Female Electrician - सीता देवी स्विच से लेकर पंखे और हर तरह के बिजली के खराब उपकरणों को रिपेयर करती हैं। (Wikimedia Commons)
Female Electrician - सीता देवी स्विच से लेकर पंखे और हर तरह के बिजली के खराब उपकरणों को रिपेयर करती हैं। (Wikimedia Commons) 
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बनी जिले की पहली महिला इलेक्ट्रीशियन, बच्चे के साथ - साथ संभाला दुकान का काम

न्यूज़ग्राम डेस्क

Female Electrician - महिलाओं ने खुद ये बात साबित की है की महिलाएं हर काम को करने में निपुण होती है। घर परिवार की छोटी से छोटी जरूरत को पूरा करके आदर्श गृहणी के साथ साथ बाहर निकल कर आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए महिलाएं खुद को न्योछावर कर देती है। आप अक्सर पत्नी , मां , बहन या बेटी को रसोई में खाना बनाते देखा होगा, लेकिन जब बिजली की कोई समस्या होती है तो लोग पापा या भाई को याद करते हैं। हालांकि बिहार में एक ऐसी महिला है जो 'मर्दो वाले काम' भी करती है, यानी यह गृहणी रसोई में खाना बनाने के साथ खराब पंखा भी ठीक करने में सक्षम है। एक साधारण गृहणी बिहार की इलेक्ट्रिशियन बन गई है।

बिहार के गया जिले की रहने वाली इलेक्ट्रिशियन सीता देवी क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध हैं। काशीनाथ मोड़ पर सीता देवी की बिजली के उपकरण बनाने की दुकान है। वह इलेक्ट्रिक स्विच से लेकर पंखे और हर तरह के बिजली के खराब उपकरणों को रिपेयर करती हैं।

जब बिजली की कोई समस्या होती है तो लोग पापा या भाई को याद करते हैं। (Wikimedia Commons

कैसे बनीं इलेक्ट्रिशियन

15 साल पहले जब सीता देवी की शादी हुई तो वह एक सामान्य गृहणी थीं। उनके पति का नाम जितेंद्र मिस्त्री है, जो पेशे से एक इलेक्ट्रीशियन थे। सीता देवी घर और बच्चों को संभालती थीं। लेकिन पति की सेहत ठीक न होने के कारण सीता देवी दुकान पर पति की मदद के लिए बैठने लगीं।

पति ने सिखाया काम

दरहसल , पति के लीवर में सूजन की समस्या होने के कारण वह घर की रसोई और बच्चे संभालने के बाद पति के साथ दुकान जाने लगीं ताकि काम में हाथ बंटाने के साथ ही पति का ख्याल रख सकें। पति ने उन्हें उपकरणों को ठीक करना सिखाया। धीरे - धीरे सीता देवी पंखा, ग्राइंडर, लाइट आदि जैसे उपकरण ठीक करने लगीं। दुकान में अपने खराब उपकरण ठीक करवाने के लिए ग्राहक भी आया करते थे।

पति की सेहत ठीक न होने के कारण सीता देवी दुकान पर पति की मदद के लिए बैठने लगीं। (Wikimedia Commons

बच्चे को हमेशा अपने साथ रखती थी

जब उनका बेटा एक साल का ही था,उसे सीता देवी अपने साथ दुकान लेकर जाती थीं। वह दुकान की पूरी जिम्मेदारी उठाने लगीं। दुकान पर आने वाले खराब उपकरण ठीक करतीं, जरुरत पड़ने पर काम के लिए घर से बाहर जाती तो बेटे को साथ ले जातीं।

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