<div class="paragraphs"><p>उत्तरप्रदेश के श्याम नंदन को विश्व हिंदी सम्मेलन में शोध पत्र पेश करने के लिए चुना गया (IANS)</p></div>

उत्तरप्रदेश के श्याम नंदन को विश्व हिंदी सम्मेलन में शोध पत्र पेश करने के लिए चुना गया (IANS)

 

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय

शिक्षा

उत्तरप्रदेश के श्याम नंदन को विश्व हिंदी सम्मेलन में शोध पत्र पेश करने के लिए चुना गया

न्यूज़ग्राम डेस्क

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अंबेडकरनगर (AmbedkarNagar) जिले में रहने वाले श्याम नंदन (Shyam Nandan) को भौतिक में 15-17 फरवरी तक होने वाले विश्व हिंदी सम्मेलन (डब्ल्यूएचसीई) में अपना शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए चुना गया है। विश्व हिन्दी सम्मेलन के लिए नंदन ने ''फिजी की हिन्दी कविता में बंधुआ मजदूरों का जीवन-संघर्ष'' शीर्षक से शोध पत्र भेजा था, जिसे मूल्यांकन उपरान्त प्रस्तुतीकरण हेतु स्वीकार किया गया है।

शब्द गिरमिटिया, जैसा कि गिरमिटिया मजदूरों को संदर्भित किया गया था, गिरमिट से लिया गया है, जिसका अर्थ है समझौता।

सम्मेलन में शोध पत्र की स्वीकृति एवं उसके प्रस्तुतीकरण-सह-पठन हेतु अनुमति पत्र विदेश मंत्रालय द्वारा भेजा गया है।

श्याम नंदन बिहार के मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय (MAHATMA GANDHI CENTRAL UNIVERSITY) के हिंदी विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं।

गिरमिटिया मजदूरों के संघर्षो, उनके दुखों, पीड़ाओं, यातनाओं और फिजी के विकास में उनके संघर्ष को उजागर किया गया है।

उन्होंने कहा, समायोजन की यह प्रक्रिया बेहद कठिन और दर्दनाक थी। इन कष्टों और संघर्षों को इन गिरमिटिया मजदूरों और उनके वंशजों ने अपने साहित्य में व्यक्त किया है।

नंदन बताते हैं कि आठ साल पहले जब उन्होंने 2015 में भोपाल में विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लिया था, तब कैसे उन्हें गिरमिटिया मजदूरों के संघर्षों पर शोध करने की प्रेरणा मिली थी।

विश्व हिंदी सम्मेलन

नंदन ने कहा, मैं इस महिला से मिला, जिसने कई पूर्वी यूपी के जिलों में लोकप्रिय भोजपुरी गीत गाया, जहां एक गिरमिटिया की पत्नी उसकी अनुपस्थिति पर रोती है। 'कौने नगरिया तू जाए रे बिदेसिया।

उनके शोध में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कैसे गरीब किसानों और मजदूरों को अंग्रेजों ने सशर्त व्यवस्था के तहत अपने उपनिवेशों में तरह-तरह के प्रलोभन देकर अपने साथ ले लिया था।

--आईएएनएस/PT

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