<div class="paragraphs"><p>जोशीमठ संकट पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा सवाल [Wikimedia Commons] </p></div>

जोशीमठ संकट पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा सवाल [Wikimedia Commons]

 

सुप्रीम कोर्ट 

आपदा

दिल्ली हाईकोर्ट: जोशीमठ संकट से जुड़ी कोई याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी है?

न्यूज़ग्राम डेस्क

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) ने सोमवार को केंद्र से उत्तराखंड (Uttarakhand) में जोशीमठ (Joshimath) संकट की जांच के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त संयुक्त समिति गठित करने का अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ता से यह देखने के लिए कहा कि क्या इसी तरह की कोई याचिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी दायर की गई है। न्यायमूर्ति सतीश चंदर शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ एडवोकेट रोहित डांडरियाल द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। याचिका जोशीमठ के प्रभावित जिलों के लिए दायर की गई थी, जिसमें एक आयोग के गठन और सभी संबंधित मंत्रालयों के सदस्यों को इस पर तुरंत गौर करने का आदेश देने की मांग की गई थी।

याचिका में तर्क दिया गया कि पिछले कुछ सालों में जोशीमठ में किए गए निर्माण कार्य काफी हद तक वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार है और ऐसा करके प्रतिवादियों ने निवासियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया। तर्क में यह भी दावा किया कि प्रतिवादी को वर्तमान में एक कल्याणकारी राज्य के रूप में व्यवहार करने की आवश्यकता है और वह अपने निवासियों को समकालीन और रहने योग्य आवास प्रदान करने के लिए बाध्य है। इसमें आगे कहा गया कि यह जरूरी है कि केंद्र सरकार गढ़वाल क्षेत्र के निवासियों की कठिनाइयों को पहचाने और उन्हें एक सभ्य जीवन के लिए आवश्यक चीजों तक पहुंच प्रदान करने के लिए कार्रवाई करें।

जोशीमठ संकट

दलील में कहा गया है: 6,000 फीट की ऊंचाई पर चमोली की पहाड़ियों में बसे पवित्र शहर में सबसे अजीब घटनाओं में से एक, 2021 से घरों में दरारें और क्षति का विकास शुरू हो गया है, जिससे निवासी चिंतित हैं। पहली रिपोर्ट के बाद से चमोली में भूस्खलन के बाद 2021 में दरारें, 570 से अधिक घरों में लगातार क्षति हुई हैं, क्योंकि निवासियों ने बार-बार भूकंपीय झटके महसूस किए। याचिका में आगे कहा गया, यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख पीठों में से एक का घर है। 7 फरवरी, 2021 के बाद से, यह क्षेत्र 2021 उत्तराखंड बाढ़ और उसके बाद गंभीर रूप से प्रभावित हुआ था।

आईएएनएस/PT

विशेष काम के लिए बाहर जाने से पहले क्यों खाते हैं दही शक्कर? जानिए इसका वैज्ञानिक कारण

प्लास्टिक प्रदूषण से मिलेगा छुटकारा, वैज्ञानिकों ने बनाया खुद ही नष्ट हो जाने वाला प्लास्टिक

दूध में मिलाया जा रहा है ऑक्सोटोसिन, हाईकोर्ट ने डेयरी कॉलोनी को लगाई फटकार

असम में रहने वाले ये लोग नहीं दे सकते हैं वोट, जानिए क्या है वजह

भारतीय लिबरल पार्टी ने दिल्ली के 3 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का किया नामांकन