आयुर्वेद (Ayurveda) में कहा गया है कि जरूरत से ज्यादा बैठना, सोना या आलस्य शरीर के लिए हानिकारक है। लगातार बैठने से वात दोष बढ़ता है, जिससे शरीर का रक्त प्रवाह, पाचन शक्ति और मानसिक ऊर्जा सब पर असर पड़ता है।
सबसे पहले, कमर दर्द और रीढ़ की कमजोरी की समस्या। घंटों एक ही जगह बैठे रहने से रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है और कमर दर्द आम हो जाता है। इससे बचने के लिए हर 30-40 मिनट में उठें और 2 मिनट चलें। साथ ही रोजाना भुजंगासन या शशांकासन करें। इसके अलावा, तिल के तेल से रोजाना पीठ और गर्दन पर हल्की मालिश भी फायदेमंद रहती है।
दूसरी बड़ी समस्या है मोटापा (Obesity) और मेटाबॉलिज्म (Metabolism) की गड़बड़ी। लंबे समय तक बैठने से शरीर की पाचन अग्नि कमजोर पड़ जाती है, जिससे खाना ठीक से नहीं पचता और चर्बी जमा होने लगती है। सुबह खाली पेट नींबू-शहद वाला गुनगुना पानी लें और भोजन करने के बाद कम से कम 100 कदम जरूर चलें।
तीसरी परेशानी है ब्लड शुगर (Blood Sugar) और हार्ट रिस्क का बढ़ना। बैठने से ब्लड में ग्लूकोज (Glucose) का उपयोग नहीं हो पाता और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है। इससे डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हर घंटे में एक बार स्ट्रेचिंग करें और अपने खाने में लौकी, मेथी दाना और दालचीनी जैसी चीजें शामिल करें।
लगातार बैठने का असर पाचन तंत्र पर भी पड़ता है। गैस (Gas), कब्ज (Constipation) और पेट फूलना (Bloating) बहुत आम हो जाता है। ऐसे में भोजन के बाद त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी में मिलाकर पीना फायदेमंद होता है।
गर्दन और कंधे का दर्द (सर्वाइकल पेन) भी इसका नतीजा है। लगातार मोबाइल या कंप्यूटर पर झुककर बैठने से गर्दन की नसों पर दबाव पड़ सकता है। इसे ठीक करने के लिए हल्की स्ट्रेचिंग और तिल के तेल से ग्रीवा मालिश करें।
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