राणा प्रताप आजादी का, अपराजित काल विधायक है (Wikimedia Commons)
Maharana Pratap Jayanti
न्यूजग्राम हिंदी: प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की जयंती मनाई जाती है (विक्रमी संवत कैलेंडर के अनुसार)। प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ (राजस्थान/Rajasthan) में हुआ था। इनकी माता का नाम रानी जीवंत कंवर और पिता का नाम महाराजा उदयसिंह था। बचपन में कीका नाम से पुकारे जाने वाले प्रताप का राज्याभिषेक गोगुंदा में हुआ था।
1576 के हल्दीघाटी युद्ध (Battle of Haldighati) में महाराणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह की अस्सी हजार की सेना का सामना करीब बीस हजार राजपूतों के साथ किया था। इनके सबसे प्रिय घोड़े का नाम चेतक था और हल्दीघाटी युद्ध में ही इनके प्रिय अश्व चेतक (Chetak) की मृत्यु हो गई।
वैसे तो हल्दीघाटी का युद्ध मात्र एक दिन चला था लेकिन इसमें सत्रह हजार लोगों की जान गई थी। महाराणा प्रताप जब शत्रु सेना से घिर चुके थे तो उन्हें शक्ति सिंह ने बचाया था।
अकबर (Akbar) मेवाड़ को जीतने के लिए सभी प्रयास कर रहा था, लेकिन महाराणा प्रताप प्रताप ने कभी भी अकबर की अधीनता को स्वीकार नहीं किया। वह कई वर्षों तक अकबर के साथ संघर्ष करते रहे। इन्हीं महान मेवाड़ के महाराजा प्रताप पर पंडित नरेंद्र मिश्र ने कुछ पंक्तियां लिखी हैं जो इस प्रकार हैं:
राणा प्रताप इस भरत भूमि के, मुक्ति मंत्र का गायक है।
राणा प्रताप आजादी का, अपराजित काल विधायक है।।
मेवाड़ की धरती पर वीर और दृढ़ प्रताप के जन्म लेने से वह शौर्य भूमि धन्य हो गई
वह अजर अमरता का गौरव, वह मानवता का विजय तूर्य।
आदर्शों के दुर्गम पथ को, आलोकित करता हुआ सूर्य।।
राणा प्रताप की खुद्दारी, भारत माता की पूंजी है।
ये वो धरती है जहां कभी, चेतक की टापें गूंजी है।।
यह पंक्तियां महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व को पूरी तरह से सार्थक करती हैं।
मेवाड़ की धरती पर वीर और दृढ़ प्रताप के जन्म लेने से वह शौर्य भूमि धन्य हो गई है। महाराणा प्रताप ने मेवाड़ को मुगलों से बचाकर खुद का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज किया है।
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