जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई शाहजहांपुर से की। पढ़ाई पूरी इसके बाद वह एक नाटक थियेटर से जुड़ गए|

Rajpal Yadav:- फिल्मफेयर में बेस्ट नेटिगेटिव रोल के पुरस्कार से नवाजा गया था।

कैसे हुई करियर की शुरुआत

बॉलीवुड में राजपाल यादव ने साल 1999 में आई फिल्म 'दिल क्या करे' से अपने करियर की शुरुआत की थी। शुरुआती दौर में उन्हें फिल्मों में छोटे-छोटे रोल मिले, लेकिन उन्हें इंडस्ट्री में असली पहचान विलेन के किरदार से मिली। साल 2000 में आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'जंगल' में उन्होंनें 'सिप्पा' का रोल प्ले किया था। इस किरदार से उन्हें काफी ख्याति मिली, जिसके बाद एक्टर को फिल्मफेयर में बेस्ट नेटिगेटिव रोल के पुरस्कार से नवाजा गया था।

एक आम आदमी से फिल्म स्टार बनने का सफर

एक इंटरव्यू के दौरान राजपाल यादव ने बताया था कि उनके जीवन में एक समय ऐसा था, जब उनके पास बस का किराया देने तक के पैसे नहीं होते थे, लेकिन उस कठिन समय में इंडस्ट्री में मौजूद उनके दोस्तों ने उनकी काफी मदद की थी। उन्होंने बताया था कि मुझे लगता है कि हर किसी को दूसरों के लिए अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए। अगर लोग मेरी मदद नहीं करते तो आज मैं जो हूं वह कैसे होता? मेरे कठिन समय में मेरे दोस्त मेरे साथ थे। मुझे पर विश्वास था और पता था कि मुझे हर तरह का समर्थन चाहिए थो जो मुझे मिला।मुंबई में अपने कठिन दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा था कि जब मैं मुंबई आया था तब यह एक अंजान शहर था। यहां बोरीवली जाने के लिए दूसरों के साथ एक ऑटो शेयर करना पड़ा था। फिर, कभी-कभी मेरे पास ऑटो के लिए पैसे नहीं होते थे। अपनी तस्वीर साथ लेकर मैं सफलता की तलाश में निकल जाया करता था। उन्होंने आगे कहा था कि जब जिंदगी मुश्किल लगती है, तो मकसद आसान हो जाता है। जिंदगी आसान लगती है तो मकसद मुश्किल हो जाता है।फिल्म जंगल से उनकी हौसलों को उड़न मिली और फिर उन्होंने कभी पीछे मुद कर नहीं देख।

Rajpal Yadav:- जिंदगी मुश्किल लगती है, तो मकसद आसान हो जाता है।

किन किन फिल्मो में नज़र आये थे राजपाल

एक्टर 'कंपनी', 'कम किसी से कम नहीं', 'हंगामा', 'मुझसे शादी करोगी', 'मैं मेरी पत्नी और वो', 'अपना सपना मनी मनी', 'फिर हेराफेरी', 'चुप चुपके' और 'भूल भुलैया' जैसी सुपरहिट फिल्मों में नजर आए। इन फिल्मों में उन्होंने अपनी बेहतरीन एक्टिंग से लोगों का दिल जीत लिया था।अपने शानदार अभिनय की वजह से उन्हें फिल्मफेयर समेत कई बड़े अवॉर्ड जीते|

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