उड़ीसा: झोपड़ी में रहने वाले शख्स ने शुरू किया इंटरनेशनल स्कूल

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भुवनेश्वर (Bhubaneshwar)

शिक्षा

उड़ीसा: झोपड़ी में रहने वाले शख्स ने शुरू किया इंटरनेशनल स्कूल

स्कूल के निदेशक ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में बसे इस स्कूल के लिए स्टैनफोर्ड (Stanford) और हार्वर्ड (Harvard) जैसे आइवी लीग विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक मानकों को छात्र दोहराना चाहते हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क

न्यूजग्राम हिंदी: उड़ीसा (Odisha) के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में एक वर्ल्ड क्लास स्कूल की शुरूआत की जा रही है। खास बात यह है कि विश्व स्तरीय सभी सुविधाओं से लैस यह स्कूल पूरी तरह निशुल्क है। यह स्कूल एक ऐसे व्यक्ति ने बनाया है जिसने अपना बचपन इसी गांव की एक कच्ची झोपड़ी में रहते हुए मजदूरी कर के बिताया है।

इस स्कूल में छात्रों को पढ़ाने के लिए विदेशों से एक्सपर्ट फैकल्टी आ रहे हैं। वहीं संगीत सिखाने के लिए जुबिन नौटियाल (Jubin Nautiyal), सोनू निगम, खेलों के लिए पूर्व भारतीय कप्तान रवि शास्त्री, बिजनेस एजुकेशन के लिए राजीव बजाज जैसी हस्तियां योगदान देंगी।

भुवनेश्वर (Bhubaneshwar) से करीब 165 किलोमीटर दूर कियोंनझार (Keonjhar) जिले के बेरूनपड़ी ग्राम में मौजूद स्थित यह 'उत्कल गौरव इंटरनेशनल स्कूल (Utkal Gaurav International School)' ऐसे छात्रों के लिए बनाया गया है जिनके माता-पिता निर्धन व पिछड़े हुए हैं और शिक्षा का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। फिलहाल यह स्कूल अभी 10 एकड़ में है और क्षमता पूरी होने पर इसे बढ़ाकर 20 एकड़ कर दिया जाएगा। स्कूल की कुल क्षमता 2500 छात्रों की है।

स्कूल के निदेशक डॉक्टर प्रदीप सेठी (Dr. Pradeep Sethi) हैं। प्रदीप सेठी ने अपना जीवन इसी गांव की एक कच्ची झोपड़ी में बिताया, शुरूआती दौर में परिवार और अपना खर्च उठाने के लिए दैनिक मजदूरी की, लेकिन शिक्षा का दामन नहीं छोड़ा। सेठी कड़ी मेहनत करते हुए इस गांव की कच्ची झोपड़ी से दिल्ली के एम्स अस्पताल (Aiims) तक पहुंचे। डॉक्टर सेठी ने एमबीबीएस और फिर एमडी की पढ़ाई पूरी की।

डॉक्टर सेठी के मुताबिक दिल्ली में बड़ा डॉक्टर बनने के बावजूद उनका दिल अपने गांव में ही बसा था। पढ़ाई पूरी करने और प्रैक्टिस शुरू करने के करीब 15 साल बाद डॉक्टर सेठी अपने गांव पहुंचे। उड़ीसा के बेहद ग्रामीण और पिछड़े इलाके में स्थित अपने गांव वालों को उन्होंने पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित किया। गांव में एक इंटरनेशनल स्कूल बनाने के लिए जमीन खरीदी। इस बीच कई गांव वाले भी उनके साथ जुड़े और स्कूल शुरू करने के लिए अपनी जमीन दान दी।

इसका नतीजा यह हुआ कि उड़ीसा के इस ग्रामीण अंचल में दिल्ली-मुंबई के शहरों जैसा बड़ा स्कूल बनकर तैयार हुआ। डॉक्टर शेट्टी के मुताबिक वे केवल एक स्कूल तक सीमित नहीं रहना चाहते थे इसलिए इसे इंटरनेशनल स्कूल की शक्ल दी गई। इसमें विदेशों के फैकल्टी को अनुबंधित किया गया है। यहां कई स्किल डेवलपमेंट और प्लेसमेंट कोर्सेज भी विकसित किए जा रहे हैं। यहां कक्षा 1 से लेकर 12 तक की कक्षाएं चालू हैं। डॉक्टर सेठी के मुताबिक 50 और नए क्लासरूम जोड़े जा रहे हैं। इसी वर्ष मार्च में स्कूल के प्रारंभिक खंडों की शुरूआत की गई है।

स्किल डेवलपमेंट और प्लेसमेंट कोर्सेज भी विकसित किए जा रहे

(IANS)

यहां पढ़ाई के अलावा खेलों में स्क्वैश, टेनिस, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, फुटबॉल, हॉकी और क्रिकेट सहित इनडोर और आउटडोर के लिए अत्याधुनिक खेल परिसर का निर्माण किया जा रहा है। कला परिसर में लोगों को शास्त्रीय नृत्य और पश्चिमी नृत्य के साथ-साथ पश्चिमी और भारतीय दोनों तरह के संगीत की शिक्षा दी जाएगी। साथ ही स्कूल में गरीब छात्रों के लिए ललित कला वर्ग और योग भी होंगे।

स्कूल के निदेशक ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में बसे इस स्कूल के लिए स्टैनफोर्ड (Stanford) और हार्वर्ड (Harvard) जैसे आइवी लीग विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक मानकों को छात्र दोहराना चाहते हैं। इसके अलावा यहां कई प्रकार के पेशेवर कोर्स भी शुरू किए गए हैं जिनमें आधुनिक तकनीक से मत्स्य पालन, व्यवसायिक कृषि, कंप्यूटर, आईटी और विज्ञान से जुड़े प्रोफेशनल कोर्स शामिल हैं।

डॉक्टर सेठी के मुताबिक यह सभी को पूरी तरह निशुल्क है स्कूल में किसी भी छात्र से किसी भी कार्य के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता।

यहां कंप्यूटर लैब के अलावा केमिस्ट्री और विज्ञान की अन्य आधुनिकतम प्रयोगशाला विकसित की गई हैं। साथ ही कुछ अन्य प्रयोगशालाओं के निर्माण का कार्य चल रहा है।

--आईएएनएस/PT

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