Summary
एपस्टीन फाइल में ट्रंप के खिलाफ कोई ठोस आरोप सामने नहीं आया और कई हिस्से ब्लैक कर दिए गए।
बिल क्लिंटन, प्रिंस एंड्रयू और गिस्लेन मैक्सवेल जैसे नाम ज़रूर आए, लेकिन बड़े खुलासे नहीं हुए।
फाइल से ध्यान हटाने के लिए ट्रंप ने वेनेज़ुएला की नकाबंदी और फिर सीरिया में हमला किया।
1968 में धर्मेंद्र की एक फिल्म आई थी, नाम था शिकार। इसमें एक गाना है, 'पर्दा जो उठ गया, तो भेद खुल जाएगा।" असल जीवन में भी इस गाने का बहुत ज्यादा असर दिखता है। कोई भी राज या झूठ हो वो सामने आ ही जाता है। हालांकि, ये किसी ने सोचा नहीं था कि अगर किसी चीज से पर्दा उठ जाए, तो उसे मिट्टी से ढकने का भी काम किया जा सकता है।
जी हाँ, ये असल जीवन में देखने को मिला है और ये स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया है। एपस्टीन फाइल को लेकर इतना भौकाल मचाया गया था लेकिन जब इसके राज खुले, तो सब हैरान रह गए। सब उम्मीद कर रहे थे कि ट्रंप को लेकर कोई सनसनी जानकारी आएगी लेकिन उन्होंने तो सबको बेवकूफ बना दिया। आइये जानते हैं कैसे?
19 दिसंबर 2025 को जब एपस्टीन फाइल सार्वजनिक की गईं, तो सबको ये उम्मीद थी कि कोई बहुत बड़ा सच सामने आएगा। ऐसा सच जो अमेरिका के साथ भारत की राजनीति को भी हिला देगा लेकिन जब ये फाइलें खुलीं, तो 'खोदा पहाड़ निकली चुहिया' वाला हाल हुआ। सभी को ऐसा लग रहा था कि इसमें पीएम मोदी के बारे में कोई जानकारी होगी, ट्रंप के बारे में कोई बड़ा राज खुलेगा, दुनिया के अन्य नेताओं को लेकर बड़े खुलासे होंगे लेकिन ऐसा कुछ खास दिखा नहीं।
जब ये फाइल सार्वजनिक हुई, तो इसमें कई मशहूर और ताक़तवर लोगों के नामों का ज़िक्र मिला, जिससे यह तो साफ़ हुआ कि एपस्टीन के संपर्क बहुत ऊँचे स्तर तक थे। इसमें सबसे चर्चित नाम डोनाल्ड ट्रंप और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का था। एपस्टीन को ट्रंप काफी पहले से जानते थे और जो फाइल रिलीज हुई उसमे ट्रंप की तस्वीर भी थी। हालांकि, उनकी कोई गलत तस्वीर सामने नहीं आई। इसलिए उनपर सीधा आपराधिक आरोप सामने नहीं आया है।
हालांकि, जो व्यक्ति सबसे ज्यादा चर्चा में रहा उनका नाम बिल क्लिंटन था, जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति थे। इस फाइल में उनका एपस्टीन के निजी विमान से यात्रा करने का ज़िक्र मिलता है, साथ ही कई महिलाओं के साथ उनकी तस्वीर भी सामने आई। एक तस्वीर में वो स्विमिंग पुल में नहाते दिखे और आस पास कई महिलाएं भी थी। एक तस्वीर में तो क्लिंटन महिलाओं के कपड़े में नज़र आ रहे थे लेकिन कोई ऐसा अपराध सिद्ध नहीं हुआ, जो उन्हें अदालत के कटघरे में खड़ा करता हो।
इसके साथ ही ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू की भी तस्वीर दिखी, जिनपर एक पीड़िता ने सीधे तौर पर उन पर शोषण का आरोप लगाया था। बाद में उन्होंने क़ानूनी समझौता भी किया।
वहीं, इसमें एपस्टीन की सहयोगी गिस्लेन मैक्सवेल की तस्वीर दिखी, जिसे अदालत ने पहले ही 20 साल की सजा सुनाई है। मैक्सवेल पर नाबालिग लड़कियों को फँसाने और शोषण में मदद करने का आरोप था।
साथ ही इस फाइल में एलन डर्शोविट्ज़ (वकील), डेविड कॉपरफील्ड (जादूगर), वुडी एलेन, माइकल जैक्सन और अरबपति लेस वेक्सनर जैसे नाम भी सामने आए हैं। अधिकतर मामलों में ये नाम संपर्क या सामाजिक मेल-जोल के कारण आए हैं लेकिन कोई अपराध सिद्ध नहीं होता है।
एपस्टीन फाइल जब से सामने आई है, उसके बाद से ये सवाल काफी पूछा जा रहा है कि क्या डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया है क्योंकि वो अभी राष्ट्रपति हैं, और उनको लेकर ही मुद्दा काफी गरम था लेकिन इस फाइल में उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है। ये सवाल उठना वाजिब भी है क्योंकि जो जानकारी सामने आई है, उसमें से अधिकतर फाइल ब्लैक कर दी गई है, ताकि उसे कोई देख ही ना पाए।
जो फाइल रिलीज हुई है, उसमें ज्यादातर बिल क्लिंटन की जानकरी है, जो ट्रंप की विरोधी पार्टी से ताल्लुकात रखते हैं। साथ ही इसमें बिल गेट्स का नाम सामने आया है। हालांकि, इस बात की कहीं पुष्टि नहीं है कि उन्होंने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया है। क्योंकि उनकी ज्यादा कोई जानकारी नहीं है, इसलिए ये कयास लग रहे हैं कि ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति पवार का इस्तेमाल कर अपनी जानकारियों को दबा दिया है।
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अब सबके मन में ये सवाल है कि आखिर क्यों कई फाइलों को ब्लैक कर दिया गया? यहाँ तक कि कई नाम और कई जानकारियों को छिपा दिया गया। इसपर अमेरिकी सरकार की ओर से सफाई भी पेश की गई। सरकार का कहना है कि ऐसा पीड़ितों की पहचान बचाने और चल रही जांचों की वजह से किया गया, साथ ही अमेरिका की ओर से यह भी कहा गया कि ऐसी जानकारियों को सार्वजनिक करना कानून के ख़िलाफ़ हो सकता है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इससे सच्चाई पूरी तरह सामने नहीं आई। उनका कहना है कि इतना ज़्यादा ब्लैक करना लोगों के भरोसे को कम करता है। जब सरकार खुद जानकारी छिपाती हुई दिखती है, तो शक होना लाजमी है।
19 दिसंबर को एपस्टीन फाइल का राज खुलने वाला था लेकिन इसके तीन दिल पहले ही 16 दिसंबर 2025 को ट्रंप ने खेल कर दिया। दुनिया का ध्यान एपस्टीन फाइल से भटक जाए, इसके लिए उन्होंने वेनेज़ुएला पर अटैक का प्लान बना लिया। अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उन्होंने ये ऐलान करते हुए लिखा कि वेनेज़ुएला ने हमारे सारे तेल के अधिकार छीन लिए, हमारा तेल लूट लिया। हम वह वापस चाहते हैं। ट्रंप का इतना कहना था कि अमेरिकी सेना ने वेनेज़ुएला के तेल टैंकरों की पूरी तरह से नाकाबंदी कर दी।
हालांकि, ऐसा कुछ भी हुआ ही नहीं। अमेरिका ने वेनेज़ुएला की नाकाबंदी की और हमला कहीं और कर दिया। सेना ने ये हमला सीरिया में कर दिया। ये कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना वाली बात हो गई। 19 दिसंबर 2025 को अमेरिका ने सीरिया में बड़े पैमाने पर हवाई हमले कर दिए। ये हमले इस्लामिक स्टेट (ISIS) समूह के 70 से अधिक ठिकानों को टारगेट करके किया गया।
अमेरिकी सैनिकों ने सीरिया में पाल्मीरा के आसपास के क्षेत्र, होम्स (Homs) के पठारी इलाक़ों और देइर एज़-ज़ोर के साथ रक्का के रेगिस्तानी इलाकों को निशाना बनाया। इस हमले पर बात करते हुए अमेरिका की तरफ से ये कहा गया कि यह हमला ISIS के खिलाफ प्रतिशोध था, कोई पूरी युद्ध की शुरुआत नहीं, बल्कि ये जवाबी कार्रवाई है। उनके मुताबिक इसका उद्देश्य ISIS को कमजोर करना और भविष्य में हमले रोकना है।
दरअसल, हुआ ये था कि 13 दिसंबर 2025 को पाल्मीरा में ISIS समर्थित व्यक्ति ने अमेरिकी और सीरियाई सैनिकों पर हमला किया। इसमें 2 अमेरिकी सैन्य लोग के साथ 1 अमेरिकी नागरिक इंटरप्रेटर की मौत जान चली गई थी। इसी वजह से अमेरिका ने ये एक्शन लिया।
हालांकि, इसके लिए जो समय और दिन चुना गया, वो ये संकेत करता है कि ट्रंप ने एपस्टीन फाइल से मीडिया और दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कदम उठाया। ऐसा होता भी दिखा। एपस्टीन फाइल की खबर मात्र एक जानकारी बनकर रह गई।
(RH/ MK)