बहुमंजिला इमारतें
बहुमंजिला इमारतें IANS
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बहुमंजिला इमारतें मानसिक रूप से परेशान लोगों के लिए आत्महत्या का आसान जरिया बन रही हैं

न्यूज़ग्राम डेस्क

ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) वेस्ट की बहुमंजिला इमारतें मानसिक रूप से परेशान लोगों के लिए आत्महत्या का आसान जरिया बन रही हैं। बहुमंजिला इमारतों से कूदकर जान देने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।

23 नवंबर की रात ग्रेटर नोएडा वेस्ट के चेरी काउंटी में अपनी बेटी और दामाद के साथ रह रही एक बुजुर्ग महिला ने 22 मंजिला इमारत से कूदकर आत्महत्या (suicide) कर ली। पुलिस ने जब जांच की तो पता चला कि महिला पिछले 7 सालों से अपने बेटी दामाद के साथ इसी बिल्डिंग में रहती थी। पुलिस ने यह दावा भी किया कि महिला ने अवसाद (depression) की वजह से कदम उठाया है।

कुछ दिनों पहले ही ग्रेटर नोएडा वेस्ट के इको विलेज-3 हाउसिंग सोसायटी में 35 वर्षीय एक महिला ने भी 16 मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। पुलिस ने जब जांच की तो पता चला कि घरेलू विवाद के चलते महिला ने कदम उठाया।

एक के बाद एक इस तरीके के आ रहे मामलों को देखकर लगता है कि कहीं ना कहीं हाई राइज सोसाइटी में रहने वाले लोगों के लिए यह ऊंची बिल्डिंग आत्महत्या का आसान पॉइंट बन चुकी हैं। साल 2022 में अक्टूबर तक कुल 323 सुसाइड के मामले आ चुके हैं। जिनमें से 92 लोगों ने बहुमंजिला इमारत से कूदकर जान दी। साफ जाहिर है की आत्महत्या के लिए ये ऊंची बिल्डिंग एक नया केंद्र बन रही हैं।

बहुमंजिला इमारतें

लगातार बढ़ते आत्महत्या के मामलों को देखते हुए पुलिस भी हैरान है, क्योंकि आत्महत्या करने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है और धीरे-धीरे यह संख्या बुजुर्गों की तरफ ज्यादा बढ़ रही है। पुलिस के मुताबिक अगर बीते 3 से 4 दिनों की बात करें तो ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अलग-अलग सोसाइटी की इमारतों से गिरकर 3 लोगों की मौत हो चुकी है।

बीते मंगलवार तड़के ग्रेटर नोएडा वेस्ट इको विलेज थ्री सोसाइटी में 16वीं मंजिल के फ्लैट से गिरकर श्वेता यादव की मौत हो गई थी। मामले में पुलिस ने आत्महत्या का दावा किया था। वहीं मंगलवार देर रात सुपरटेक केपटाउन सोसाइटी की आठवीं मंजिल से कूदकर जयदीप दास ने आत्महत्या कर ली और फिर चेरी काउंटी में 22 मंजिल से कूदकर बुजुर्ग महिला ने आत्महत्या कर ली।

इन सभी मामलों को देखते हुए पुलिस के आला अधिकारी बताते हैं कि बहुमंजिला इमारतों से गिरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और यह सभी ज्यादातर किसी ना किसी मानसिक पीड़ा का शिकार होते हैं और इनमें भी 30 से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो चिंता का विषय है।

पुलिस के मुताबिक अक्सर जब इस मामले की जांच करने पहुंचते हैं तो घरवाले, आस-पड़ोस के लोग और सबूत के तौर पर उनको मिलने वाले एविडेंस में आत्महत्या करने वाले व्यक्ति का जरूर कोई ना कोई मानसिक परेशानी का सबूत मिलता है।

मनोचिकित्सक डॉक्टर अमित कुमार बताते हैं कि कि लगातार बढ़ रहे सुसाइड के मामलों को देखते हुए जो स्टडी की गई है उनमें बुजुर्ग लोगों में अगर सुसाइड की टेंडेंसी ज्यादा देखने को मिली है तो उसकी वजह इंप्टीनेस सिंड्रोम है। उन्होंने बताया है कि बुजुर्गों को लगता है कि जैसे उनकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है।

बुजुर्ग अगर अकेले ज्यादा समय घर पर बिता रहे हैं तो वह तनाव में ज्यादा रहते हैं। अगर वह भरे पूरे परिवार में रहते हैं तो इस तरीके की दिक्कत और समस्या नहीं होती। लेकिन जब वह न्यूक्लियर परिवार में एक या दो लोगों के साथ रहते हैं तो उनका अवसाद में आना लगभग तय हो जाता है।

इसके लिए बुजुर्ग के आसपास लोगों को घुलमिल कर रहना चाहिए और परिवार के लोगों को बुजुर्गों को समय देना जरूरी होता है जिससे उनको खालीपन का पता ना चले। इसके साथ उन्होंने बताया है कि 30 की उम्र से पार जाने वाले लोगों के भी सुसाइड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

ऐसे में लोगों के लिए काम का प्रेशर, पारिवारिक कलह और आपसी मनमुटाव एक बड़ी वजह बन कर सामने आया है। जिसको कम या खत्म करने के लिए परिवार के लोगों को आपस में बैठकर बात करनी बेहद जरूरी होती है और एक दूसरे का सपोर्ट भी बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है तभी इस तरीके के बढ़ते मामलों को रोका जा सकता है।

आईएएनएस/RS

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