इस वर्ष मकर संक्रांति या पोंगल रविवार 15 जनवरी, 2023 को मनाई जाएगी। (Wikimedia Commons)

 

मकर संक्रांति

त्यौहार

जानिए क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्यौहार और क्या है इसका इतिहास

इस वर्ष मकर संक्रांति या पोंगल रविवार 15 जनवरी, 2023 को मनाई जाएगी।

न्यूज़ग्राम डेस्क

भारत में मकर संक्रांति बहुत समय से मनाया जाता है। इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। । इस वर्ष मकर संक्रांति रविवार 15 जनवरी, 2023 को मनाई जाएगी। संक्रांति लंबे दिनों की शुरुआत और सर्द ऋतु का अंत का भी समय तय करती है।  

यह त्यौहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन पड़ता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। भारत में ज्यादातर इस त्यौहार को तमिलनाडु कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, असम, पंजाब, यूपी, बिहार में मनाया जाता हैं। मकर संक्रांति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है।   

महाभारत में भीष्म पितामह ने देह त्यागने के लिये मकर संक्रांति का ही चयन किया था। लोगों में एक गलत धारणा भी है कि जो व्यक्ति उत्तरायण में शुक्ल पक्ष में देह को त्यागेगा उसे मुक्ति मिलेगी। ऐसा अंधविश्वास  हमारे पंडितों और ब्राह्मणों द्वारा धन कमाने की चाह में फैलाया गया है।

बच्चे बहुत चाह से आसमान में पतंग उड़ाते हैं।(Wikimedia Commons)

मकर संक्रांति को मनाने के पीछे अनेक धार्मिक कारण भी है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा भागीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जा मिल गई थीं।

मकर संक्रांति के समय बाजार भी पतंगों से गुलज़ार होने लग जाते हैं। बच्चे बहुत चाह से आसमान में पतंग उड़ाते हैं।

AD

जब न थे डॉक्टर या हॉस्पिटल, तब कैसे हुई थी प्लास्टिक सर्जरी?

आमिर की शादी और मियांदाद का छक्का: एक दिन, दो कहानियां !

क्या मध्य पूर्व (Middle East) में छिड़ने वाली है तीसरी बड़ी जंग ?

एक Sparrow Man की कहानी, जिनकी मेहनत से बचा हजारों गोरैयों का परिवार!

भगवान जगन्नाथ का रथ खींचती हैं जो रस्सियाँ, उनके पीछे छिपा है एक आदिवासी समाज!