सबसे पहले बात करते हैं सुबह जल्दी उठने की। आयुर्वेद कहता है कि ब्रह्ममुहुर्ते उत्तिष्ठेत् यानी सूर्योदय से करीब डेढ़ घंटा पहले उठना चाहिए। इस समय वातावरण शांत और ऊर्जा से भरा होता है। जो लोग इस समय उठते हैं, उनकी स्मरण शक्ति, ध्यान और फेफड़ों की क्षमता बेहतर होती है।
उठने के बाद सबसे जरूरी है मुख-शुद्धि, यानी दांत और जीभ की सफाई। नीम, खैर या बबूल की दातून से दांत साफ करना और जीभ पर जमी परत (अम) को खुरचना चाहिए। इससे न केवल मुंह की बदबू दूर होती है, बल्कि पाचन तंत्र (Digestive System) भी एक्टिव होता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि जीभ की सफाई शरीर के अंदर के टॉक्सिन्स Toxins को बाहर निकालने में मदद करती है।
इसके बाद आता है उषःपान (जल सेवन), यानी सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना। अगर ये पानी तांबे या मिट्टी के पात्र में रखा हो तो और भी बेहतर। इससे कब्ज (Constipation), गैस (Gas), और स्किन से जुड़ी कई दिक्कतें (Skin Related Problems) दूर होती हैं। यह शरीर को अंदर से साफ कर देता है और मेटाबॉलिज्म को तेज करता है।
अब बारी आती है नाक और आंखों की शुद्धि की। सुबह ठंडे पानी से आंखें धोना और नाक में गाय का घी या अणु तेल की दो बूंदें डालना बहुत फायदेमंद होता है। इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है, साइनस (Sinus) और एलर्जी (Allergies) से राहत मिलती है और दिमाग शांत रहता है।
सुबह का समय योग, व्यायाम और प्राणायाम के लिए सबसे उपयुक्त है। हल्के आसन जैसे सूर्य नमस्कार (Namaskar), ताड़ासन (Tadasana) या अनुलोम-विलोम (Anulom-Vilom) करने से रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। इससे दिनभर की थकान और तनाव दूर रहता है।
इसके बाद स्नान करना, जो केवल शरीर की सफाई नहीं, बल्कि मन को भी शुद्ध करता है। ठंडे या गुनगुने पानी से स्नान करने से आलस्य दूर होता है और मन ताजा हो जाता है। स्नान के बाद पूजा या ध्यान का समय होता है। यह आत्मबल और मानसिक शांति को बढ़ाता है। सकारात्मक विचारों से दिन की शुरुआत करने वाला व्यक्ति पूरे दिन खुश और केंद्रित रहता है।
अंत में आता है नाश्ता। सुबह का भोजन हल्का और पौष्टिक होना चाहिए, जैसे फल, दलिया, मूंग की खिचड़ी या दूध। इससे पाचन ठीक रहता है और शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिलती है।
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