हार्ट अटैक (Heart Attack) के बाद हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, अटैक के बाद हार्ट मसल्स को काफी नुकसान पहुंचता है, जिससे खून को ठीक से पंप करने की उसकी क्षमता कमजोर हो जाती है।
यह अचानक होने वाली समस्या (एक्यूट हार्ट फेलियर) या लंबे समय तक चलने वाली समस्या हो सकती है। लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, थकान (Tiredness), पैरों में सूजन और दिल की धड़कनों का अनियमित होना शामिल है।
बीएमजे ने इस क्लिनिकल ट्रायल (Clinical Trial) को पब्लिश किया है। ये स्टडी बताती है कि स्टेम सेल थेरेपी हार्ट अटैक के बाद मरीजों के इस खास ग्रुप के लिए हार्ट फेलियर को रोकने और भविष्य में होने वाले खतरे को कम करने की एक जरूरी अतिरिक्त प्रक्रिया हो सकती है।
यूके में क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन (Queen Mary University of London) के शोधकर्ताओं सहित एक इंटरनेशनल टीम ने हार्ट अटैक के बाद कोरोनरी आर्टरीज (Coronary Arteries) में सीधे स्टेम सेल (जिसे इंट्राकोरोनरी इन्फ्यूजन के नाम से जाना जाता है) पहुंचाया और जानने की कोशिश की कि क्या अगले तीन साल में हार्ट फेलियर की स्थिति बनती है।
टीम ने कहा, "नतीजे बताते हैं कि यह तकनीक मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (Myocardial Infarction) के बाद हार्ट फेलियर को रोकने और भविष्य के जोखिम को कम करने के लिए एक आवश्यक सहायक प्रक्रिया के रूप में काम कर सकती है।"
इस ट्रायल में ईरान के तीन टीचिंग अस्पतालों में 396 मरीज (औसत उम्र 57-59 साल) शामिल थे, जिन्हें पहले कोई दिल की बीमारी नहीं थी। उन सभी को पहला हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इन्फार्क्शन) आया था।
इनमें से, इंटरवेंशन ग्रुप के 136 मरीजों को स्टैंडर्ड केयर के अलावा, हार्ट अटैक के 3-7 दिनों के अंदर एलोजेनिक व्हार्टन जेली-डेरिव्ड मेसेनकाइमल स्टेम सेल का इंट्राकोरोनरी इन्फ्यूजन दिया गया।
बाकी 260 कंट्रोल ग्रुप के मरीजों को सिर्फ स्टैंडर्ड (Standard Care) केयर दी गई।
कंट्रोल ग्रुप की तुलना में, स्टेम सेल के इंट्राकोरोनरी इन्फ्यूजन से हार्ट फेलियर की दर (2.77 बनाम 6.48 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष), हार्ट फेलियर के लिए अस्पताल में दोबारा भर्ती होने की दर (0.92 बनाम 4.20 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष), और कार्डियोवैस्कुलर मौत और हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर के लिए दोबारा भर्ती होने (2.8 बनाम 7.16 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष) की दर पहले से कम हुई।
इस इंटरवेंशन (Intervention) का हार्ट अटैक के लिए अस्पताल में दोबारा भर्ती होने या कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से होने वाली मौत पर सांख्यिकीय रूप से कोई खास असर नहीं पड़ा।
हालांकि, शोधकर्ता ने कहा कि छह महीने में, इंटरवेंशन ग्रुप में हार्ट फंक्शन में कंट्रोल ग्रुप की तुलना में काफी ज्यादा सुधार दिखा, साथ ही उन्होंने इस नतीजे की पुष्टि के लिए और ट्रायल की जरूरत पर भी जोर दिया।
[AK]