प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को अंतराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। WiKimedia common
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Sign Language Day: बधिर समुदाय का उत्सव है अंतराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस!

बधिर समुदाय को प्रोत्साहित और अंतराष्ट्रीय पहचान देने के लिए प्रत्येक वर्ष सांकेतिक भाषा दिवस 23 सितंबर को मनाया जाता है।

Priti Shukla

अंतराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस का इतिहास

कहते हैं हर आदमी को सुनने, समझने और अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है लेकिन अगर जीवन में किसी विशेष शारीरिक स्थिति की वजह से यदि इस अधिकार में बाधा आए तो सांकेतिक भाषा ऐसी समस्याओं का समाधान मानी जाती है। ‌सांकेतिक भाषा बहरे या ठीक से ना सुनने, मानसिक अस्थिरता वाले लोगों के लिए एक वरदान की तरह काम करती है। ‌ प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को अंतराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। वह लोग जो शारीरिक दिव्यांग संबंधित समस्या से ग्रसित है, तो ऐसे लोगों एकदूसरे से कम्युनिकेशन के लिए आम लैंग्वेज की जगह सांकेतिक लैंग्वेज का इस्तेमाल करते हैं। सांकेतिक भाषा का इतिहास काफी पुराना है तथा यह मुख्य तौर पर बधिर समुदाय के लोगों द्वारा आपस में संपर्क और कम्युनिकेशन स्थापित करने के लिए उपयोग में लाई जाती है।

क्या होती है सांकेतिक भाषा?

बहरे, ठीक से ना सुन सकने वाले और मानसिक रूप से अस्थिर लोगों के लिए सांकेतिक भाषा उत्पन हुई है। ‌ सांकेतिक भाषा विभिन्न व्याकरण और फॉर्मेट पर आधारित होती है। सांकेतिक भाषा में ज्यादातर हाथों की स्थिति, शारीरिक हाव-भाव के माध्यम से शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों से कम्युनिकेशन स्थापित किया जाता है। ‌

अंतराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस

सांकेतिक भाषाई लोगों की कठिनाई

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के अवसर पर हम आपको यह बताना जाएंगे कि पहले स्कूलों और शैक्षिक संस्थानों में शारीरिक रूप से दिव्यांग बच्चों जैसे बहरे या कम सुनने वाले विद्यार्थियों को सांकेतिक भाषा का उपयोग न करने का आदेश दिया जाता था और इसकी जगह आम भाषा में बोलने और सुनने को बाधित किया जाता था। ‌ हालांकि समय-समय पर साइन लैंग्वेज का विस्तार हुआ जिसके बाद प्रत्येक शैक्षिक संस्थानों में शिक्षकों को साइन लैंग्वेज सीखकर दिव्यांग बच्चों को साइन लैंग्वेज में पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाने लगा जिससे बधिर समुदाय के लोगों को उनके अधिकार मिलने में आसानी हो पाई।

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस का महत्व

प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस बधिर समुदाय के लोगों को आमजन में रहने के लिए प्रोत्साहित करना और आम जनता को सांकेतिक भाषा सीखने एवं बधिर समुदाय के लोगों को समझना एवं उनके साथ कम्युनिकेशन स्थापित करने आदि उद्देश्य से मनाया जाता है। सांकेतिक भाषा एक बेहद ही सुंदर भाषा है और इसका उपयोग बधिर समुदाय के लोगों द्वारा कम्युनिकेशन स्थापित करने के लिए किया जाता है तथा यह भी अन्य भाषाओं की तरह एक अच्छी भाषा है ना कि किसी विकृति के तौर पर इसे देखा जाए। साइन लैंग्वेज दुनिया भर में अपनी विभिन्न संकेत एवं प्राकृतिक सुंदरता के माध्यम से अपना महत्व स्थापित करती है। सांकेतिक भाषा बधिर समुदाय को आम दुनिया में आम जन जीवन जीने के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म प्रदान करती है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने आपको अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस से संबंधित जानकारी दी है जिसमें हमने जाना कि सांकेतिक भाषा की प्रकृति एवं व्याकरण काफी सुंदर है तथा यह बधिर समुदाय को आम जीवन जीने में सहायता करती है। (OG/PS)

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