25 दिसंबर, 1954 को सचवान-तिब्बत (Szechwan-Tibet) राजमार्ग और छिंगहाई-तिब्बत राजमार्ग, जो उस समय दुनिया के दो सबसे ऊंचे राजमार्ग थे, एक ही दिन यातायात के लिए खुल गए। ये दो राजमार्ग क्रमश: याआन और गोलमुड से पहाड़ों से होते हुए ल्हासा तक पहुंचे। इन दो राजमार्गों के खुलने से सड़क और कारों के बिना तिब्बत के हजारों वर्षों के इतिहास का अंत हो गया।
गौरतलब है कि सचवान-तिब्बत राजमार्ग और छिंगहाई-तिब्बत राजमार्ग के पूरा होने से तिब्बत की दीर्घकालिक बंद स्थिति बदल गई है। इसके बाद पूरे देश से निर्माण सामग्री और लोगों की रोजमर्रा की जरूरत की चीजें लगातार तिब्बत के बर्फ से ढके पठार तक पहुंचाई जाती हैं। इसी समय, तिब्बत और चीन के विभिन्न क्षेत्रों के बीच संपर्क भी काफी हद तक बढ़ गया, जिसने तिब्बत में आधुनिक परिवहन के विकास के दरवाजे खोले, और तिब्बत के विकास और निर्माण को गति दी।
विशेष रूप से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Communist) की 18वीं राष्ट्रीय कांग्रेस (National Congress) के बाद, तिब्बत के यातायात ने तेजी से विकास के युग में प्रवेश किया। पिछले दस वर्षों में, तिब्बत राजमार्गों का कुल माइलेज 2012 के अंत में 65,200 किमी से बढ़कर जुलाई 2022 में 120,700 किमी हो गया है। हाई-ग्रेड (हाई-स्पीड) राजमार्गों का माइलेज 38 किमी से बढ़कर 1,105 किमी हो गया है और टाउनशिप और प्रशासनिक गांवों की सुचारु यातायात दर क्रमश: 94.4 प्रतिशत और 77.89 प्रतिशत तक पहुंच गई।
आईएएनएस/PT