

भोजन करते समय हमारी मानसिक स्थिति भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है, जितनी खाने की गुणवत्ता। अगर हम तनाव में या जल्दी-जल्दी भोजन करते हैं, तो शरीर उसे सही तरीके से पचा नहीं पाता और पोषण का पूरा लाभ नहीं मिल पाता। इसी कारण से आयुर्वेद में 'माइंडफुल ईटिंग' (Mindful Eating) यानी सचेत और ध्यानपूर्वक भोजन करने पर जोर दिया गया है। खाने की हर बाइट को चबाकर और स्वाद का आनंद लेकर खाना शरीर को पोषण देने के साथ-साथ मानसिक शांति भी देता है।
संतुलित भोजन का मतलब यह भी है कि हम सभी प्रकार के पोषक तत्वों का ध्यान रखें। इसमें प्रोटीन (Protein), कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates), विटामिन (Vitamins), मिनरल (Minerals) और फाइबर (Fiber) शामिल होने चाहिए। साथ ही, ताजी और मौसमी खाद्य पदार्थों का चुनाव करना चाहिए।
आयुर्वेद में यह भी कहा गया है कि शरीर की जरूरत के अनुसार भोजन करें, न ज्यादा भारी, न बहुत हल्का। एक हल्का और सुपाच्य भोजन शरीर की अग्नि यानी मेटाबॉलिक (Metabolic) फायर को बनाए रखता है, जिससे आप दिनभर ऊर्जावान और तंदरुस्त रहते हैं।
भोजन केवल शरीर को ही नहीं, बल्कि मन को भी संतुलित करता है। सही समय पर, संतुलित और सचेत होकर किया गया भोजन मानसिक तनाव कम करता है, मूड अच्छा रखता है और ध्यान क्षमता को बढ़ाता है। यह हमारे जीवन में ऊर्जा और ताजगी बनाए रखने का सबसे आसान और प्राकृतिक तरीका है।
आयुर्वेद (Ayurveda) में कहा गया है कि भोजन को औषधि समझकर, संतुलित और माइंडफुल (Mindful) तरीके से खाना चाहिए। जब हम यह आदत अपनाते हैं, तो न केवल हमारा शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मन और आत्मा भी प्रसन्न रहती है।
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