आगरा का ताजमहल, जिसे दुनिया वाले "प्रेम का प्रतीक" मानती है। (AI)
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ताजमहल पर अकेली डायना : वह तस्वीर जिसने शाही विवाह की सच्चाई उजागर कर दी

फरवरी 1992 में ताजमहल (Taj Mahal) के सामने अकेली बैठी राजकुमारी डायना (Diana) की तस्वीर ने दुनिया को दिखा दिया कि शाही वैवाहिक जीवन की चमक के पीछे कितनी गहरी दरारें थीं। यह तस्वीर सिर्फ़ एक पल नहीं, बल्कि टूटी उम्मीदों और इंसानी दर्द का ऐतिहासिक बयान बन गई।

न्यूज़ग्राम डेस्क

आगरा का ताजमहल (Taj Mahal), जिसे दुनिया वाले "प्रेम का प्रतीक" मानती है। 1992 में फरवरी का महीना था, और उसी महीने के एक दिन एक ऐसी तस्वीर छा गया जिसने ब्रिटिश शाही परिवार की नींव को हिला कर दिया। उस तस्वीर में थीं राजकुमारी डायना (Diana) जो कि अकेली, उदास और बेहद संजीदा दिखाई दे रही थीं।

यह वही जगह थी जहाँ उनके पति, प्रिंस चार्ल्स (Charles), सालों पहले वादा कर चुके थे कि वो अपनी पत्नी को लाएँगे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। जब डायना ताजमहल के सामने बेंच पर अकेली बैठीं थी उस समय चार्ल्स सैकड़ों किलोमीटर दूर बैंगलोर में व्यावसायिक बैठक में व्यस्त थे। यह तस्वीर जल्द ही पूरी दुनिया में फैल गई और सबको समझ आ गया कि शाही विवाह की चमक-दमक के पीछे गहरी दरारें छिपी हैं।

11 फरवरी 1992 को डायना ताजमहल पहुँचीं। उन्होंने मकबरे के सामने उस मशहूर बेंच पर बैठकर कुछ मिनट अकेले बिताए। पास खड़े फोटोग्राफ़र केंट गेविन ने उनके उस अकेलेपन को कैमरे में कैद कर लिया। यही तस्वीर बाद में अखबारों और पत्रिकाओं की सुर्ख़ियाँ बन गई। लोग कहने लगे कि यह सिर्फ़ एक तस्वीर नहीं है बल्कि यह एक "बिना शब्दों का बयान" है जिसने सबको यह समझा दिया कि राजकुमारी और प्रिंस की शादी अब टूटने की कगार पर है।

ताजमहल (Taj Mahal) का यह सिलसिला दरअसल 1980 से जुड़ा हुआ था। उस समय चार्ल्स (Charles) अविवाहित थे और भारत की यात्रा पर आए थे। उन्होंने ताजमहल को देखा और गहरी भावनाओं में डूबकर अपने फोटोग्राफ़र से कहा था कि "एक दिन मैं अपनी पत्नी को यहाँ ज़रूर लाऊँगा।" लेकिन जब सचमुच वह दिन आया, और उस उनकी पत्नी डायना भी अकेली थीं, लेकिन चार्ल्स कहीं और व्यस्त थे। शायद यही वह पल था जिसने दुनिया को दिखा दिया कि उनका रिश्ता खोखला हो चुका है।

फरवरी 1981 में उनकी सगाई हो गई, और जुलाई में उनकी भव्य शादी हुई, और पूरी दुनिया ने इस "फेयरी टेल" को देखा। लेकिन हकीकत कुछ और ही था।

शादी की शुरुआत और दरार

चार्ल्स और डायना की मुलाकात 1977 में हुई थी। उस समय चार्ल्स डायना की बहन सारा के साथ रिश्ते में थे। लेकिन 1980 में दोनों के बीच नज़दीकियाँ बढ़ीं।

फरवरी 1981 में उनकी सगाई हो गई, और जुलाई में उनकी भव्य शादी हुई, और पूरी दुनिया ने इस "फेयरी टेल" को देखा। लेकिन हकीकत कुछ और ही था। डायना ने बाद में स्वीकार किया कि यह सगाई जल्दबाज़ी में हुई थी। शादी तक दोनों केवल 13 बार मिले थे। डायना को पहले से शक था कि चार्ल्स का दिल अब भी कैमिला के लिए धड़कता है, लेकिन तब तक वापसी का रास्ता बंद हो चुका था।

1982 में प्रिंस विलियम और 1984 में प्रिंस हैरी का जन्म हुआ। डायना ने कहा था कि हैरी के जन्म से ठीक पहले के छह हफ्ते उनके वैवाहिक जीवन के सबसे अच्छे दिन थे। लेकिन हैरी के जन्म के बाद सब कुछ बदल गया। चार्ल्स को यह स्वीकार नहीं था कि दूसरा बेटा हुआ है। उनके यह शब्द डायना को अंदर तक चोट पहुँचा गए। यहीं से उनके रिश्ते में और खाई बढ़ती गई।

1986 तक चार्ल्स (Charles) और कैमिला के बीच संबंध फिर शुरू हो गए थे। डायना (Diana) को जब यह पता चला तो उन्होंने सीधे कैमिला से बात की और कहा, "मुझे सब कुछ मालूम है।" इसी दौरान डायना भी आर्मी मेजर जेम्स हेविट के करीब आईं। अब दोनों अपनी-अपनी ज़िंदगी अलग-अलग जी रहे थे। यह रिश्ता केवल नाम के लिए बचा हुआ था।

11 फरवरी 1992 को डायना ताजमहल पहुँचीं। उन्होंने मकबरे के सामने उस मशहूर बेंच पर बैठकर कुछ मिनट अकेले बिताए। पास खड़े फोटोग्राफ़र केंट गेविन ने उनके उस अकेलेपन को कैमरे में कैद कर लिया।

ताजमहल (Taj Mahal) की उस तस्वीर के तीन महीने बाद, मई 1992 में पत्रकार एंड्रयू मॉर्टन की किताब "डायना: उसकी सच्ची कहानी" प्रकाशित हुई। इसमें डायना ने अपने मन की सारी बातें दुनिया को बता दीं इसके बाद उनका मानसिक बीमारी से ग्रस्त होना, चार्ल्स का व्यवहार, शादी की हकीकत और विवाहेतर संबंध। यह सब कुछ इस किताब ने ब्रिटिश शाही परिवार की सच्चाई सबके सामने ला दी। इसके कुछ ही महीनों बाद चार्ल्स और डायना अलग हो गए और 1996 में उनका तलाक़ भी हो गया।

तलाक़ के बाद भी चर्चाएँ थमी नहीं। डायना (Diana) ने एक मशहूर इंटरव्यू में कहा था कि "इस शादी में हम तीन लोग थे, इसलिए इस शादी में थोड़ी भीड़ थी।" यह कथन दुनिया भर में गूंज उठा और कैमिला के साथ चार्ल्स के रिश्ते की सच्चाई को उजागर कर गया। हालाँकि शादी टूट गई, लेकिन डायना का असर कम नहीं हुआ। उन्होंने मानवता और सेवा का रास्ता चुना। उन्होंने कुष्ठ रोग, एड्स, घरेलू हिंसा और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर खुलकर काम किया। 1987 की वह तस्वीर जब डायना ने एड्स पीड़ित से बिना दस्ताने हाथ मिलाया, यह तस्वीर समाज में फैले अंधविश्वास और डर को तोड़ गई। यही वजह थी कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने उनकी मृत्यु के बाद उन्हें "जनता की राजकुमारी" कहा।

भारत में डायना की मौजूदगी लोगों को आज भी याद है। उन्होंने ताजमहल के अलावा सामाजिक संस्थाओं का दौरा किया, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से मिलीं और जरूरतमंद बच्चों के साथ समय बिताया। उन्होंने ताजमहल पर बिताए पलों के बारे में प्रेस से कहा था कि "यह बहुत ही उपचारात्मक अनुभव था।" और जब उनसे इसका मतलब पूछा गया तो वो मुस्कुराकर बोलीं "आप खुद समझ लीजिए।"

यह वही जगह थी जहाँ उनके पति, प्रिंस चार्ल्स, सालों पहले वादा कर चुके थे कि वो अपनी पत्नी को लाएँगे।

तलाक़ के बाद भी कई बार उम्मीद जगी कि शायद दोनों के बीच रिश्ते सुधरें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 31 अगस्त 1997 को पेरिस में एक कार दुर्घटना में राजकुमारी डायना की मौत हो गई। उनकी अंतिम यात्रा को पूरी दुनिया ने देखा। 2.5 अरब लोगों ने टीवी पर उनके अंतिम संस्कार को देखा, यह संख्या अपने आप में ही रिकॉर्ड थी। आज भी जब लोग ताजमहल जाते हैं, तो उस मशहूर बेंच पर बैठकर तस्वीर खिंचवाते हैं। लेकिन डायना की वह तस्वीर सबसे अलग है। उसमें एक टूटा हुआ वादा था, एक अपमानित पत्नी थी, और एक मज़बूत और संवेदनशील महिला भी थी, जो दुनिया के दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेगी।

इस तरह, ताजमहल की वह तस्वीर केवल एक स्मृति नहीं, बल्कि इतिहास का वह पल बन गई जिसने दुनिया को यह समझा दिया कि शाही जीवन की चमक-दमक के पीछे भी इंसानी दर्द और रिश्तों की सच्चाई छिपी होती है। [Rh/PS]

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