कपूर परिवार में बहुत जल्द किलकारियाँ गूंजने वाली है। आज कल आलिया और रणबीर कपूर के बच्चे की खबर चारों तरफ फैली हुई है। पर क्या आपको पता है, इसी परिवार की पिछली पीढ़ी में दरार आ गई थी। दरअसल रणबीर कपूर के चाचा और दादा के बीच ये मनमुटाव आया था। आलम ये हुआ कि पिता राज कपूर के अंतिम संस्कार से भी बेटा राजीव कपूर दूर रहा।
जी हाँ आज हम बात कर रहे हैं कपूर खानदान के उन दिग्गज सितारों के बारे में जिनकी एक फिल्म ने उन दोनों बाप-बेटे को अलग-थलग कर दिया था।
वर्ष था 1985, हर किसी की जुबान पर बस कुछ ही धुन, 'सुन साहिबा सुन', 'तुझे बुलाए ये मेरी बाहें', 'राम तेरी गंगा मैली', 'एक राधा एक मीरा', सजे हुए थे। लता मंगेशकर द्वारा गए गए ये गाने तबसे लेकर आज तक सबके द्वारा विशेष रूप से पसंद किए जाते रहे हैं। फिल्म का नाम तो अब तक आप जान ही गए होंगे। जी हाँ, ये ब्लॉकबास्टर फिल्म थी 'राम तेरी गंगा मैली'। उस वर्ष की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली इस फिल्म के लीड अभिनेता थे राजकपूर के सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर और अभिनेत्री थीं मंदाकिनी। ये वही फिल्म थी जिससे राज कपूर ने अपने सबसे छोटे बेटे को लॉन्च किया था और यही फिल्म उन दोनों बाप-बेटे के बीच के दरार का शुरुआती कारण बनी।
एक बहुचर्चित किताब है 'द कपूर्स'। मधु जैन की इस किताब के अनुसार राज कपूर ने 'राम तेरी गंगा मैली' फिल्म से ही अपने सबसे छोटे बच्चे राजीव कपूर को परदे पर उतारा था। फिल्म बहुत हिट हुई, उसकी कहानी से लेकर गाने तक, दर्शकों के दिलों को जीत गई। पर इस फिल्म से फायदा बस अभिनेत्री मंदाकिनी को हुआ।
राज कपूर ने सारी मेहनत मंदाकिनी पर ही की थी। बल्कि उनके बोल्ड सीन्स भी शूट कीए गए थे, जिसको लेकर उसस वक्त देश भर में काफी विवाद भी हुआ था। पर इन सबके बावजूद यह फिल्म तेजी से ऊंचाइयों को छूती जा रही थी और साथ ही साथ मंदाकिनी की लोकप्रियता भी बढ़ती जा रही थी। पर राजीव कपूर अब भी वहीं के वहीं रह गए थे। और इसीके साथ राजीव कपूर की अपने पिता के साथ नाराजगी का स्तर बढ़ता ही चला जा रहा था।
राजीव कपूर की इस हालत का जिम्मेदार उन्होंने पिता राज कपूर को ही दिया। राजीव कपूर चाहते थे कि, 'राम तेरी गंगा मैली' के बाद राज कपूर उनके लिए एक अलग फिल्म बनाएं, जिससे कि राजीव कपूर एक मुख्य भूमिका में परदे पर उतर सकें और उन्हें भी वो प्रसिद्धि मिल पाए जो मंदाकिनी को 'राम तेरी गंगा मैली' से मिली थी।
बेटे के ऐसा चाहने पर भी पिता ने ऐसा कुछ नहीं किया, बल्कि उन्हें एक असिस्टेंट के तौर पर रखा। सेट पर जो एक स्पॉटब्वॉय और असिस्टेंट काम करता है, वह सारा काम राज कपूर अपने बेटे राजीव कपूर से करवाते थे। 'राम तेरी गंगा मैली' के बाद राजीव कपूर 'लवर ब्वॉय', 'अंगारे', 'जलजला', 'शुक्रिया', 'हम तो चले परदेस' जैसी फिल्मों में दिखे तो पर 'राम तेरी गंगा मैली' के अलावा उनकी फिल्में चली नहीं। वर्ष
ऐसा कहा जाता है कि राजीव कपूर ने अपनी कुंठा कभी राज कपूर के आगे व्यक्त तो नहीं की, पर ये उबाल तब सबको दिखाई दिया जब उन्होंने पिता के अंतिम संस्कार तक से दूरी बना ली थी। तीन दिनों तक वो कपूर परिवार से अलग-थलग बने रहे। 25 अगस्त 1962 को मुंबई में जन्मे राजीव कपूर का निधन 9 फरवरी 2021 को हो गया। 'तुलसीदास जूनियर' उनकी आखिर फिल्म थी जो उनके निधन के बाद 2022 में रिलीज हुई।