इसका नतीजा कई बार दिल के दौरे (Seizure) या स्ट्रोक (Stroke) के रूप में सामने आता है। इसको लेकर आयुर्वेद मानता है कि अगर शरीर का संतुलन बना रहे और पाचन तंत्र मजबूत हो, तो कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) अपने आप नियंत्रित रह सकता है।
आयुर्वेद में दिल की देखभाल के लिए कई जड़ी-बूटियों का उल्लेख किया गया है, जिनमें सबसे प्रमुख है अर्जुन Arjun की छाल। अर्जुन का पेड़ भारत के लगभग हर हिस्से में पाया जाता है और इसकी छाल को दिल की औषधि (Medicine) माना जाता है। यह धमनियों को साफ रखने, रक्त संचार को बेहतर करने और हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करती है।
वैज्ञानिक अध्ययनों में भी यह पाया गया है कि अर्जुन की छाल में मौजूद नैचुरल एंटीऑक्सीडेंट्स (Antioxidants) और टैनिन्स (Tannins) शरीर में जमा खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को घटाने में मदद करते हैं, जबकि अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ावा देते हैं। यही वजह है कि कई आयुर्वेदिक डॉक्टर इसे दिल की मजबूती के लिए जरूरी मानते हैं।
अर्जुन की छाल को आमतौर पर पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। रात में इसे दूध या पानी में उबालकर पीने से इसका असर धीरे-धीरे शरीर में दिखने लगता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे 'हृदय बल्य' यानी दिल को बल देने वाली औषधि कहा गया है। इसका स्वाद थोड़ा कसैला होता है, लेकिन इसके फायदे अधिक हैं। नियमित सेवन से ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है, ब्लॉकेज होने की संभावना घटती है और शरीर में ऊर्जा का संचार बना रहता है।
विज्ञान के मुताबिक, अर्जुन की छाल में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो धमनियों में जमी चर्बी को धीरे-धीरे पिघलाने में सहायक होते हैं। यह शरीर के मेटाबॉलिज्म (Metabolism) को दुरुस्त करती है और लिपिड प्रोफाइल (Lipid Profile) को संतुलित रखने में मदद करती है। इसके अलावा, इसमें पाए जाने वाले फ्लेवोनॉयड्स (Flavonoids) और सैपोनिन (Saponin) शरीर में फ्री रेडिकल्स (Radicals) से लड़ते हैं, जिससे धमनियों की दीवारें मजबूत बनी रहती हैं। यह दिल को सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी शांत रखती है। वहीं रोजाना हल्का व्यायाम, ध्यान, योग और संतुलित भोजन दिल को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी हैं।
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