पूर्ण शलभासन (Shalabhaasan) या फुल लोकस्ट पोज योग के सबसे उन्नत और प्रभावशाली आसनों में से एक है। मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा बताता है कि पूर्ण शलभासन न सिर्फ रीढ़ की हड्डी को लोहे जैसा मजबूत बनाता है, बल्कि पूरे शरीर को ताकत और एनर्जी भी देता है।
पूर्ण शलभासन करने के लिए पहले पेट के बल लेटकर ठोड़ी जमीन पर रखें। दोनों हाथ शरीर के साथ रखें। सांस भरते हुए पहले दोनों पैरों को एक साथ जितना ऊपर हो सके उठाएं। फिर कंधों और भुजाओं को मजबूती से जमीन पर दबाते हुए पैरों को सीधा ऊपर की ओर लगभग 90 डिग्री तक ले जाएं। इस समय पूरा शरीर सिर्फ ठोड़ी, छाती और भुजाओं पर संतुलित रहेगा। जब संतुलन बन जाए तो घुटने मोड़ें और पैरों की उंगलियों से सिर को छूने की कोशिश करें। जितनी देर संभव हो रुकें और फिर धीरे-धीरे वापस की स्थिति में आएं।
इस आसन के फायदे गिनते नहीं बनते। अभ्यास से रीढ़ की हड्डी मजबूत (Bone Strong) और लचीली बनती है, पीठ, कंधे, भुजाएं और छाती की मांसपेशियों में ताकत आती हैं। पेट के अंदरूनी अंगों की अच्छी मालिश होती है, पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। कमर दर्द, स्लिप डिस्क और सर्वाइकल की शुरुआती समस्या में आराम मिलता है। साथ ही आत्मविश्वास और एकाग्रता में भी बढ़ोतरी होती है।
नियमित अभ्यास से शलभासन शरीर को ताकत, लचीलापन देने के साथ भरपूर एनर्जी देता है। हालांकि, एक्सपर्ट कुछ सावधानी बरतने की भी सलाह देते हैं। हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), हृदय रोग, गर्भवती महिलाओं, कमर-गर्दन में गंभीर चोट या हालिया ऑपरेशन, अल्सर, हर्निया और गंभीर सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के मरीजों को यह आसन एक्सपर्ट की सलाह के बाद ही करने की सलाह दी जाती है।
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