कश्मीर हमेशा से भारत-पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा विवाद रहा है। हर सरकार, हर पीढ़ी में यह सवाल उठता रहा है कि क्या भारत कभी कश्मीर यानी POK को वापस ले पाएगा ? हाल ही में जब गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा, "POK भारत का है और इसे हम लेकर रहेंगे" तो यह चर्चा और तेज़ हो गई। लेकिन असली सवाल है कि क्या यह मुमकिन है ? और अगर हां, तो कैसे ? आइये जानते हैं इस पूरी कहानी को।
POK भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है
अक्सर लोग यह तर्क देते हैं कि POK भारत (India) के लिए किसी काम का नहीं है, लेकिन यह पूरी तरह गलत है। सबसे पहले, यह कहना इसलिए भी गलत होगा क्योकि यह इलाका पर्यटन की दृष्टि से बेहद खूबसूरत है। स्विट्जरलैंड जैसी वादियां, नदियां और झीलें यहां मौजूद हैं। अगर यहां स्थिरता और अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर हो, तो यह अरबों डॉलर का पर्यटन राजस्व कमा सकता है। जिससे भारत को आर्थिक सहायता मिल सकती है।
दूसरे, रणनीतिक दृष्टि से यह भारत की सुरक्षा के लिए अहम है। यहां से भारत को पाकिस्तान और चीन दोनों पर नज़र रखने में आसानी होगी। तीसरे, व्यापार के लिहाज़ से भी यह बेहद महत्वपूर्ण है। POK के रास्ते भारत सीधे अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच सकता है। अभी भारत को व्यापार के लिए समुद्री रास्तों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इतिहास और संस्कृति की दृष्टि से भी कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। जैसे कि वैदिक संस्कृति, पंचतंत्र की रचना और कई प्राचीन परंपराओं का जन्म इसी क्षेत्र में हुआ है।
चीन और पाकिस्तान की दिलचस्पी क्यों ?
अब सवाल यह है कि अगर POK सिर्फ़ एक बंजर इलाका होता तो चीन और पाकिस्तान इसमें इतनी दिलचस्पी क्यों लेते ? इसका यह कारण है कि चीन यहां CPEC (चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) बना रहा है, जो उसे अरब सागर तक सीधा पहुंचा देता है। अब पाकिस्तान (Pakistan) कि दिलचस्पी कारण यह है कि पाकिस्तान के लिए POK उसकी 'कमर की हड्डी' जैसा है। अगर यह उसके हाथ से निकल जाए तो उसकी भौगोलिक और सामरिक अहमियत खत्म हो जाएगी। इसलिए यह भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है, भारत के लिए POK मिलने का मतलब होगा, चीन और पाकिस्तान के बीच की नज़दीकी को तोड़ देना और मध्य एशिया से जुड़ने का नया दरवाज़ा खोल लेना माना जायेगा।
भारत की रणनीति (Diplomacy) क्या है
कई लोग मानते हैं कि POK को पाने का मतलब है भारत को पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ युद्ध करना। लेकिन एकमात्र यही रास्ता नहीं है। इतिहास गवाह है कि कई आज़ादी की लड़ाइयाँ जनता की आवाज़ से भी जीती गई हैं। लेकिन अगर भारत जम्मू-कश्मीर को विकास का सफल मॉडल बना देता है, तो POK के लोग खुद भारत से जुड़ने की मांग कर सकते हैं। अनुच्छेद 370 हटाना इसी रणनीति (Diplomacy) का हिस्सा था। अब कश्मीर में निवेश बढ़ रहा है, पर्यटन बढ़ रहा है और लोग बेहतर भविष्य देख रहे हैं। ऐसे में, POK के लोग पाकिस्तान की बदहाल हालत देखकर खुद तुलना करेंगे कि बेहतर स्थिति में कौन हैं ।
क्या POK के लोग भारत से जुड़ना चाहेंगे ? यह सवाल भी बेहद महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, क्योकि आतंकवाद और अस्थिरता ने वहां की जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। वहीं, भारत का कश्मीर धीरे-धीरे विकास की ओर बढ़ रहा है। आपको बता दें कि मोदी सरकार के पास बड़े फैसले लेने का ट्रैक रिकॉर्ड है, जैसे - तीन तलाक खत्म करना,अनुच्छेद 370 हटाना, राम मंदिर का निर्माण शुरू करना, सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करना। इसलिए यह मानना बिलकुल सही माना जायेगा क्योकि कि भारत सरकार के पास POK को लेकर भी कोई लंबी रणनीति है।
लेकिन यह सब करने के लिए भारत (India) की राह आसान नहीं है। पाकिस्तान और चीन तो सक्रिय हैं ही, लेकिन कई विदेशी ताकतें और एजेंसियां भी दुष्प्रचार फैलाती हैं। कुछ NGO और मीडिया वर्ग यह माहौल बनाने की कोशिश करते हैं कि इससे युद्ध विनाशकारी होगा और POK का कोई महत्व नहीं है। लेकिन सच्चाई यह है कि अगर युद्ध होगा तो नुकसान सिर्फ भारत का नहीं होगा। पाकिस्तान और उसके समर्थकों को भी उतना ही नुकसान झेलना पड़ेगा।
कई लोग पूछते हैं कि जब भारत ने 1947, 1965 और 1971 के युद्ध जीते तो उसने अब तक POK क्यों नहीं लिया ? जब 1947-48 का पहला युद्ध हुआ था जिसमें पाकिस्तान ने कबाइलियों के जरिए हमला किया और जब भारत ने जवाब दिया, तो पाकिस्तान (Pakistan) ने संयुक्त राष्ट्र का दरवाज़ा खटखटाया। जिसका परिणाम हुआ युद्धविराम और पीओके का वर्तमान स्थिति। 1965 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को पीछे हटाया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव में युद्ध रोका गया। इसके बाद 1971 का युद्ध जब हुआ तब भारत ने पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश को आज़ाद कराया। उस समय भारत के पास मौका था कि POK भी लेने का, लेकिन अमेरिकी दबाव और संयुक्त राष्ट्र के दखल के कारण यह संभव नहीं हो पाया। खासतौर पर 1971 में अमेरिका और चीन दोनों को डर था कि भारत कहीं वेस्ट पाकिस्तान को तोड़ न दे और POK अपने कब्जे में न ले लें। यही वजह थी कि अमेरिका ने अपना सातवां बेड़ा हिंद महासागर में भेज दिया।
पाकिस्तान ने कैसे कब्जा किया था ?
1947 में जब भारत (India) आज़ाद हुआ, उस समय जम्मू-कश्मीर एक अलग रियासत थी। महाराजा हरी सिंह चाहते थे कि यह राज्य स्वतंत्र रहे। लेकिन पाकिस्तान की निगाहें कश्मीर पर थीं। 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कबाइलियों के जरिए हमला कर दिया। रास्ते में उन्होंने लूटपाट, बलात्कार और कत्लेआम किया। बारामुला में चर्च की ननों तक के साथ अत्याचार किए गए। महाराजा हरी सिंह को मजबूरन भारत से मदद मांगनी पड़ी। उसके बाद भारत ने एक शर्त रखी, वो शर्त थी कश्मीर का भारत में विलय किया जाए। हरी सिंह ने दस्तखत किए और भारतीय सेना ने श्रीनगर की तरफ बढ़कर कबाइलियों को पीछे धकेला। लेकिन जब सेना पूरी तरह POK पर कब्जा (Occupation of POK) करने ही वाली थी, तब संयुक्त राष्ट्र ने हस्तक्षेप किया और युद्ध रोक दिया गया।
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पाकिस्तान (Pakistan) आज भी जनमत संग्रह की बात करता है, लेकिन इतिहास को देखें तो यह खुद उसी की चाल-बाजी थी। जूनागढ़ का मामला याद कीजिए, उस समय जहां मुस्लिम नवाब ने पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी थी, जबकि 80% आबादी हिंदू की थी। बाद में वहां जनमत संग्रह हुआ और जनता ने भारी बहुमत से भारत को चुना। इसी घटना के बाद भारत ने कहा कि अगर मुस्लिम बहुसंख्यक कश्मीर भारत में रहना चाहे तो इसमें क्या दिक्कत है ? इस तरह जनमत संग्रह का मुद्दा पाकिस्तान के लिए खुद उसके गले की हड्डी बन गया।
आज हालात 1971 जैसे नहीं हैं। अमेरिका को अब पाकिस्तान की उतनी जरूरत नहीं है। अब तालिबान से निपटने का दौर भी खत्म हो चुका है। भारत अमेरिका और यूरोप के लिए एक बड़ा बाज़ार माना जाता है। इसके बाद आपको बता दें सऊदी अरब और खाड़ी देश भी भारत के साथ खड़े हैं। चीन से भारत गलवान में आंख से आंख मिलाकर जवाब दे चुका है। माना जाता है कि कूटनीति (Diplomacy) में भारत आज कहीं ज्यादा मजबूत है। अब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ चुका है।
निष्कर्ष
इतिहास, राजनीति और कूटनीति (Diplomacy) को देखें तो साफ है कि POK सिर्फ एक ज़मीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि कूटनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद अहम है माना गया है। भारत ने 370 हटाकर यह संदेश दे दिया है कि वह कठिन फैसले लेने से पीछे नहीं हटेगा। पाकिस्तान आर्थिक रूप से लगभग बर्बाद है, और उसकी सेना व सरकार आंतरिक संकटों में उलझी हुई है। अब POK को पाना तभी संभव है जब समय आने पर POK को लेकर बड़ा कदम उठाया जाए। यह युद्ध से भी हो सकता है, और जनता की आवाज़ से भी।
इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी भारत ठान लेता है, तो नामुमकिन लगने वाले काम को भी पूरे करता है। फिर चाहे राम मंदिर हो, तीन तलाक का मुद्दा हो या अनुच्छेद 370 हो। इसलिए, सवाल यह नहीं है कि भारत POK वापस ले सकता है या नहीं। सवाल तो यह है कि भारत POK को वापस कब लेगा। [Rh/PS]