पोंगल ऐसा त्यौहार है जो नयी फसल की तैयारी में मनाया जाता है। (Wikimedia Commons)

 

पोंगल त्यौहार

त्यौहार

जानिए क्या है भारत में पोंगल त्यौहार का इतिहास

पोंगल भी एक ऐसा त्यौहार है जो नयी फसल की तैयारी में मनाया जाता है। इस त्यौहार को मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

भारत में विभन्न प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं। जिनमें से कुछ उत्सव किसान खेत में फसलोंं का बुवाई – कटाई होने पर मनाते हैं। पोंगल भी एक ऐसा त्यौहार है जो नयी फसल की तैयारी में मनाया जाता है। इस त्यौहार को मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है।  तमिलनाडु का यह प्रमुख त्योहार है। यह जनवरी में मनाया जाता हैं।

यह पर्व 1000 साल पुराना है तथा इसे तमिलनाडु के अलावा देश के अन्य भागों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

मकर संक्रांति के दिन नये चावल का मीठा भात बनाकर सूर्य को चढ़ाया जाता है। इसी मीठे भात को पोंगल कहते हैं और इसी से त्योहार का नाम पोंगल पड़ा है।

तमिलनाडु में यह त्यौहार चार दिनों तक चलता है। चार तरह के पोंगल क्रमशः इस प्रकार है -भोगी पोंगल ,सूर्य पोंगल ,मट्टू पोंगल और कन्या पोंगल।  पोंगल के दिन घर-आँगन को रंगोली से सजाते हैं और नहा-धोकर सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं. । इस दिन काफ़ी कुछ नया करते हैं।  पोंगल को घर के आंगन में पकाया  जाता हैं। और फिर आस-पड़ोस में , दोस्तों में पोंगल बाटंते हैं।

पोंगल त्यौहार तमिलनाडु का एक खास त्यौहार होता है।(Wikimedia Commons)

पोंगल तमिलनाडु का एक खास त्योहार होता है। तमिल कैलेंडर के अनुसार जब सूर्य 14 या 15 जनवरी को धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब यह तमिल नववर्ष की पहली तारीख होती है। 

 प्राचीन काल में द्रविण शस्य उत्सव के रूप में इस पर्व को मनाया जाता था। तिरुवल्लुर के मंदिर में प्राप्त शिलालेख में मिलता है कि किलूटूंगा राजा पोंगल के अवसर पर जमीन और मंदिर गरीबों को दान में दिया करते थे। प्रसाद में नारियल और केले के व्यंजन और गन्ने का प्रयोग होता है।

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